शिक्षा

छत्तीसगढ़ के रौनक ने आठवीं कक्षा पूरी करने में 126 साल लिए! मार्कशीट देखकर हैरान रह जाएंगे आप।

CG News: छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में एक छात्र की अंकसूची में गड़बड़ी

छत्तीसगढ़ राज्य के शिवरीनारायण में एक विद्यार्थियों की अंकसूची में एक गंभीर गलती सामने आई है। धाविका पब्लिक स्कूल के छात्र रौनक सिंह, जो आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है, की जन्मतिथि को लेकर एक बड़ी त्रुटि हो गई है। रौनक की वास्तविक जन्मतिथि 13 फरवरी 2012 है, लेकिन उसकी अंकसूची में यह गलत तरीके से 30 दिसम्बर 1899 लिखी गई है।

विद्यार्थियों और पालकों की परेशानी

यह गलती न केवल रौनक सिंह के लिए बल्कि उसके माता-पिता के लिए भी समस्या का कारण बन रही है। पूर्व माध्यमिक प्रमाण पत्र परीक्षा की अंकसूची में हुई इस त्रुटि के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रौनक के पिता, हरि राम ने इस गंभीर मुद्दे को स्कूल प्रबंधन के सामने रखा, लेकिन स्कूल का कहना है कि उन्होंने सही जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में भेजी थी। स्कूल के अधिकारियों का कहना है कि यह अंकसूची जांजगीर से तैयार होकर आई थी और वे वहाँ से इसे सुधारेंगे।

स्कूल का स्पष्टीकरण

जो जानकारी स्कूल द्वारा दी गई है, उसके अनुसार, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से साफ तौर पर पल्ला झाड़ लिया है। अब सवाल यह उठता है कि यदि सूचना सही तरीके से भेजी गई थी, तो फिर इस प्रकार की भयानक गलती कैसे हुई? इस प्रकार के मुद्दे विद्यार्थियों के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर तब जब उनके आधार पर विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों में प्रवेश लिया जाता है।

उम्र का सही आंकलन

रौनक की जन्मतिथि में इतनी बड़ी गड़बड़ी का क्या मतलब है? यदि 30 दिसंबर 1899 को सही मान लिया जाए, तो रौनक की उम्र 126 वर्ष हो जाएगी। यह तो हास्यास्पद है, क्योंकि उससे पहले ही कोई भी व्यक्ति उम्रदराज हो चुका होता है। इससे स्पष्ट है कि यह केवल एक सांकेतिक गलती नहीं, बल्कि एक गंभीर प्रशासनिक चूक है।

जिम्मेदारी कब तक?

इस प्रकार की गलतियों के लिए जिम्मेदारी तय करने की आवश्यकता है। क्या स्कूल प्रशासन अपनी गलती मानने से भाग रहा है, या जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय को यह समस्या हल करने का काम सौंप दिया गया है? यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षा संस्थानों में ऐसे मानक निर्धारित होने चाहिए जो यह सुनिश्चित करें कि छात्र की पहचान और उनके दस्तावेज सही और सम्पूर्ण हों।

विद्यार्थियों के भविष्य पर प्रभाव

इस घटना से संबंधित रौनक और उसके परिवार को जो तनाव और अनिश्चितता का सामना करना पड़ा है, वह गंभीर है। जब एक विद्यार्थी अपने भविष्य के लिए प्रयास कर रहा होता है, तो उसकी परीक्षाओं, अंकसूचियों और प्रमाण पत्रों का सही होना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। गलतियों का सुधार कभी-कभी काफी समय ले सकता है, और इस दौरान छात्र का शैक्षणिक करियर प्रभावित होता है।

सुधार की प्रक्रिया

जब इस प्रकार की घटनाएँ घटित होती हैं, तो उन पर त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारी को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो सके।

निष्कर्ष

शिक्षा का आधार उचित और सटीक जानकारी होना चाहिए। यदि शिक्षा संस्थान ही इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो विद्यार्थियों के भविष्य के बारे में सोचने की आवश्यकता है। रौनक सिंह की यह कहानी केवल एक अंकसूची की गलती नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाहियां शिक्षा में स्थायी नुकसान पहुँचा सकती हैं। यह आवश्यक है कि सभी संबंधित पक्ष ने इस मुद्दे को गंभीरता से लें, और अपनी जिम्मेदारी निभाएं ताकि विद्यार्थियों का विश्वास शिक्षा प्रणाली में बना रहे।

इस घटना को लेकर माता-पिता, छात्र और शिक्षकों में चिंता और निराशा का माहौल है। अब यह देखना होगा कि स्कूल प्रबंधन और जिला शिक्षा अधिकारी कितनी जल्दी इस समस्या का समाधान करते हैं।

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