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विपक्षी गठबंधन के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पूर्व जज सुदर्शन रेड्डी, सीपी राधाकृष्णन का सामना करेंगे।

सुदर्शन रेड्डी: विपक्षी गठबंधन का उपराष्ट्रपति चुनावी उम्मीदवार

विपक्षी गठबंधन ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में पूर्व न्यायाधीश सुदर्शन रेड्डी की घोषणा की है। यह जानकारी मंगलवार को सामने आई, जब गठबंधन ने स्पष्ट किया कि उनका चयन एनडीए द्वारा नामित उम्मीदवार, महाराष्ट्र के गवर्नर सीपी राधाकृष्णन के खिलाफ होगा। उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को आयोजित होंगे।

विपक्ष ने पहले ही यह संकेत दिया था कि एनडीए की ओर से उम्मीदवार की घोषणा होने के बाद ही वह अपना नाम निर्धारित करेंगे। इसके अलावा, विपक्षी गठबंधन ने संयुक्त उम्मीदवार उतारने की योजना भी पहले से बनाई थी। इस प्रक्रिया के तहत, सोमवार की शाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के निवास पर भी एक बैठक का आयोजन किया गया था। हालांकि, उम्मीदवार की औपचारिक घोषणा मंगलवार को की गई।


सुदर्शन रेड्डी का परिचय

सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को हुआ था। उन्होंने न्यायिक करियर की शुरुआत 27 दिसंबर 1971 को की और आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में वकील के रूप में कार्य किया। वर्ष 1990 में, रेड्डी ने लगभग 6 महीने के लिए केंद्र सरकार के लिए एक अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में भी कार्य किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने एक स्थायी वकील के रूप में तथा उस्मानिया विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार के रूप में भी सेवाएँ दी हैं।

2 मई 1995 को, रेड्डी को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद, 5 दिसंबर 2005 को, वे गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने और 12 जनवरी 2007 को भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने 8 जुलाई 2011 को सेवा से समर्थन दिया।


चुनावी दांव

सुदर्शन रेड्डी ने अपने चुनावी मैदान में सभी पार्टियों से सहयोग की अपील की है। हालांकि, यदि आंकड़ों के आधार पर बात करें, तो सीपी राधाकृष्णन की जीत का अनुमान अधिक मजबूत लग रहा है। उनकी स्थिति और अनुभव उन्हें एक मजबूत प्रतिस्पर्धा में लाता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार के चयन के साथ, यह स्पष्ट है कि राजनीतिक समीकरण में काफी बदलाव के संकेत हो रहे हैं। सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी से विपक्षी गठबंधन को एक नई दिशा मिल सकती है, जो उनकी रणनीतिक योजना को प्रभावी कर सकती है।

विपक्षी गठबंधन का यह निर्णय, इससे पहले कि एनडीए ने अपने उम्मीदवार का नाम घोषित किया, एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम है। यह दिखाता है कि विपक्ष ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की योजना बनाई है और वे एकजुटता के साथ चुनाव में उतरने का इरादा रखते हैं।


राजनीतिक परिदृश्य

इन चुनावों में, राजनीति का परिदृश्य काफी तेजी से बदल सकता है। सुदर्शन रेड्डी की स्थिति को देखते हुए, उनके लिए चुनावी मैदान में उतरने का यह अवसर अनुकूल हो सकता है। यह भी संभावित है कि चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थन से वे मजबूत स्थिति में आ सकते हैं।

विपक्षी गठबंधन में विभिन्न दलों का सम्मिलित होना और एकमात्र उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इससे न केवल गठबंधन की सामूहिक ताकत बढ़ने की संभावना है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे एक ठोस रणनीति के तहत चुनाव में उतरने को तैयार हैं।

निष्कर्ष

सुदर्शन रेड्डी जब से चुनावी मैदान में हैं, तब से उनके नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन की एकजुटता और स्पष्टता सामने आई है। यदि उनके पक्ष में सही समर्थन और रणनीतिक योजना होती है, तो वे उपराष्ट्रपति चुनाव में निश्चित रूप से एक बड़ी ताकत बन सकते हैं।

इस घटनाक्रम का राजनीतिक परिणाम केवल उपराष्ट्रपति चुनाव तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे आगे के चुनावों के लिए भी जनता की धारणा को प्रभावित कर सकता है। सुदर्शन रेड्डी का नामांकन और उनके द्वारा की गई अपील राजनीति के रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव की ओर इशारा करती है, जो आगामी चुनाव के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।


इस प्रकार, सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी विपक्षी गठबंधन के लिए एक नई संभावनाओं का दरवाजा खोलती है। राजनीतिक परिदृश्य में इस प्रकार के बदलाव से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में तेजी से हो रहे परिवर्तनों को समझना और उन पर प्रतिक्रिया देना आवश्यक है।

आने वाले समय में हमें इस चुनाव का नतीजा देखने का इंतजार रहेगा, जो न केवल राजनीतिक दलों की स्थिति को प्रभावित करेगा, बल्कि देश की राजनीतिक दिशा को भी निर्धारित करेगा।

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