श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौतों का विस्तार कर निर्यात और विदेशी मुद्रा में बढ़ोतरी करेगा।

श्रीलंका में व्यापार विस्तार की नई पहल
श्रीलंकाई सरकार अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाने और विदेशी मुद्रा आय को बढ़ाने के उद्देश्य से अधिक मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को लागू करने की योजना बना रही है। उद्योग और उद्यमिता विकास के उपमंत्री चथुरंगा अबेइसिंघे के अनुसार, यह कदम बाजारों का विविधीकरण सुनिश्चित करेगा, जिससे प्रतिस्पर्धी और सशक्त निर्यात क्षेत्र का निर्माण हो सकेगा।
निर्यात क्षेत्र का महत्व
श्रीलंका के लिए निर्यात क्षेत्र की महत्ता अत्यधिक है। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय उत्पादकों और व्यवसायों के लिए भी अवसर प्रदान करता है। जब निर्यात बढ़ता है, तो इससे देश में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होते हैं। अबेइसिंघे के अनुसार, व्यापारिक साझेदारियों का विस्तार करने से न सिर्फ उत्पादों में विविधता आएगी, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रीलंका की भागीदारी भी मजबूत होगी।
बढ़ती विदेशी मुद्रा आय
श्रीलंकाई सरकार मूल्य संवर्धन और ब्रांड पहचान को फिर से सशक्त बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। पिछले साल 2024 में, श्रीलंका ने अपने परिधान निर्यात से 5 अरब डॉलर से अधिक की आय प्राप्त की थी। सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक बढ़ाकर 8 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। यह संकेत करता है कि सरकार निर्यात के क्षेत्र में स्थिर वृद्धि और सुधार पर ध्यान दे रही है।
पूर्व राष्ट्रपतियों के विशेषाधिकार
इसी बीच, जुलाई में, श्रीलंकाई सरकार ने राष्ट्रपतियों के विशेषाधिकार (निरसन) विधेयक को अधिसूचित किया। इस विधेयक का उद्देश्य पूर्व राष्ट्रपतियों और उनकी पत्नियों को दिए जाने वाले विशेष सुविधाओं को समाप्त करना है। कैबिनेट ने 1986 के राष्ट्रपतियों के विशेषाधिकार अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है। इससे सरकार की प्रयास है कि लंबे समय से मिल रही सुविधाओं को खत्म किया जा सके।
सरकारी खर्च में कमी
एक पूर्व मंत्री ने बताया कि 2024 में, सरकार ने पूर्व राष्ट्रपतियों को दी जाने वाली सुविधाओं पर 1.1 अरब श्रीलंकाई रुपये (लगभग 3.7 मिलियन डॉलर) खर्च किए। यह कदम वर्तमान प्रशासन द्वारा सरकारी खर्चों को कम करने और जवाबदेही बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
निष्कर्ष
श्रीलंका की वर्तमान सरकार का यह कदम आर्थिक सुधार और वित्तीय स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। विदेशी मुद्रा आय के बढ़ाने और निर्यात के क्षेत्र में विविधता लाने के लिए उठाए गए इस कदम से देश को वैश्विक बाजार में एक मजबूत स्थिति प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
आने वाले वर्षों में, यदि सरकार अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहती है, तो यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि स्थानीय धातुओं, वस्त्रों और अन्य उद्योगों को भी लाभान्वित करेगा।
यही नहीं, यह कदम अन्य विकसित और विकासशील देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को भी मजबूत करेगा। वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि श्रीलंका अपने उत्पादों की वैश्विक मांग को समझे और बाजार के रुझानों के अनुसार अपने उत्पादन को अनुकूलित करे।
इसी बीच, सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि नई नीतियों और योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन किया जाए। इससे न केवल उद्योग में सुधार होगा, बल्कि इस प्रक्रिया में नागरिकों और स्थानीय व्यवसायों को भी लाभ होगा।
अंत में
श्रीलंका की मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में उठाए गए कदम केवल आर्थिक लाभ के लिए नहीं बल्कि एक सशक्त, विविध और स्थायी निर्यात क्षेत्र के निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए, श्रीलंका को अपने उत्पादों की गुणवत्ता, विपणन रणनीतियों और ग्राहक सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
इस तरह, श्रीलंकाई सरकार का यह दृष्टिकोण कार्यान्वयन के लिए प्रेरणादायक है और आने वाले समय में देश के विकास के लिए एक ठोस आधार तैयार कर सकता है।