स्वास्थ्य कार्यक्रम: आयुर्वेद व संतुलित जीवनशैली की जानकारी का प्रसार

मसालपुर | डॉ. रमन स्वारूप शर्मा ने चेनपुर में ग्रामीणों को आयुर्वेद को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि यदि लोग अपनी जीवनशैली में कुछ छोटे-छोटे बदलाव करेंगे, तो वे कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं। डॉ. शर्मा ने ग्रामीणों को एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए उत्साहित किया।
स्वस्थ रहने के उपायों पर बात करते हुए, डॉ. शर्मा ने नियमित जांच-परख, योग करने और संतुलित आहार अपनाने पर जोर दिया। उन्हें विश्वास है कि ये बातें न केवल शरीर को स्वस्थ रखती हैं, बल्कि मानसिक स्थिरता भी प्रदान करती हैं।
इस दौरान, ग्रामीणों को बागवानी के लिए भी प्रेरित किया गया। उन्हें बताया गया कि कैसे औषधीय पौधों जैसे अम्ल, स्वीट नीम, अश्वगंधा, तुलसी, ग्वार पठा और वासा का सेवन स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। इन पौधों के फायदों को समझाते हुए, डॉ. शर्मा ने बताया कि ये पौधे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं।
स्वास्थ्य कार्यक्रम में सरपंच के प्रतिनिधि समाय सिंह मीना, पूर्व सरपंच हरि चरण गोयल, व्यवसायी लखन सिंह जडौन, मुकेश जंगम, पप्पू मीना, बुजुर्ग लखी पटेल, पप्पू पुजारी और कई अन्य ग्रामीणों ने भाग लिया। सभी ग्रामीणों ने आयुर्वेद को अपनाने और स्वस्थ जीवन जीने का संकल्प लिया।
डॉ. शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, जिसमें प्राकृतिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव से रोगों का निदान किया जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोग नियमित रूप से योग करें और ध्यान करें, क्योंकि यह न केवल शारीरिक शक्ति बढ़ाता है, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है।
आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग होता है और उसकी प्रकृति के अनुसार ही उसे आहार लेना चाहिए। डॉ. शर्मा ने कहा कि संतुलित आहार लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें सभी पोषण तत्वों का सम्मिलन होना चाहिए, ताकि शरीर स्वस्थ रहे।
ग्रामीणों को यह भी समझाया गया कि औषधीय पौधों का उपयोग उनके दैनिक जीवन में कैसे किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, तुलसी का सेवन नियमित रूप से करना इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और घुटनों के दर्द में राहत दिलाता है। अश्वगंधा तनाव कम करने में सहायक है और ग्वार पठा पेट में होने वाली समस्याओं में लाभकारी है।
डॉ. शर्मा ने बागवानी के महत्व को भी बताया। उन्होंने बताया कि अपने घर में छोटे-छोटे बागान बनाकर हम अपनी जरूरत की कई औषधियों का उत्पादन कर सकते हैं। इससे न केवल भोजन की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि लोग अपनी आयुर्वेदिक चिकित्सा को भी बढ़ावा दे सकेंगे।
प्रकृति के करीब रहकर और प्राकृतिक उपाय अपनाकर हम अपनी स्वास्थ्य स्थितियों में सुधार कर सकते हैं। डॉ. शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने ध्यान और शारीरिक व्यायाम के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार पर विशेष ध्यान दिया।
स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंत में, डॉ. शर्मा ने सभी से आग्रह किया कि वे नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहें और अपने जीवन में योग और ध्यान को शामिल करें। उन्होंने यह भी कहा कि आयुर्वेद को अपनाकर न केवल स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि एक खुशहाल जीवन जीने का मार्ग भी प्रशस्त कर सकते हैं।
सभी ग्रामीणों ने अपने-अपने जीवन में आयुर्वेद को अपनाने और स्वस्थ जीवन शैली को जीने का संकल्प लिया। कार्यक्रम ने ग्रामीणों के बीच एक नई जागरूकता और उत्साह का संचार किया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि अब ग्रामीण खुद को अधिक स्वस्थ रखने के लिए एकजुट हो रहे हैं और एक-दूसरे की मदद करने के लिए तत्पर हैं।
आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ आयुर्वेद की प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को समझकर लोग एक संतुलित जीवन जीने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। डॉ. शर्मा ने सभी को एक बार फिर याद दिलाया कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा धन है, और इसे संजोना चाहिए।
इस अवसर पर ग्रामीणों ने डॉ. शर्मा को धन्यवाद किया, जिन्होंने उनकी जागरूकता और ज्ञान में वृद्धि की। कार्यक्रम ने सभी को यह स्पष्ट संदेश दिया कि प्राकृतिक और संतुलित जीवन का अनुसरण करना ही एक स्वस्थ और खुशहाल भविष्य की कुंजी है।
इस प्रकार, डॉ. शर्मा के कार्यों से न केवल ग्रामीणों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी, बल्कि उन्होंने एक नई सोच भी विकसित की, जिससे वे अपने जीवन को और अधिक स्वस्थ और संतुलित बना सकें। सभी ने मिलकर एक साझा शपथ ली कि वे आयुर्वेद को अपनाएंगे और अपनी जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन लाएंगे, ताकि वे अपनी और अपने परिवार की स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें।
आखिर में, डॉ. शर्मा ने सभी को धन्यवाद दिया और आशा जताई कि आने वाले दिनों में वे सभी स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकें। सभी ने एक-दूसरे के साथ सहयोग और समर्थन का वादा किया, जिससे एक स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके।