आगरा

आगरा उप-इंस्पेक्टर का निलंबन, DM, CDO और नगरायुक्त पर कार्रवाई की सूचना देने को लेकर।

यूपी न्यूज़: एक संस्थान के अध्यक्ष ने डीएम, सीडीओ और नगरायुक्त पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया

आगरा, उत्तर प्रदेश में एक संगठन के अध्यक्ष ने डीएम, सीडीओ और नगरायुक्त पर आरोप लगाया है कि वे पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने अदालत में एक याचिका दायर की जिसमें उन्होंने मांग की कि सड़क पर जमी हुई गाद और मलबे को हटाने के संबंध में कार्रवाई की जाए।

अदालत की ओर से एक जांच के आदेश दिए गए, जिसके बाद पुलिस अधिकारी ने आरोपों को सही पाया। इस मामले के बाद डीसीपी सिटी द्वारा उस निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया, जिसने गलत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

आरोपों का विवरण

संस्थान के अध्यक्ष मुकेश जैन ने जिला मजिस्ट्रेट अरविंद मलप्पा बंगरी, सीडीओ प्रतिभा सिंह और नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने प्रशासनिक पद का दुरुपयोग किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि ये अधिकारी जनता के विश्वास को तोड़ते हुए धारा 316 (5) के तहत आपराधिक उल्लंघन कर रहे हैं, जो एक दंडनीय अपराध है।

इसी संदर्भ में, अदालत ने पुलिस स्टेशन जगदीशपुरा से एक रिपोर्ट मांगी। दरोगा देवी शरण सिंह ने 29 जुलाई को अदालत में रिपोर्ट पेश की, जिसमें आरोपों की पुष्टि की गई।

डीसीपी द्वारा निलंबन

डीसीपी सोनम कुमार ने अपने बयान में बताया कि दरोगा देविशरण सिंह ने पुलिस स्टेशन के नोटिस के बिना काम किया, जिसके कारण उन पर कार्रवाई की गई। उन्होंने निर्देश दिया कि पुलिस स्टेशन के इन-चार्ज को पहले से नोटिस में लाए बिना कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी, अन्यथा उन्हें भी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

स्थानीय लोग इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अधिकारी पर्याप्त संसाधनों और बजट के बावजूद काम नहीं करते हैं। इस कारण से सड़कें महीनों तक गंदगी में डूबी रहती हैं, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सार्वजनिक हित की अनदेखी

स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने सार्वजनिक हित में की गई शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया है। अधिकारियों के इस लापरवाह रवैये के कारण गावों और शहरों में सफाई की स्थिति बेहद खराब हो गई है।

लोगों को सड़कों पर धूल और गंदगी से गुजरना पड़ता है, और प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं होती। यह स्थिति नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए खतरा बन गई है।

निष्कर्ष

इस मामले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब संस्थानों के अध्यक्ष की शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं होती, तो यह स्पष्ट होता है कि जनता को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

प्रशासन को चाहिए कि वह लोगों की समस्याओं का समाधान करे और सुनिश्चित करे कि उसका काम जनता के हित में हो। नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि अधिकारियों पर उचित कार्रवाई की जाए।

आगरा के इस मामले ने प्रशासनिक स्तर पर जरूर कुछ सवाल उठाए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या उचित कार्रवाई की जाएगी या फिर मामले को इसी तरह नजरअंदाज किया जाएगा।

इस प्रकार के मामले समाज में एक चेतना जगाते हैं और यह संदेश भेजते हैं कि जब तक नागरिक अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते नहीं हैं, तब तक उन्हें कोई सुनवाई नहीं मिलती।

आज के समय में, प्रशासन को जनता की समस्याओं का तत्काल समाधान करना चाहिए, ताकि समाज में विश्वास और संतुलन बना रहे।

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