तुर्की ने ग्रीस और साइप्रस के जीएसआई ईएमसी प्रोजेक्ट को रोका, जबकि अध्यक्ष एर्दोगन ने भारत के नेता को धमकी दी, भूमध्यसागरीय क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच।

तुर्की ने ईएमसी परियोजना पर रोक लगाई
हाल ही में, तुर्की ने पुष्टि की है कि उसने डेटा कॉरिडोर प्रोजेक्ट (EMC) के सर्वेक्षण कार्य को रोक दिया है। यह निर्णय तुर्की के रक्षा सूत्रों द्वारा तब लिया गया जब जिब्राल्टर झंडा लिए रिसर्च शिप, फुग्रो गॉस, को बिना अनुमति के पानी के खेतों में गतिविधियाँ करने के लिए रोका गया। तुर्की ने इसे अपने महाद्वीपीय शेल्फ का हिस्सा बताया है।
पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की की भूमिका
पूर्वी भूमध्य सागर में, तुर्की ने साइप्रस और ग्रीस के लिए ऊर्जा और कनेक्टिविटी के प्रयासों को बाधित करना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से, दो परियोजनाएँ—ग्रेट सी इंटरकंटर (जीएसआई) और पूर्वी डेटा कॉरिडोर (ईएमसी)—तुर्की के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। इन परियोजनाओं का सफल होना तुर्की के क्षेत्रीय प्रभुत्व को खतरे में डाल सकता है।
तुर्की का दावा है कि ये परियोजनाएँ पूर्वी भूमध्य सागर में उसकी भूमिका को नकारती हैं। अंकारा ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी ऐसी परियोजना को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं देगा जिसमें तुर्की का सहमति या भागीदारी नहीं है।
ईएमसी परियोजना पर रोक
हाल ही में, तुर्की ने ईएमसी परियोजना के सर्वेक्षण कार्य को रोकने की पुष्टि की है। रिसर्च शिप फुग्रो गॉस को अंकारा ने यह कहते हुए रोका कि यह गतिविधियां उसके महाद्वीपीय शेल्फ का उल्लंघन कर रही हैं। फुग्रो गॉस का उद्देश्य साइप्रस और ग्रीस से इज़राइल तक एक फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाना था, जिससे दोनों देशों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। तुर्की के रक्षा मंत्रालय ने इस परियोजना को ‘भड़काऊ’ बताते हुए, कहा कि यह बिना उनकी अनुमति के चल रही है।
तुर्की का ‘ब्लू होमलैंड’ सिद्धांत
यह हालिया कार्रवाई तुर्की के “ब्लू होमलैंड” सिद्धांत का हिस्सा है, जो पूर्वी भूमध्य सागर के विशाल क्षेत्र पर तुर्की के हिस्से का दावा करता है। इस नीति के तहत, तुर्की ने नौसेना और वायु सेना को तैनात किया है, जिसका उद्देश्य उन परियोजनाओं के गतिविधियों को रोकना है जो तुर्की की भूमिका को सीमित करती हैं। अंकारा यह मानता है कि कई ग्रीक द्वीपों जैसे क्रेते, कासोस, और कार्पाथोस, को महाद्वीपीय शेल्फ का अधिकार नहीं है।
इस विषय में तुर्की ने अब तक संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जिससे उसके इरादे स्पष्ट होते हैं। एर्दोगन का निर्णय यह दर्शाता है कि अंकारा सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को रोकने की कोशिश करेगा, जिसमें उसकी भूमिका नहीं है, चाहे वह ऊर्जा क्षेत्र हो या दूरसंचार।
जीएसआई और ईएमसी परियोजनाएँ
ग्रेट सी इंटरकंटर (जीएसआई) परियोजना, जो यूरोपीय संघ के प्रोजेक्ट ऑफ कॉमन इंटरेस्ट का हिस्सा है, एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। इसका लक्ष्य ग्रीस, साइप्रस, और इज़राइल के पावर ग्रिड को जोड़ना है। इस परियोजना के लिए यूरोपीय संघ ने लगभग 657 मिलियन यूरो का वित्त पोषण किया है। हालाँकि, तुर्की की नौसेना ने इस परियोजना के सर्वेक्षण कार्य को रोक दिया है, जिससे इसकी प्रगति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
दूसरी ओर, ईएमसी परियोजना एक अत्याधुनिक फाइबर ऑप्टिक केबल नेटवर्क बनाने का प्रयास है, जो साइप्रस और ग्रीस को इज़राइल और फ्रांस से जोड़ेगा। इसका उद्देश्य यूरोप और मध्य पूर्व के बीच डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाना है। लेकिन, तुर्की ने इस परियोजना के खिलाफ भी वही आक्रामक दृष्टिकोण अपनाया है, जो उसने जीएसआई के खिलाफ अपनाई थी।
विवाद की जड़
इन परियोजनाओं पर तुर्की का विरोध मुख्य रूप से ऐतिहासिक और राजनीतिक कारणों से है। तुर्की का मानना है कि यदि इन परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह न केवल उसकी भू-राजनीतिक स्थिति को कमजोर करेगा, बल्कि इसके आर्थिक हितों को भी नुकसान पहुँचा सकता है। खासकर यह देखते हुए कि सऊदी टेलीकॉम और ग्रीस पब्लिक पावर कॉरपोरेशन जैसी बड़ी कंपनियाँ इन परियोजनाओं का हिस्सा हैं।
निष्कर्ष
तुर्की की यह हालिया कार्रवाई न केवल पूर्वी भूमध्य सागर में उसके मंसूबों और रणनीतियों को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि क्षेत्र में विभिन्न देशों के बीच शक्ति संतुलन और कूटनीतिक स्थिति कितनी बारीकी से जुड़ी हुई है। तुर्की का यह निर्णय विवादास्पद है और इसका प्रभाव न केवल इसके पड़ोसी देशों पर पड़ेगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित करेगा।
पूर्वी भूमध्य सागर में भू-राजनीतिक तनाव की यह स्थिति आगामी दिनों में और भी गहराने की संभावना रखती है, यदि टुर्की अपनी नीतियों में कोई नरमी नहीं लाता। इस समय, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या ग्रीस और साइप्रस जैसे देश अपनी ऊर्जा और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में सफल हो पाते हैं, या तुर्की अपने क्षेत्रीय प्रभुत्व को बनाए रखते हुए इन प्रयासों को और रोकता है।
यह निश्चित है कि इस स्थिति में और भी जटिलताओं का सामना करना पड़ेगा, जो आने वाले समय में क्षेत्र के स्थिरता को प्रभावित करेगा।