अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने अचानक फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ प्रदर्शन किया, क्लास का बहिष्कार और धरना।

AMU छात्रों का विरोध: अचानक हुई फीस बढ़ोतरी ने AMU छात्रों को सड़कों पर उतार दिया
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) इस समय छात्रों के गुस्से का केंद्र बन गया है। यहां अचानक हुई फीस बढ़ोतरी ने छात्रों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने फीस को 36 से 42 प्रतिशत तक बढ़ाने का फैसला किया, जो छात्रों को बिना किसी पूर्व सूचना के पंजीकरण के समय पता चला। यह वृद्धि विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए अत्यधिक बोझिल साबित हुई है।
छात्रों ने इस फीस बढ़ोतरी का विरोध करते हुए कक्षाओं का बहिष्कार किया और ऐतिहासिक बाब-ए-सैयद गेट पर बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन किया। कुछ समूहों ने कुलपति का पुतला भी फूंका। इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिला, जिसमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे असहनीय बताया।
छात्रों के विरोध के बाद झुका विश्वविद्यालय प्रशासन
विरोध के दौरान स्थिति तब और बिगड़ गई जब कुछ प्रॉक्टरों पर छात्रों के साथ बदसलूकी के आरोप लगे। इसके फलस्वरूप चार प्रॉक्टरों ने इस्तीफा दिया, जिसे कुलपति ने स्वीकार कर लिया। लगातार दबाव और विरोध के कारण AMU प्रशासन को अंततः झुकना पड़ा।
विश्वविद्यालय ने यह घोषणा की कि मौजूदा छात्रों के लिए फीस बढ़ोतरी को अधिकतम 20 प्रतिशत तक सीमित किया जाएगा। इसके साथ ही, किस्तों में फीस जमा करने की सुविधा और आर्थिक मदद के उपाय भी लागू किए जाएंगे। हालांकि, कई छात्रों का मानना है कि 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी अनुचित है और इससे कमजोर वर्गों पर बुरा असर पड़ेगा।
छात्रों ने इसके अलावा कई अन्य मांगें भी उठाईं, जैसे कि आठ साल से बंद पड़े छात्रसंघ चुनावों को बहाल करने, हॉस्टल सुविधाओं में सुधार करने, और आरोपित अधिकारियों पर कार्रवाई। इन मांगों के मद्देनज़र, AMU प्रशासन ने एलान किया कि छात्रसंघ चुनाव लिंगदोह समिति के दिशा-निर्देशों के तहत कराए जाएंगे।
AMU: एक ऐतिहासिक विश्वविद्यालय
1875 में सर सैयद अहमद खान द्वारा स्थापित अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी आज एक राष्ट्रीय महत्व की केंद्रीय विश्वविद्यालय है। यह विश्वविद्यालय अक्सर सुर्खियों में रहता है। हाल के घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यहां छात्रों और प्रशासन के बीच विश्वास बहाली एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
छात्रों की इस प्रकार की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं और किसी भी प्रकार के अन्याय को सहन नहीं करेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि वह छात्रों की अपेक्षाओं और समस्याओं को गंभीरता से ले और एक सकारात्मक वातावरण निर्माण करे।
AMU का इतिहास छात्रों के आंदोलनों से भरा हुआ है, जहां कई बार छात्रों ने न केवल अपनी बात रखी है, बल्कि प्रशासन के गलत फैसलों के खिलाफ भी जोरदार आवाज उठाई है। यह विश्वविद्यालय एक ऐसा मंच है जहां छात्र न केवल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।
इस प्रकार के आंदोलनों की आवश्यकता इसलिए भी महसूस होती है कि क्योंकि ये छात्र भविष्य के नेता हैं और समाज में परिवर्तन लाने की क्षमता रखते हैं। उनकी आवाज़ को सुनना और उनकी समस्याओं का समाधान करना केवल उन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को एक बेहतर दिशा में ले जाने का कार्य भी है।
निष्कर्ष
छात्रों का यह प्रदर्शन केवल उनकी फीस के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक संकेत है कि वे अपनी आवाज़ उठाने के लिए तत्पर हैं। यह मुद्दा न केवल AMU तक सीमित है, बल्कि अन्य संस्थानों के लिए भी एक उदाहरण स्थापित करता है कि छात्रों को कभी भी अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। समाज और सरकार को चाहिए कि वह इस आंदोलन को सकारात्मक रूप से ले और छात्रों की समस्याओं का समाधान करे।
इस प्रकार, AMU में चल रहे छात्रों के आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया है कि शिक्षा का लक्ष्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि इसे सामाजिक जिम्मेदारियों और अधिकारों की पहचान करने में भी शामिल करना चाहिए। विश्वास बहाली और संवाद की आवश्यकता इस समय सबसे ज्यादा है, ताकि छात्रों और प्रशासन के बीच संबंधों में मजबूती आ सके।