अनाज बाजार की गतिविधियाँ ठप; व्यापारी सवाल कर रहे हैं कि बाहर कर क्यों लागू नहीं होता।

गैर-अधिसूचित कृषि जिंसों पर लगाए गए 50 पैसे प्रति रुपए यूजर चार्ज के विरोध में बुधवार को सेक्टर-11 स्थित अनाज मंडी पूरी तरह से बंद रही। इस बंद के कारण मंडी में कारोबार नहीं हो सका और लोडिंग तथा अनलोडिंग भी पूरी तरह ठप रही।
दाल-चावल व्यापार संघ के नेतृत्व में मंडी की 12 एसोसिएशनों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्य सरकार से इस कर को वापस लेने की मांग की। व्यापारियों ने जानकारी दी कि इस आंदोलन के तहत गुरुवार को भी मंडी का कार्य बंद रहेगा। हड़ताल से प्रतिदिन 5 से 10 करोड़ रुपए तक के नुकसान का अंदेशा व्यक्त किया गया है।
संघ के महामंत्री राजकुमार चित्तौड़ा एवं मनीष मारू ने कहा कि यूजर चार्ज पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। मंडी में लाखों रुपए की लागत से दुकानें खरीदकर व्यवसाय करने वाले व्यापारियों पर टैक्स लगाया जा रहा है, जबकि मंडी से बाहर काम करने वाले बड़े मॉल्स और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को इससे छूट दी गई है। यह स्थिति सबसे बड़ी विसंगति है।
उन्होंने यह भी कहा कि जयपुर, जोधपुर, उदयपुर सहित पूरे प्रदेश की मंडियां इस कर के विरोध में बंद रखकर आंदोलन कर रही हैं। प्रदर्शन के दौरान कई महत्वपूर्ण लोग जैसे गणेश अग्रवाल, चंदन सुहालका, अशोक कोठारी, अनिल जैन, ओम तोषनीवाल, अशोक सकलेचा, अर्जुन जैन, प्रकाश कटारिया, विपुल अग्रवाल, घनश्याम अग्रवाल, ऋषभ जैन, संदीप जैन आदि उपस्थित थे। जबकि श्री व्यापार मंडल इस आंदोलन में शामिल नहीं हुआ।
शामिल न होने की वजह से संगठन ने यह कहा कि वह राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की जयपुर में गुरुवार को होने वाली बैठक का निर्णय लेने तक इंतजार करेगा। सचिव दामोदर खटोड़ ने बताया कि उनकी संस्था के कुछ व्यापारियों ने बुधवार को प्रतिष्ठान खोले, लेकिन कुछ अन्य व्यापारियों द्वारा मंडी के गेट बंद कर दिए जाने के कारण आम जनता और व्यवसायियों को समस्या का सामना करना पड़ा। अध्यक्ष चंदन जावारिया ने कहा कि प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर से मिलकर सुरक्षा की मांग की है। मंडी में गुरुवार को व्यापार यथावत चालू रहेगा।
यह स्थिति इस मुद्दे पर संघर्ष की गंभीरता को दर्शाती है। व्यापारियों ने इस बात को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है कि यूजर चार्ज के कारण उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। इससे न केवल व्यापारियों को बल्कि आम नागरिकों को भी परेशानी हो सकती है। यदि यह रोक जारी रहती है तो इससे कृषि जिंसों का मूल्य भी प्रभावित हो सकता है और बाजार में विकृति उत्पन्न हो सकती है।
बंद का यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब व्यापारियों ने महसूस किया कि उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। यह भी बताया गया कि सरकारी पहलुओं की अनुपस्थिति में ऐसे चार्ज के लागू होने से बाजार में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। व्यापारियों का यह भी कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर सरकार से संवाद करने के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक विरोध जारी रहेगा।
व्यापारियों का मानना है कि मंडी में व्यापार मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, और इस तरह के अति भेदभावपूर्ण कर से मंडी का पूरा ढांचा प्रभावित हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अनिवार्य है कि सरकार व्यापारी वर्ग के हितों पर ध्यान दे और उनके सामने आए मुद्दों पर बातचीत करे।
कुल मिलाकर, इस आंदोलन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कृषि व्यवसाय से जुड़े व्यापारी अपनी आवश्यकताओं को लेकर गंभीर हैं और किसी भी तरह के उठाए गए कदमों का विरोध करने को तैयार हैं। जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस तरह से इसे संभालती है और व्यापारियों के मुद्दों का क्या समाधान करती है।
आगे बढ़ते हुए, व्यापारियों ने निर्णय लिया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, तब तक वे अपनी एकजुटता बनाए रखेंगे। वे चाहते हैं कि सभी व्यापारी एक साथ आएं और अपनी आवाज उठाएं, ताकि उनकी समस्याओं का समुचित समाधान हो सके। यह न केवल उनके आर्थिक भविष्य के लिए आवश्यक है बल्कि उनके व्यवसाय की स्थिरता के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
इस विरोध प्रदर्शन में शामिल व्यापारियों ने एकजुटता का परिचय दिया है और यह निश्चित रूप से उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है। सभी ने मिलकर एक स्वर में अपनी शिकायतें उठाईं और सरकार से अपेक्षा की कि उनकी आवाज सुनी जाएगी।
संगठनों के बीच सहयोग और समर्थन का यह माहौल भले ही कुछ समय तक जारी रहे, लेकिन यह दिखाता है कि जब बातें सीधे व्यापारियों के अस्तित्व से जुड़ी हों, तो वे किस प्रकार से एकजुट हो सकते हैं। आगे की रणनीति क्या होगी, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन इस मुद्दे पर चर्चा, संवाद और संघर्ष की आवश्यकता रहेगी।
इस तरह की घटनाएं हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती हैं कि किसी भी नीति की रूपरेखा में व्यापारियों की भलाई को ध्यान में रखना कितना महत्वपूर्ण है। यदि सरकार ने पहले से इस पूरी स्थिति का आंकलन किया होता, तो शायद इस तरह का विरोध प्रदर्शन आवश्यक नहीं होता।
व्यापारियों के इस संघर्ष को देखते हुए यह भी ध्यान देने योग्य है कि सरकार को ऐसे मुद्दों के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए जिससे व्यापारियों का लाभ सुरक्षित हो सके। मंडी में व्यापारियों की प्रतिष्ठा और उनके व्यवसाय की स्थिरता इस प्रकार के नीति निर्धारण से ही स्थिर रह सकती है।
आखिर में, यह स्पष्ट है कि इस विरोध प्रदर्शन के पीछे एक बड़ा उद्देश्य है। यह केवल एक शुल्क के खिलाफ है, बल्कि यह व्यापारिक स्वतंत्रता और आर्थिक सुरक्षा की मांग भी है। ऐसे में, उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी और व्यापारियों की आशंकाओं को दूर करेगी।