मथुरा

यमुना नदी उफान पर, मथुरा में सड़कें जलमग्न, वृंदावन परिक्रमा मार्ग भी अवरुद्ध हुआ।

यूपी में बाढ़ की स्थिति: मथुरा में यमुना नदी का जल स्तर बढ़ा, सड़कें बाधित

यूपी के मथुरा जिले में यमुना नदी अपने उच्चतम स्तर पर पहुँची हुई है। पानी की वृद्धि के कारण नौजहेल शेरगढ़ रोड पर पानी का तेज प्रवाह बह रहा है, जिससे यातायात पर गंभीर असर पड़ा है। नावों के संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है और 39 बाढ़ चौकियों को सतर्क कर दिया गया है। इसके साथ ही, वृंदावन के केसिघाट से सटे अधिकांश परिक्रमां मार्ग भी यमुना के पानी से भर गए हैं, जिससे यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है।

यमुना नदी का जल स्तर हैथिनी कुंड बैराज से 24 घंटे में 1 लाख 78 हजार क्यूसेक पानी जारी करने के बाद अब खतरे के निशान से केवल 19 सेंटीमीटर नीचे है। लगातार बढ़ते जल स्तर के कारण नावों और स्टीमर के संचालन को कड़ाई से रोका गया है। जिला मजिस्ट्रेट ने प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया है।

भारी बारिश के बाद उत्तराखंड में यमुना नदी में पानी की भारी मात्रा आई है। ना केवल यमुना का जल स्तर तेजी से बढ़ा, बल्कि इसकी धारा भी तेजी में आ गई। इससे मथुरा में जलस्तर की समस्या गंभीर होती जा रही है। पिछले चार दिनों में, पानी की मात्रा में कमी आई, लेकिन इसके बावजूद जल स्तर अभी भी खतरे के निकट पहुँच गया है। सोमवार को गोकुल बैराज से आगरा की ओर 83,720 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज किया गया है।

प्रयाग घाट पर यमुना का जल स्तर 165.20 मीटर की चेतावनी के निशान से 61 सेंटीमीटर ऊपर पहुँचा है। लगातार बढ़ते जल स्तर ने तटीय क्षेत्रों में चिंता पैदा कर दी है। रविवार की शाम को यमुना का जल स्तर 166 मीटर तक पहुँच गया और रात में इसके बढ़ने की संभावना अभी भी बनी हुई है। इसके चलते, विश्राम घाट की आरती स्थल को यमुना ने घेर लिया है, और बैरियर लगाकर वृंदावन में केसिघाट की ओर जाने वाले रास्तों को बंद कर दिया गया है।

यमुना के बढ़ते जल स्तर का असर वृंदावन की उस क्षेत्र में भी दिखाई दे रहा है जहां लगातार बारिश और हरियाणा के हठिनी कुंड बैराज से पानी की रिहाई हो रही है। इसके कारण, प्राचीन केसिघाट से सटे यमुना जल स्तर में वृद्धि हुई है। जिला प्रशासन ने चिरघाट क्षेत्र से केसिघाट तक भक्तों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया है।

यमुना के खदर क्षेत्र में निवासियों में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। लोग चिंतित हैं कि यदि पानी और बढ़ता है, तो उनकी कॉलोनियां डूब जाएँगी, जिससे उनके लिए समस्याएँ और बढ़ सकती हैं। इस बाढ़ की स्थिति को देखते हुए, क्षेत्रीय अधिकारियों ने तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

बाढ़ के कारण स्थानीय लोगों को भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों से दूर रहने के लिए कहा गया है। सरकारी जनसूचना तंत्र के माध्यम से लोगों को सूचित किया जा रहा है कि वे सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं। इसके अलावा, प्रशासन ने आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में लोग असुविधा का सामना न करें।

आस-पास के गांवों में भी बाढ़ का प्रभाव दिखने लगा है। कई ग्रामीण इलाकों में पानी भर जाने से फसलें भी बर्बाद हो रही हैं। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में तटीय लोगों के लिए राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां भोजन और अन्य आवश्यक चीजें उपलब्ध कराई जा रही हैं।

बिहार और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी बाढ़ की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि अगले कुछ दिनों में बारिश जारी रह सकती है, जिससे जल स्तर और बढ़ सकता है।

इस संकट के समय में, स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों के द्वारा राहत कार्यों की योजना बनाई जा रही है। गोताखोरों की टीमों को भी तैयार रखा गया है, ताकि किसी भी स्थिति में फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।

बाढ़ की समस्या को देखते हुए, स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने भी लोगों से आग्रह किया है कि वे अधिकारियों द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें और सावधानी बरतें।

इस भयावह स्थिति में, सभी को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है ताकि हम सभी सुरक्षित रह सकें। बाढ़ की स्थितियों के समाधान के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता है। सभी नागरिकों को सुनिश्चित करना होगा कि वे एक-दूसरे का सहयोग करें और सुरक्षित रहकर इस बाढ़ के संकट का सामना करें।

यह बाढ़ की समस्या केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि सभी को मिलकर इसके समाधान के लिए एकजुट होने की जरूरत है।

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