व्यापार

भारत ने यूरोएशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते की पहल की, मध्य एशियाई देशों से साझेदारी पर जोर

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर बातचीत में रुकावटें

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौतों को लेकर बातचीत में लगातार रुकावटें आ रही हैं। अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय द्वारा विभिन्न उत्पादों के आदान-प्रदान पर चर्चा के लिए निर्धारित दल को भेजने में काफी देरी हो रही है। इसके साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त टैरिफ भी लगा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच का व्यापार अगले कुछ महीनों में घटने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, भारत ने अमेरिका के साथ तनाव के बीच अपने कारोबार का दायरा बढ़ाने के प्रयास जारी रखे हैं।

यूरेशियाई आर्थिक संगठन (EAEU) के साथ भारत की नई पहल

हाल ही में ब्रिटेन के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के बाद, भारत ने यूरेशियाई आर्थिक संगठन (EAEU) से व्यापार समझौते की वार्ता शुरू कर दी है। दोनों पक्षों के बीच इस विषय पर चर्चा हुई है, जिसमें मुख्य बिंदुओं को तय किया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर सभी चीजें सही रहीं, तो भारत कुछ वर्षों में यूरेशियाई संगठन में अपने लिए एक नया बाजार विकसित कर सकता है, जो एफटीए के अंतर्गत आएगा।

अमेरिका के साथ तनाव और भारत की नीतियाँ

अमेरिका ने हाल ही में भारत पर कई तरह के व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं। इससे दीर्घकालिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। अमेरिका का यह कदम भारत की ओर से रूस से तेल खरीदने के निर्णय का प्रतिकूल प्रतिक्रिया है। इस संदर्भ में भारत ने अपने व्यापारिक प्रयासों को न केवल अमेरिका में, बल्कि अन्य देशों में भी बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए हैं।

भारत की रणनीति और वैश्विक स्थिति

भारत की वर्तमान नीति यह है कि उसे अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता है। इसलिए, भारत ने कई देशों के साथ नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करना शुरू कर दिया है। इसके तहत, भारत ने एशिया, यूरोप और अफ्रीका के साथ नए व्यापारिक रास्ते खोलने का प्रयास किया है। भारत के पास व्यापक बाजार, युवा जनसंख्या और एक मजबूत अर्थव्यवस्था है, जो इसे वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण बनाती है।

भविष्य की संभावनाएँ

यदि बातचीत सफल होती है, तो भारत को यूरेशियाई संगठन में शामिल होने पर कई फायदे प्राप्त हो सकते हैं। इसके अंतर्गत व्यापार करों में छूट, वित्तीय सहयोग, और विभिन्न उद्योगों में सहयोग की संभावनाएँ शामिल हैं। इसके साथ ही, भारत को अपने उत्पादों के लिए नए बाजार प्राप्त होंगे, जिससे उसके निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रतिस्पर्धा

भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है। इसके लिए, भारत को अपनी आपूर्ति श्रृंखला को भी मजबूत करने की आवश्यकता है। साथ ही, विनिर्माण उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार और तकनीकी सुधार का सहारा लेना होगा।

निष्कर्ष

भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक बातचीत में जिस प्रकार से रुकावटें आ रही हैं, उससे यह स्पष्ट है कि वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। लेकिन भारत ने अपने विकास और वैश्विक व्यापारिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए अन्य देशों के साथ नया संपर्क स्थापित किया है। यह समय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नई दिशा तय करने का है, और यदि सही कदम उठाए गए, तो आने वाला समय भारत के लिए लाभदायक हो सकता है।

Related Articles

Back to top button