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79 वर्षीय उषा नाडकर्णी अपने एकाकी जीवन के बारे में चर्चा करती हैं, क्योंकि उनके बेटे और बहू अलग रहते हैं।

टीवी और फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री ऊषा नाडकर्णी, जो ‘पवित्र रिश्ता’ के लिए जानी जाती हैं, ने हाल ही में खुलासा किया है कि वह मुंबई में 79 साल की उम्र में भी अकेली रहती हैं। उनकी एक बेटा, बहू और पोती हैं, लेकिन परिस्थितियों के कारण वे उनके साथ नहीं रह रहे हैं।

### अकेले जीने का अनुभव

ऊषा नाडकर्णी ने बताया कि वह पिछले 38 सालों से अकेले रह रही हैं। जब उन्होंने अकेले रहना शुरू किया, तो उनके मन में भय था, लेकिन अब उन्हें इस जीवनशैली की आदत हो गई है। उनका जन्म 1946 में मुंबई में हुआ था और 1979 में उन्होंने मराठी फिल्म ‘सिंहासन’ से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे को नॉन-वेज बहुत पसंद है, लेकिन वह मेरे साथ नहीं रहता। वह अपने चाचा के घर पर रहता है।”

### दैनिक दिनचर्या

ऊषा बताती हैं कि वह 1987 से अकेली जीवन जी रही हैं, जब उनके बेटे की शादी हुई थी। उनका दिन इस प्रकार बितता है: “सुबह उठते हैं, नाश्ता बनाती हूं, खाना पकाती हूं, नहाने के बाद भगवान की पूजा करती हूं, फिर खाना खाती हूं और फेसबुक पर समय बिताती हूं।”

### परिवार का समर्थन

जब उनसे पूछा गया कि उनका बेटा उनके साथ क्यों नहीं रहता, तो उन्होंने संकेत दिया कि शादी के बाद वह अपने भाई के घर रहने लगा क्योंकि वहां एक बड़ा घर था और उनका भाई उनकी पत्नी के साथ मिलकर बच्चों की देखभाल कर रहा था। उन्होंने बताया कि उनके भाई का घर बोरीवली में है और उनकी पोती के जन्म के कारण पूरा परिवार एक साथ रहने में सहज महसूस करता है।

### सुरक्षा का डर

एकाकी जीवन पर चर्चा करते हुए ऊषा ने कहा, “पहले अकेले रहते समय मुझे डर लगता था। जब मैं इस बिल्डिंग में पहली बार आई थी, तो रात को देर से आने पर वॉचमैन से मदद मांगती थी। लेकिन अब मैं इस जीवन की आदी हो गई हूँ।”

### फिल्म और टीवी करियर

ऊषा नाडकर्णी ने 1986 में ‘मुसाफिर’ फिल्म के साथ हिंदी सिनेमा में कदम रखा। इसके बाद वह कई अन्य फिल्में जैसे ‘प्रतिघात’, ‘नरसिम्हा’, ‘लव’, ‘वास्‍तव’, ‘आर… राजकुमार’ और ‘रुस्‍तम’ में नजर आईं। उन्होंने 1994 में टीवी शो ‘अनहोनी’ से अपने करियर की शुरुआत की और ‘पवित्र रिश्ता’, ‘कुमकुम’, ‘कुछ इस तरह’, और ‘कैसे मुझे तुम मिल गए’ में अपने शानदार अभिनय के लिए पहचान बनाई।

ऊषा नाडकर्णी का जीवन अकेले भी प्रेरणादायक है। उन्होंने सब कुछ स्वीकार किया है और अपने परिवार की स्थिति से खुश रहने की कोशिश कर रही हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अकेले रहने का मतलब हमेशा वंचित होना नहीं होता, बल्कि यह एक स्वतंत्र जीवन जीने का भी एक तरीका हो सकता है।

उनकी सोच यह दर्शाती है कि उन्होंने न केवल अपने करियर में बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी चुनौतियों का सामना किया है और अपने अनुभवों से सीख ली है। वे महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं, जो बताने के लिए तैयार हैं कि उम्र केवल एक आंकड़ा है और आत्मनिर्भरता का मूल्य सबसे बड़ा होता है।

ऊषा नाडकर्णी अकेले रहने की चुनौतियों का सामना करने के साथ-साथ अपने परिवार के प्यार और सहयोग को भी नहीं भूलतीं। उनके लिए परिवार का महत्व हमेशा प्राथमिकता रहेगा, भले ही वे साथ न रहें।

उनका अनुभव और जिजीविषा यह बताती है कि अकेलापन कभी-कभी हमें खुद को बेहतर जानने का मौका देता है, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता प्रदान करता है। इस प्रकार, ऊषा नाडकर्णी केवल एक अभिनेत्री ही नहीं, बल्कि महिलाओं के शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं।

इस कहानी से हमें यह भी समझ में आता है कि परिवार और जीवन परिभाषा से नहीं, बल्कि अनुभवों से बनता है। हर व्यक्ति की यात्रा अद्वितीय होती है, और कई बार, अकेलापन हमें खुद के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने का अवसर भी देता है।

इसलिए, ऊषा नाडकर्णी की कहानी हमें प्रेरित करती है कि हम मुश्किल समय में भी अपने आत्म-विश्वास को बनाए रखें और अपने जीवन को अपने तरीके से जीने का साहस रखें। वे बार-बार यह साबित करती हैं कि उम्र केवल एक संख्या है, और जीवन की गुणवत्ता हमेशा मायने रखती है।

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