नारनौल में भाजपा विधायक के भाषण के बाद विवाद: यादव सभा ने आरोपों पर जताया रोष

महेंद्रगढ़ में एक विवाद खड़ा हो गया है, जब भाजपा विधायक कंवर सिंह यादव ने यादव सभा के एक कार्यक्रम में कुछ ऐसे बयान दिए, जिनसे सभा के सदस्यों में नाराजगी बढ़ गई है। बयान में कंवर सिंह ने कहा कि यादव सभा का भाजपा के प्रति कोई सम्मान नहीं है और भाजपा के नाम वाले बोर्ड को टॉयलेट में डाल दिया गया है।
इस बयान के बाद न केवल सभा के शुरुआती पदाधिकारी बल्कि कई अन्य लोग भी विधायक के बयान से आहत हुए। उन्होंने कहा कि इस तरह की राजनीति सभा के मंच पर नहीं होनी चाहिए। यादव सभा हमेशा से सभी का समान सम्मान करती है और दानदाताओं के नाम भी अलग-अलग तिथियों के अनुसार दर्शाए गए हैं।
साल 2014 के बाद से भाजपा के नेताओं ने भी दान दिया था, लेकिन मंच पर विधायक के बयान के बाद वहां हंगामा खड़ा हो गया। इसकी स्थिति को देखते हुए विधायक ने बीच में ही अपना भाषण रोक दिया। सभा में दान की सूची में कांग्रेस के चार नेताओं का नाम और भाजपा के बारह नेताओं का नाम दर्शाया गया है।
इस सूची में पूर्व विधायक राव दान सिंह का नाम प्रमुखता से है, जबकि वर्तमान विधायक कंवर सिंह का नाम नजर नहीं आता। कंवर सिंह ने 2023 में अपने भाइयों के साथ मिलकर यादव सभा के पुस्तकालय भवन के लिए दान दिया था, लेकिन उनका नाम इस सूची में नहीं है क्योंकि उस समय वे विधायक नहीं थे। सभा के पदाधिकारियों का कहना है कि यह सूची केवल जनप्रतिनिधियों के नामों की है।
यादव सभा का इतिहास 1998 से शुरू होता है और इसका स्थापना कार्य पूर्व विधायक राव बहादुर सिंह द्वारा किया गया था। इस सभा ने समाज सेवा के लिए कई कार्यक्रम किए हैं और हर साल लाखों रुपये का चंदा भी आता है। सभा में लगभग 3,000 सदस्य शामिल हैं और हर बार सर्वसम्मति से पदाधिकारियों का चुनाव होता है।
इस बीच, विधानसभा में विधायक कंवर सिंह की नाराजगी की एक अन्य वजह भी बताई जा रही है। 16 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्री आरती राव द्वारा एक ओपन जिम का उद्घाटन किया गया था, जिसमें कंवर सिंह का नाम पत्थर पर नहीं लिखा गया, जबकि वे वहां उपस्थित थे। इस मुद्दे को लेकर भी चर्चा चल रही है।
इस सब के बीच भाजपा के अंदर भी एक तरह की बगावत का माहौल है, क्योंकि कुछ नेता टिकट के दावेदार बने हुए हैं। इससे पता चलता है कि महेंद्रगढ़ में राजनीतिक स्थिति काफी संवेदनशील है और इस मामले का असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।
कुल मिलाकर, यह पूरा विवाद भाजपा और यादव सभा के बीच में चल रहा है, जिसमें राजनीतिक तत्व, शिविरों के बीच सम्मान की कमी और प्रभावी दानदाताओं की सूची को लेकर बहस शामिल है। यह स्थिति इस बात की गवाह है कि राजनीति में कैसे व्यक्तिगत नाराजगी और राजनीतिक ताकत का संघर्ष लोगों के बीच मतभेद पैदा कर सकता है।
यादव सभा कोषाध्यक्ष जगदीश यादव ने भी इस बात को स्पष्ट किया कि सभा किसी एक राजनीतिक दल की नहीं है, बल्कि सभी का सम्मान करती है। सभी पार्टियों के नेता सभा में आते हैं और यहां कोई भेदभाव नहीं किया जाता।
इस विवाद की गंभीरता को देखते हुए अगर सुलह नहीं हुई, तो यह महेंद्रगढ़ के राजनीतिक परिदृश्य पर एक बड़ा असर डाल सकता है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राजनीतिक बयानबाजी और व्यक्तिगत असहमति कैसे बड़े मुद्दों को जन्म देती है, जो आज के राजनीतिक माहौल में आम होती जा रही है।
अतः, समय आ गया है कि नेता अपनी जिम्मेदारियों को समझें और ऐसे बयानों से बचें, जो उन्हें और उनके दल को मुश्किल में डाल सकते हैं। राजनीति में सभी को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि अंततः यही एक सशक्त समाज की आवश्यकता है।
हरियाणा की राजनीति में ऐसे मामलों का होना कोई नई बात नहीं है, परंतु यह महत्वपूर्ण है कि इस विवाद को जल्द ही सुलझाया जाए ताकि सभी पार्टियों के बीच समन्वय बना रहे। इससे न केवल भाजपा की छवि प्रभावित होगी, बल्कि यादव सभा की प्रतिष्ठा भी सुनिश्चित रहेगी।
ध्यान देने योग्य है कि इस स्थिति को सही दिशा में ले जाने में सभी का सहयोग आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर से न हों। इसकी शुरुआत विशेष रूप से नेताओं को अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करने से करनी चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति या संस्था अपमानित न हो।
इस संदर्भ में, यह भी ध्यान रखें कि सार्वजनिक मंच पर वाद-विवाद के बारे में उचित आरंभ होना चाहिए, जिससे कि सभी व्यक्तियों को न्याय मिल सके और सामाजिक सद्भावना बनी रह सके। यदि ऐसा होता है, तो यह न केवल राजनीतिक दल के लिए, बल्कि समाज के लिए भी हितकारी होगा।
इसलिए, उम्मीद की जा रही है कि इस विवाद का समाधान जल्द ही निकल आएगा और सभी दल एकदूसरे का सम्मान करने के लिए तैयार होंगे। Agar is prakriya mein kuchh aur bhi mukhya karyakram sahiyog karen, to yah ek shantipurn samaj ki sthaapna mein madadgar hoga.