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क्या ट्रंप प्रशासन की लॉबिंग फर्म टैरिफ तनाव कम करने में मदद कर पाएगी? भारत की नई रणनीति

अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ने के बीच भारत ने वॉशिंगटन डीसी में नई लॉबिंग फर्म मर्करी पब्लिक अफेयर्स को नियुक्त किया है। यह फर्म पूर्व अमेरिकी सीनेटर डेविड विटर के नेतृत्व में कार्यरत है। अमेरिकी सरकार के विदेशी एजेंट पंजीकरण अधिनियम (FARA) के तहत हालिया फाइलिंग के अनुसार, भारत और मर्करी के बीच कॉन्ट्रैक्ट अगस्त 2025 से नवंबर 2025 तक लागू रहेगा। इस दौरान भारत मर्करी को हर महीने 75,000 डॉलर का भुगतान करेगा, जो कुल मिलाकर 225,000 डॉलर होगा। इस फर्म को फेडरल गवर्नमेंट रिलेशंस और रणनीतिक सेवाएं देने का जिम्मा सौंपा गया है।

यही नहीं, इस स्थिति की गंभीरता को और बढ़ाता है कि ट्रंप प्रशासन के करीबी सहयोगी और चीफ ऑफ स्टाफ स्यूजी वाइल्स, मर्करी के वॉशिंगटन और फ्लोरिडा ऑफिस की प्रमुख रह चुकी हैं। ट्रंप के 2024 के चुनाव अभियान में जाने से पहले वाइल्स ने यह पद छोड़ा था। मर्करी को डेनमार्क, इक्वाडोर, आर्मेनिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने भी हायर किया है।

भारत की लॉबिंग का यह कदम समय पर उठाया गया है जब भारत रूस से तेल खरीदने के चलते ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए अतिरिक्त 25% टैरिफ का सामना कर रहा है। भारत को अमेरिका द्वारा सेकेंडरी सैंक्शन लगाने के संकेत भी मिल रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत को ब्राजील के साथ सबसे ऊंचे टैरिफ ब्रैकेट में रखा है। मौजूदा 25% टैरिफ के ऊपर नया 25% टैरिफ 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।

व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा नीति में बदलाव करने को तैयार नहीं दिख रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अतिरिक्त टैरिफ लागू होने की संभावना बनी हुई है।

भारत की लॉबिंग फर्म मर्करी एकमात्र नहीं है। भारत की एक मौजूदा डील SHW Partners LLC के साथ भी है, जो 1.8 मिलियन डॉलर वार्षिक कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रही है। यह फर्म ट्रंप के पूर्व सलाहकार जेसन मिलर के नेतृत्व में रणनीतिक परामर्श, सरकारी संबंध और सार्वजनिक धारणा प्रबंधन पर ध्यान देती है।

पाकिस्तान इसी बीच अमेरिका में लॉबिंग पर भारत से कहीं ज्यादा खर्च कर रहा है। FARA की फाइलिंग के अनुसार, पाकिस्तान हर महीने लगभग 600,000 डॉलर खर्च कर रहा है और छह फर्मों को हायर किया है। पाकिस्तान की प्रमुख फर्मों में Orchid Advisers LLC शामिल है, जिसे 250,000 डॉलर प्रति महीने मिलते हैं। यह फर्म Squire Patton Boggs के साथ मिलकर अमेरिकी सांसदों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से संपर्क साधती है।

इसी प्रकार, Seiden Law को 200,000 डॉलर प्रति महीने दिए जा रहे हैं, जो आर्थिक साझेदारी और टैरिफ मामलों पर काम कर रही है। इसने Javelin Advisors को 50,000 डॉलर अतिरिक्त भुगतान कर सब-कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने Team Eagle Consulting को अक्टूबर 2024 में 1.5 मिलियन डॉलर में हायर किया था ताकि अमेरिकी सार्वजनिक धारणा को अपने पक्ष में बदला जा सके।

पाकिस्तान की आक्रामक लॉबिंग से उसे व्हाइट हाउस में आर्मी चीफ जनरल आसीम मुनीर के लिए मीटिंग और भारत की तुलना में 19% कम टैरिफ जैसी राहत भी मिली है। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हाल ही में क्रिटिकल मिनिरल्स और ऑयल पार्टनरशिप को लेकर भी समझौते हुए हैं।

भारत की रणनीति अधिक लक्षित है और इसमें लगभग 200,000 डॉलर प्रति महीने खर्च हो रहा है। भारत मुख्य रूप से अनुभवी राजनीतिक सलाहकारों जैसे जेसन मिलर और पुरानी फर्म BGR Associates पर निर्भर है, जो 50,000 डॉलर प्रति महीने पर काम करती है।

इस प्रकार, भारत और पाकिस्तान दोनों की लॉबिंग रणनीतियों में स्पष्ट अंतर है। जबकि पाकिस्तान ने अधिक पैसे खर्च किए हैं और कई फर्मों से संपर्क स्थापित किया है, भारत ने एक अधिक लक्षित दृष्टिकोण अपनाया है। यह स्थिति आगे चलकर दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों और राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है।

भारत की लॉबिंग की यह पहल महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अमेरिका में उसकी राजनीतिक स्थिति को आगे बढ़ाने की कोशिश में एक कदम और है। इससे न केवल भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह उसे वैश्विक स्तर पर अपनी आवाज उठाने में भी सहायता करेगी।

भारत की लॉबिंग के लिए आवश्यक संसाधन जुटाना एक कठिन कार्य है। इसके लिए उसे कई वित्तीय और प्रबंधन संबंधित निर्णय लेने होंगे। एक सफल लॉबिंग अभियान के लिए जरूरी है कि भारत अपने हितों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करे और अमेरिका के राजनीतिक ढांचे में प्रभावी ढंग से संवाद स्थापित करे।

भारतीय सरकार का यह कदम यह संकेत देता है कि वह अमेरिका के साथ संबंधों को गंभीरता से ले रही है और हर संभावित प्रयास कर रही है ताकि उसके हित सुरक्षित रहें। अमेरिका और भारत के बीच वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत करना और एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाना वर्तमान समय की प्रमुख आवश्यकता है।

इसके अलावा, यह भी आवश्यक है कि भारत विदेशी नीतियों में निरंतरता बनाए रखे। इसका मतलब है कि उसे अपने सहयोगियों और प्रतिस्पर्धियों के साथ बातचीत का स्तर बढ़ाना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि उसकी स्थिति सुरक्षित हो।

अंततः, भारत की लॉबिंग फर्मों का चुनाव और उनके लिए किए गए निवेश यह दर्शाते हैं कि भारत अपने आर्थिक और राजनीतिक लक्ष्यों को पाने के लिए कितनी गंभीरता से काम कर रहा है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो उसे अमेरिका में एक मजबूत और प्रभावी आवाज प्रदान कर सकता है।

यह स्थिति भारत के लिए एक नए अवसर के रूप में काम कर सकती है, जिससे उसे वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारत को अपनी आर्थिक और राजनीतिक रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है ताकि उसे फिर से एक स्थिर और सफल स्थिति में ले जा सके।

भारतीय सरकार को यह समझना होगा कि लॉबिंग केवल धन का व्यय नहीं है, बल्कि यह एक ठोस रणनीतिक निवेश है जो उसके भविष्य को निर्धारित कर सकता है।

इस प्रकार, भारत को अपनी लॉबिंग क्षमताओं को बढ़ाने और उसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने चाहिए। केवल इस तरह से वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत बना सकेगा और अपनी आर्थिक शक्ति को बढ़ा सकेगा।

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