मथुरा

ठाकुरजी का छठा त्योहार वृंदावन में धूमधाम से मनाया गया, भक्तों को टॉफी-खिलोने और कपड़े दिए गए।

संवाद एसोसिएट, वृंदावन।

भगवान कृष्ण की जन्म वर्षगांठ को तिरथनागरी के मंदिरों में धूमधाम से मनाया गया। मंदिरों में ठाकुरजी के महाभिषेक के बाद, भक्तों को नंदोटव के उपहार दिए गए। लेकिन, इस बार भगवान कृष्ण का छठा त्योहार भी मनाया गया, जो की ठाकुर जी के जन्म के छह दिनों बाद गुरुवार को था। ठाकुर राधड़दामोदर मंदिर में, मंदिर सेवा के साथ-साथ लाडगोपाल के महाभिषेक की विशेष व्यवस्था की गई थी। इसके बाद भक्तों को विशेष उपहार वितरित किए गए।

भगवान कृष्ण के छठे त्योहार का आयोजन गुरुवार को ठाकुर राधड़दामोदर मंदिर में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ किया गया, जो सप्तादेवलयस के बीच एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मंदिर के सेवक ने सुबह लाडगोपाल के महाभिषेक का प्रदर्शन किया, जिसमें भगवान लक्ष्मीदेवता का विशेष ध्यान रखा गया। मंदिर के सेवायत नितई गोस्वामी ने बताया कि इस मौके पर ठाकूरजी का छठा त्योहार आचार्य तरुण गोस्वामी की अध्यक्षता में मनाया गया।

सुबह की पूजा में, लाडगोपाल को दूध, दही, शहद, चीनी, गंगा जल आदि का मिश्रण अर्पित किया गया। यह सब वैदिक जप के बीच में हुआ और मंदिर परिसर में मौजूद भक्तों के बीच ठाकुर जी के छठे त्योहार पर बधाई का आदान-प्रदान किया गया।

ठाकुर जी के छठे त्योहार को लेकर भक्तों के लिए अनेक उपहारों की व्यवस्था की गई। इनमें तफ़ाकुरजी, बिस्कुट, खिलौने, कपड़े, बर्तन और ठाकुर जी के खजाने शामिल थे। भक्तों ने ठाकुर जी की दिव्य सजावट का नजारा देने का भरपूर आनंद लिया। विशेष रूप से, ठाकुर जी को राजभोग में कढ़ी चावल के साथ तैयार किया गया था, और इसके प्रसाद को भक्तों के बीच वितरित किया गया।

शाम को, ब्रज की महिलाओं ने ठाकुर जी के सामने बधाई दी और इस अवसर को भक्ति भाव से और भी खास बना दिया। इसके अलावा, सभी भक्तों ने मिलकर एकत्रित होकर भक्ति के गीत गाए और अपनी श्रद्धा अर्पित की।

इस तरह, नंदोत्सव और भगवान कृष्ण के अन्य त्योहारों की भव्यता ने सभी को एक साथ लाने का काम किया। इस अवसर पर लोगों ने अपनी श्रद्धा और भक्ति को साझा किया और मंदिर परिसर में प्रेम और सौहार्द का माहौल बना। सभी भक्तों ने मिलकर भगवान कृष्ण से आशीर्वाद मांगा और उनके जन्मोत्सव का जश्न मनाया।

कुल मिलाकर, यह पर्व न केवल भक्ति का था, बल्कि सभी के लिए एकता और प्रेम का प्रतीक भी था। भक्तों ने बिना किसी भेदभाव के एक-दूसरे के साथ मिलकर आनंदिता और उल्लास का अनुभव किया।

अनुष्ठानों की तैयारी में बहुत से भक्तों ने भाग लिया और सभी ने मिलकर इस पावन अवसर को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंदिर में लोगों की बड़ी संख्या इस बात का प्रमाण थी कि भगवान कृष्ण की भक्ति में आज भी अटूट विश्वास है। धार्मिक गतिविधियों में सबका सहयोग और उत्साह एक दूसरे को प्रेरित करता रहा।

भक्तों ने इस दिन को अपने जीवन का एक सबसे महत्वपूर्ण दिन मानते हुए इसे मनाया। उन्होंने अपने परिवार, मित्रों और समुदाय के अन्य सदस्यों को भी इस पुण्य अवसर पर शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। सभी ने मिलकर ठाकुर जी को भोग अर्पित किया और उनकी कृपा की कामना की।

भजन-कीर्तन के इस आयोजन में शामिल होकर, भक्तों ने भगवान कृष्ण की महिमा का गुणगान किया। शांतिपूर्वक और श्रद्धा से भरे माहौल में पूरी रात मंदिर में भक्ति का स्वर गूंजता रहा। इस प्रकार, भगवान कृष्ण के छठे त्योहार को लेकर सभी ने मिलकर एकता, प्रेम और सौहार्द का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया।

इस आयोजन की विशेष बात यह थी कि इसमें विभिन्न आयु वर्ग के लोग शामिल हुए। छोटे बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी ने एक-दूसरे का हाथ थामकर भक्ति में भाग लिया, जिससे यह घटना और भी खास बन गई। प्रत्येक भक्त ने अपनी श्रद्धा और भक्ति को प्रदर्शित करने का एक तरीका निकाला, चाहे वह भजन गाना हो, या फिर विशेष अर्पण करना।

इस प्रकार, ठाकुर जी के छठे त्योहार का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि यह एक सामाजिक एकता का प्रतीक भी बना। समुदाय में प्रेम और सद्भाव को बढ़ावा देने वाले इस कार्यक्रम ने सभी को मिलकर एक नई ऊर्जा प्रदान की। लोगों ने न केवल भगवान कृष्ण की भक्ति की, बल्कि एक-दूसरे के साथ संवाद और सहयोग का एक अद्भुत अनुभव भी साझा किया।

यह त्योहार सच्ची भक्ति, समर्पण और प्रेम का प्रतीक बना। ऐसा प्रतीत हुआ मानो भगवान कृष्ण खुद इस उत्सव का संचालन कर रहे हों। भक्तों की निष्ठा और श्रद्धा ने इस अवसर को एक अमिट छाप छोड़ी, जो आने वाले वर्षों तक लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

इस तरह, ठाकुर जी का छठा त्योहार ना केवल धार्मिक महत्त्व रखता है, बल्कि यह सभी के लिए एक सीख और प्रेरणा का स्रोत भी है। यह याद दिलाता है कि भक्ति, सेवा और एकता में कितनी शक्ति होती है। सबने मिलकर इस पावन अवसर को मनाया और ठाकुर जी के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की।

सच में, भगवान कृष्ण का यह जन्मोत्सव और छठा त्योहार सभी के दिलों में अमिट स्थान रखता है, और भक्तों के लिए एक नई आस्था और ऊर्जा देने वाला बनता है। यह त्योहार हर साल इसके महत्व को और बढ़ाता रहेगा और भगवान कृष्ण की भक्ति का जाज्वल्य स्वरूप हर एक भक्त को उत्तेजित करता रहेगा।

अपने परिवार और समुदाय के साथ मिलकर इस त्यौहार को मनाना और भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा को और भी गहरा करना ही असली पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है। हर भक्त ने इस अवसर पर भगवान से प्रार्थना की और उनकी कृपा की कामना की, जिससे आने वाला समय सभी के लिए शुभ और मंगलदायक हो।

भगवान कृष्ण की कृपा सभी पर बनी रहे, यही सभी भक्तों की हार्दिक प्रार्थना है।

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