असीम अरुण ने सर्वोदय विद्यालय के मरम्मत कार्य की गुणवत्ता देखकर जेई की सेवाएं समाप्त कीं।

बरेली में अनियमितता के कारण जेई की सेवा समाप्त
बरेली के भोजीपुरा क्षेत्र में स्थित जयप्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय (बालक) में निर्माण कार्य में अनियमितता पाई गई है। इस बारे में समाज कल्याण विभाग के राज्यमंत्री असीम अरुण ने एक्शन लेते हुए आउटसोर्सिंग पर कार्यरत जूनियर इंजीनियर (जेई) माज खान को तुरंत हटा दिया।
राज्यमंत्री असीम अरुण ने रविवार को विद्यालय का निरीक्षण किया और वहां चल रहे भवन मरम्मत कार्य की गुणवत्ता का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि कार्य की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है। इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने जेई को हटाने का आदेश दिया। साथ ही उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि मरम्मत कार्य को तय मानकों के अनुसार समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाए।
राज्यमंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्वोदय विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं प्रदान करने के लिए 1.5 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है। इस राशि से विद्यालय भवन को नया स्वरूप देने का कार्य किया जा रहा है। उनका उद्देश्य है कि यहां पढ़ने वाले बच्चों को फर्नीचर से लेकर भोजन तक सभी व्यवस्थाएं गुणवत्तापूर्ण तरीके से मिलें।
भोजीपुरा में टाइल्स लगाने के कार्य में लापरवाही के कारण जेई को हटाया गया है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों से जुड़ा प्रत्येक कार्य गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध होना चाहिए। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश भर में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्रों के लिए कक्षा 6 से 12 तक आवासीय सुविधा युक्त 101 सर्वोदय विद्यालय संचालित हो रहे हैं।
अखिलेश यादव का बयान
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मतदान के दौरान कथित वोट चोरी के आरोपों को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री असीम अरुण का एक वीडियो साझा किया, जिसमें वे कन्नौज लोकसभा सीट पर वोट काटे जाने की बात कह रहे हैं।
इस वीडियो को साझा करते हुए अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से सवाल पूछा, “क्या भाजपा के इन विधायकों और उत्तर प्रदेश के मंत्री का एफ़िडेविट चुनाव आयोग को पहुंच गया है? चुनाव आयोग इनके खिलाफ क्या करेगा? इसका शपथपत्र न सही तो श्वेतपत्र दिया जाए।”
शिक्षा की गुणवत्ता और विकास
बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने अनेक सकारात्मक कदम उठाए हैं। इन विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जाता है। सरकार का प्रयास है कि हर बच्चे को एक सशक्त नागरिक बनाने के लिए आवश्यक सुविधाएं और संसाधन प्रदान किए जाएं।
असीम अरुण ने कहा कि सर्वोदय विद्यालय में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेल-कूद, सांस्कृतिक गतिविधियों और अन्य सुधारात्मक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर भी होगा। इससे न केवल उनकी शिक्षा में सुधार होगा, बल्कि उनका समग्र विकास भी होगा।
आउटसोर्सिंग पर ध्यान
जेई माज खान को हटाने का निर्णय दिखाता है कि सरकार आउटसोर्सिंग प्रक्रिया में भी गुणवत्ता पर ध्यान दे रही है। यह महत्वपूर्ण है कि सरकारी योजनाओं और कार्यों के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। इससे न केवल प्रभावित क्षेत्र में विकास रुकता है, बल्कि बच्चों के भविष्य भी संकट में पड़ सकते हैं।
राज्य के विकास के लिए यह आवश्यक है कि सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उन्हें गंभीरता से निभाएं। इसके लिए नियमित निरीक्षण और मूल्यांकन की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि गुणवत्ता और समयबद्धता को सुनिश्चित किया जा सके।
समाज कल्याण विभाग की भूमिका
समाज कल्याण विभाग, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की भलाई के लिए कार्यरत है, ने कई योजनाएं प्रस्तुत की हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य है समाज के हर वर्ग को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर प्रदान करना। सर्वोदय विद्यालयों के माध्यम से विभाग ने ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित 101 सर्वोदय विद्यालयों में बच्चों को कम मूल्य पर या नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके साथ ही ये विद्यालय आवासीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराते हैं, ताकि बच्चे बिना किसी बाधा के अपनी शिक्षा पूरी कर सकें।
निष्कर्ष
अखिलेश यादव का बयान और राज्यमंत्री असीम अरुण के हालिया निर्णय शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों का हिस्सा हैं। सभी विधायकों और सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे अपने कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता को बनाए रखें। इससे न केवल सरकारी योजनाओं में विश्वास बढ़ेगा, बल्कि समाज में शिक्षा और विकास की दौड़ में सभी को शामिल किया जा सकेगा।
राज्य की भविष्य की दिशा निर्धारित करने के लिए आवश्यक है कि सभी हितधारकों, विशेषकर शिक्षकों, अभिभावकों और सरकारी अधिकारियों, को मिलकर कार्य करना होगा। केवल तब ही हम बच्चों के लिए एक बेहतर शिक्षा प्रणाली और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।