मथुरा

यमुना में बाढ़: पानी चार फीट ऊँचा, 200 घरों को खाली करना पड़ा।

मथुरा में यमुना नदी की बाढ़ की स्थिति

मथुरा में यमुना नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण खदर क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है। सड़कों पर चार फीट तक पानी भरने के कारण दो सौ से अधिक लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थलों पर चले गए हैं। सैकड़ों बीघा कृषि भूमि जलमग्न हो गई है और अब प्रभावित लोग सरकारी सहायता की आशा कर रहे हैं। जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुँच गया है, जिससे लोगों में घबराहट व्याप्त हो गई है। घरों में सांप और बिच्छू जैसे खतरों के कारण हालात और भी चिंताजनक हो गए हैं।

शांति और शीतलता का प्रतीक रही यमुना अब एक क्रोधित रूप में सामने आ चुकी है। जल स्तर में निरंतर वृद्धि के कारण यमुना के किनारे के घाट और मंदिरों में बाढ़ आ गई है। यमुना के खदर क्षेत्र में बने उपनिवेशों के एक हजार से अधिक घर इस जल प्रलय से प्रभावित हैं।

सड़कों में चार फीट तक का जलभराव हो जाने से यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। यहाँ के निवासी बुरी तरह घबराए हुए हैं। दो सौ से ज्यादा लोगों ने अपने घरों को खाली करके रिश्तेदारों या राहत शिविरों में शरण ली है।

बाढ़ की सम्भावनाओं को लेकर सभी चिंतित हैं। यदि जल स्तर इसी गति से बढ़ता रहा तो यह शहरी क्षेत्र तक पहुँच सकता है। गाँवों में सैकड़ों बीघा फसलों का नुकसान हो चुका है। सब्जियाँ और धान की फसलें भी जलमग्न हो चुकी हैं। अब यह प्रभावित लोग सरकारी मदद की राह देख रहे हैं।

पिछले 15 दिनों के दौरान, यमुना का जल स्तर कुछ दिन कम हुआ था, लेकिन शनिवार से फिर से बढ़ने लगा है। चार दिनों पहले, जल स्तर चेतावनी के निशान को पार कर चुका था। बुधवार शाम सात बजे यमुना का जल स्तर 166 मीटर की दूरी पर पहुँच गया।

यमुना का पानी रात भर खदर में भरता रहा। गुरुवार को, खदर की सड़कों पर जलभराव के कारण यातायात प्रभावित होता रहा। मथुरा और वृंदावन के खादर क्षेत्र में, 200 से अधिक लोगों को घर खाली करते हुए देखा गया, जो कि सुरक्षित स्थान पर शरण लेने के लिए मजबूर हुए।

सुबह के समय, खदर की स्थिति भयावह थी। जिन घरों में पानी भर गया था, लोग अपने सामान को बाहर निकालने में लगे हुए थे। तीन दिनों तक, ग्रामीणों को ट्रैक्टर-ट्रॉली से सामान लोड करके घर खाली करते हुए देखा गया। इस क्षेत्र में स्थिति वास्तव में चिंताजनक हो गई है।

बाढ़ के कारण नालियाँ भी ढकी हुई हैं, जिससे कई जानवर गिरकर घायल हो गए हैं। लोग अपने बच्चों को लेकर चिंतित हैं। जयसिंहपुरा खदर के गणेशधाम कॉलोनी में रहने वाले शकील ने कहा कि यमुना माई के क्रोध के कारण सभी में घबराहट है। घरों को खाली करना एक मजबूरी बन गई है।

अनवर ने कहा कि घर में जल भराव के कारण उन्हें भी घर खाली करना पड़ा। राजेंद्र सिंह ने कहा कि यमुना का जल स्तर पिछले पांच दिनों से लगातार बढ़ रहा है। सड़कों और घरों में पानी भरने से संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। अब तक किसी भी अधिकारी ने हमारे क्षेत्र की स्थिति को जानने का प्रयास नहीं किया है। लोग पीने के पानी के लिए भी चिंतित हैं।

बिच्छू और सांपों का खतरा

गणेश तिला के शम्सुद्दीन ने कहा, यमुना का पानी कॉलोनी में तेजी से भर रहा है। सड़कों पर कई फीट बाढ़ आ गई है, जिससे घरों में सांप, बिच्छू और अन्य जहरीले कीड़े अतिक्रमण कर रहे हैं। बच्चों का जीवन सुरक्षित नहीं है। एक बार एक बिच्छू उनके घर में घुस आया था, जिसे किसी तरह पकड़ा गया।

हालाँकि, स्थिति की गंभीरता के बीच, कुछ बच्चे इस बाढ़ का मजा भी ले रहे हैं। गणेश तिला में, कई बच्चों ने कूलर के टब को बाहर लाकर उसमें खेलने का आनंद लिया। यहाँ सुरक्षा और अतिरिक्त परेशानी के बावजूद बच्चे पानी में खेलते हुए देखे जा रहे हैं।

खतरे का जल स्तर

यमुना का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को यह खतरे के निशान से 17 सेंटीमीटर ऊपर पहुँच गया है, जिससे घाट पर रहने वाले लोगों में चिंता फैल गई है। शहरी क्षेत्र में प्रयाग घाट का खतरे का जल स्तर 166 मीटर है।

बुधवार शाम को, जल स्तर ने खतरे के निशान को पार कर लिया था। रात में पानी का स्तर बढ़कर 166.1 मीटर हो गया। शाम को जल स्तर ने 5 सेंटीमीटर का और बढ़ाव दर्ज किया।

जहाँ तक पानी की रिहाई का सवाल है, यमुना में से विभिन्न नदियों से कुल 78,692 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है और यह पानी शुक्रवार सुबह तक जिले में पहुँचने का अनुमान है। इससे जल स्तर में और वृद्धि की आशंका है।

अंत में

जनता की ओर से अब केवल यह आशा है कि अधिकारियों की ओर से करीब से ध्यान दिया जाएगा और जल स्तर को नियंत्रित किया जाएगा। अगर जल स्तर इसी प्रकार बढ़ता रहा, तो हमारी समस्याएँ और बढ़ सकती हैं। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस गंभीर परिस्थिति का त्वरित और प्रभावी समाधान निकाल पाएगी। यही उम्मीद सभी स्थानीय निवासियों की है।

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