निक्की हेली ने ट्रम्प प्रशासन को चेतावनी दी: भारत की चीन से हार एक गंभीर रणनीतिक खतरा होगा।

डोनाल्ड ट्रम्प: निक्की हेली का भारत के महत्व पर जोर
भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ वर्षों में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गए हैं। कुछ समय पहले, ये दोनों लोकतांत्रिक देश एक-दूसरे के निकट आ रहे थे, लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि वे भिन्न दिशाओं में बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में, संयुक्त राष्ट्र की पूर्व अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने चेतावनी दी है कि वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच संबंध गंभीर खतरे में हैं। उनका मानना है कि यदि अमेरिका, चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत को खो देता है, तो यह एक बड़ी रणनीतिक गलती होगी।
भारत के साथ संबंधों में सुधार की आवश्यकता
हेली का कहना है कि अमेरिका को भारत के साथ अपने संबंधों में सुधार करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्हें यह महसूस होता है कि भारत और अमेरिका के बीच सामरिक सहयोग बेहद आवश्यक है, खासकर जब चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। उनके अनुसार, यह एक महत्वपूर्ण सच्चाई है कि भारत को एक मित्र के रूप में अपनाना अमेरिका के लिए आवश्यक है, ताकि वह चीन का सामना कर सके।
हेली ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रम्प प्रशासन को ऐसे किसी भी ठोस विवादों की अनुमति नहीं देनी चाहिए जो भारत और अमेरिका के संबंधों में दरार पैदा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि रूस के साथ व्यापारिक विवादों के बीच, इसे अब और बढ़ाना असंभव है। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ रही दूरी, चीन के लिए एक बड़ी जीत सिद्ध हो सकती है।
भारत का महत्व और आर्थिक संबंध
हेली ने यह भी बताया कि भारत केवल एक मित्र देश नहीं है, बल्कि वह अमेरिका के आर्थिक और सुरक्षा लक्ष्यों के लिए एक आवश्यक कड़ी बन गया है। अमेरिका को अपने विनिर्माण इकाइयों को चीन से बाहर ले जाने की आवश्यकता है, और भारत इस मामले में महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर सकता है। भारत की क्षमता है कि वह चीन के समान उत्पादों का निर्माण कर सके, जिसमें कपड़े, मोबाइल फोन, और सौर पैनल शामिल हैं।
हेली का मानना है कि यदि अमेरिका ने भारत से संबंध सुधारने की कोशिश की, तो चीन को भी एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना होगा। यदि भारत को मजबूत किया जाए, तो वह क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला कर सकता है।
भू-राजनीतिक स्थिति और विकास
भारत की भू-राजनीतिक स्थिरता और विकास पर बात करते हुए, निक्की हेली ने इसे भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया। उनका यह कहना है कि जैसे-जैसे भारत का विकास होगा, वैसे-वैसे चीन की भौतिक महत्वाकांक्षाएँ घटेंगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में कोई दरार पड़ी, तो बीजिंग और मॉस्को इसका भरपूर फायदा उठाएंगे।
हेली ने कहा कि अमेरिका को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि नई दिल्ली के साथ साझा लक्ष्यों के कारण उनके संबंधों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत एक महत्वपूर्ण साथी है, जो अमेरिका को चीन की चुनौती का सामना करने में मदद कर सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का उद्धरण
हेली ने पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के एक बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने अमेरिका और भारत के संबंधों की महत्ता पर जोर दिया। रीगन ने कहा था कि “नई दिल्ली एक अलग मार्ग अपना सकती है, लेकिन उनकी मंजिल एक होनी चाहिए।” इस संदर्भ में, हेली ने ट्रम्प और मोदी के बीच की बैठक की वकालत की, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों को एक नया आयाम मिल सके।
टैरिफ विवाद और ताजगी की आवश्यकता
इन सभी बातों के बीच, यह उल्लेख करना आवश्यक है कि ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर 25% टैरिफ पहले ही लगा दिया था, जो व्यापार सौदे की कमी के कारण हुआ। इसके बाद, जब भारत ने इंडो-पाकिस्तान युद्ध को लेकर किसी तरह की संलग्नता से इनकार किया, तो तनाव और बढ़ गया।
टैरिफ की पहली घोषणा के बाद, ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर जाहिर किया कि भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए भी दंडित किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त टैरिफ भी लागू कर दिए, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई।
भारत ने इसके उत्तर में चीन और रूस की ओर झुकाव बढ़ा लिया। इस दृष्टिकोण से, यह स्पष्ट है कि अमेरिका को भारत के प्रति अपने दृष्टिकोण को फिर से जांचने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
निक्की हेली की चिंताएँ वाजिब हैं। भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार होना आवश्यक है, और अमेरिका को भारत को मित्र के रूप में अपनाना चाहिए। दोनों देशों के साझा लक्ष्यों के कारण, यह आवश्यक हो जाता है कि अमेरिका अपनी विदेश नीति को इस दिशा में आगे बढ़ाए।
भारत के लिए, यह एक मौका है कि वे वैश्विक पटल पर अपनी स्थिति को मजबूत करें। अगर भारत और अमेरिका एकजुट होते हैं, तो यह केवल दोनों देशों के लिए ही लाभदायक नहीं होगा, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक बदलाव लाएगा।
हकीकत यह है कि आज की दुनिया में, भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित करना कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। अगर अमेरिका सही तरीके से कार्य करता है, तो यह न केवल खुद बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सकारात्मक प्रभाव छोड़ सकता है।