
‘सैलून वाले गुरुजी’: एक प्रेरणादायक शिक्षक की कहानी
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के एक शिक्षक, पूनाराम पनागर, इन दिनों खास चर्चा का विषय बने हुए हैं। उन्हें प्यार से ‘सैलून वाले गुरुजी’ के नाम से जाना जाता है। वह गरीब और आदिवासी बच्चों के लिए न केवल शिक्षा का माध्यम बने हैं, बल्कि उनके बाल भी काटते हैं ताकि उन बच्चों का पैसा बच सके और वे उसे पढ़ाई के लिए उपयोग कर सकें।
अनूठी सेवा की शुरुआत
पूनाराम पनागर ने 13 साल पहले, 2012 में, अपने करियर की शुरुआत एक प्राथमिक विद्यालय में की थी, जो महलीघाट गांव में स्थित है। इस क्षेत्र में कोई सैलून नहीं था, और बच्चे लंबे समय तक बाल कटवाने से वंचित रहते थे। यह स्थिति देखकर पूनाराम ने तय किया कि वे स्वयं बच्चों के बाल काटेंगे। इसके बाद, उनका तबादला एक मिडिल स्कूल में हुआ, जहां उन्होंने देखा कि कई बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं और इसमें भी बाल कटवाने की समस्या थी।
बच्चों की शिक्षा और विकास का सपना
पूनाराम का सपना है कि सभी बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ें। इसलिए, वह बच्चों को मुफ्त कोचिंग प्रदान करते हैं। इसके तहत, वह विशेष प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं, जिसमें ज़िले या प्रदेश स्तर पर टॉपर बनने वाले छात्रों को इनाम के रूप में 10 से 15 हजार रुपये तक प्रदान करते हैं। इससे न केवल बच्चों को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
समाज में सकारात्मक प्रभाव
पूनाराम की प्रयासों की न केवल बच्चे और उनके माता-पिता, बल्कि अन्य शिक्षक भी सराहना करते हैं। उनके सहयोगी कृष्ण कुमार धुर्वे बताते हैं कि पूनाराम बच्चों की शिक्षा के प्रति बेहद सजग हैं। उनकी यह सोच कि बच्चों का पैसा बचाना चाहिए ताकि वे उसे पढ़ाई के लिए उपयोग कर सकें, सभी को प्रेरित करती है।
यह कार्य केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है; पूनाराम ने समाज में एक मिसाल कायम की है। वह हर साल पर्चे छपवाकर लोगों से अपील करते हैं कि वे बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराएं। उनके इस प्रयास के कारण कई बच्चे उचित शिक्षा पा रहे हैं, जो उनकी जिंदगी की दिशा बदल सकता है।
समर्पण और योगदान
पूनाराम पनागर का समर्पण अद्वितीय है। वह न केवल बच्चों को ज्ञान का प्रकाश देते हैं, बल्कि उनके जीवन के अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देते हैं। उनका उद्देश्य है कि बच्चे समझें कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं है, बल्कि यह उनके सामाजिक और आर्थिक विकास का माध्यम है।
समाज में उनकी पहचान एक शिक्षक के साथ-साथ एक मार्गदर्शक की भी है। वह बच्चों को केवल शिक्षा नहीं देते, बल्कि सीखने के प्रति उनका रुझान बढ़ाते हैं। उनकी पहल ने न केवल बच्चों को लाभ पहुंचाया है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक प्रेरणा बन गई है।
बच्चों का प्यार और सम्मान
पूनाराम की शिक्षण शैली बच्चों को बहुत पसंद है। उनका सरलता से ज्ञान सिखाने का तरीका और उनके साथ बिताया गया समय बच्चों के लिए अनमोल होता है। वे हमेशा बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे बच्चे न केवल शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं, बल्कि अपने सपनों को साकार करने में भी सक्षम होते हैं।
निष्कर्ष
पूनाराम पनागर के प्रयासों ने न केवल बच्चों की जिंदगी में बदलाव लाया है, बल्कि यह दिखाया है कि एक शिक्षक का दायित्व सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं होता। वह समाज के विभिन्न पहलुओं को छूते हुए, बच्चों को एक बेहतरीन भविष्य की ओर ले जाने का कार्य कर रहे हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि छोटे-छोटे प्रयास भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
उनकी प्रेरणा और त्याग से हम सभी को सीखने की आवश्यकता है कि हम भी समाज में बदलाव लाने के लिए अपने तरीके से योगदान कर सकते हैं। वाकई, पूनाराम पनागर जैसे शिक्षक समाज के असली सिपाही हैं, जो भविष्य की नींव को मजबूत कर रहे हैं।