बांग्लादेश सेना का प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान पहुंचा, हथियार कारखाने का निरीक्षण करेगा, भारत में बढ़ेगा तनाव – जनरल फैजुर रहमान के नेतृत्व में दौरा।

बांग्लादेश की सेना का पाकिस्तान दौरा: रक्षा संबंधों में नये अध्याय की शुरुआत
16 अगस्त को बांग्लादेश की सेना की टीम, जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल फैजुरहमान कर रहे थे, इस्लामाबाद पहुंची। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करना है। अधिकारियों का यह दौरा कई प्रमुख रक्षा प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करने का कार्यक्रम है और इसे काफी हद तक गुप्त रखा गया है। जानकारी के अनुसार, लेफ्टिनेंट जनरल फैजुरहमान और उनके सहयोगी 24 अगस्त को ढाका लौटेंगे।
सैन्य संबंधों की मजबूती
बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया है। बांग्लादेश का प्रतिनिधिमंडल इस्लामाबाद की यात्रा कर रहा है, जिसके बाद रक्षा सहयोग को एक नई दिशा देने के लिए संभावित निर्णयों पर विचार किया जा सकता है।
इस यात्रा से पहले, बांग्लादेश के सेना के प्रमुख जनरल जामन भी महत्वपूर्ण यात्रा पर चीन जा रहे हैं, जहां वे 22 से 25 अगस्त तक रहेंगे। इस यात्रा का मकसद बांग्लादेश को भारत से दूरी बनाकर चीन-पाकिस्तान के करीब लाना है।
बांग्लादेश के उत्साहवर्धक कदम
बांग्लादेश की सेना और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंधों को लेकर निरंतर संवाद हो रहा है। इस वर्ष जनवरी में, बांग्लादेशी सेना की एक टीम ने पाकिस्तान का दौरा किया और पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल असिम मुनीर के साथ मुलाकात की। इसके पश्चात, पाकिस्तान से आई एक खुफिया टीम ने बांग्लादेश का दौरा किया। ये सभी गतिविधियां यह दर्शाती हैं कि दोनों देशों का सैन्य नेतृत्व आपस में लगातार सक्रिय है।
रक्षा खर्च में वृद्धि
8 अगस्त 2024 को, मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने रक्षा पर खर्च में बढ़ोतरी का फैसला लिया है। यह कदम भारत की चिंताओं को बढ़ा सकता है, क्योंकि बांग्लादेश का यह रुख तेजी से बदल रहा है। पूर्व पीएम शेख हसीना को भारत का सहयोगी माना जाता था, लेकिन अब बांग्लादेश ने अपने रक्षा सहयोग को Türkiye, पाकिस्तान, चीन और अमेरिका की ओर बढ़ाने पर जोर दिया है।
भारत के लिए चिंताएं
बांग्लादेश का ऐसा रुख भारत के लिए नई चुनौतियां ला सकता है। बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की गतिविधियां पूर्वोत्तर भारत में अशांति पैदा कर सकती हैं। अतीत में, देखा गया है कि आईएसआई ने उत्तर पूर्वी राज्यों के गुटों का समर्थन किया था, जिससे भारत के खिलाफ सक्रियता बढ़ी थी। वर्तमान में भी विश्लेषक ऐसी गतिविधियों की पुनरावृत्ति की आशंका जता रहे हैं।
इस प्रकार, बांग्लादेश की सेना का हालिया दौरा और सुरक्षा संबंधों में बदलावों की इस लहर को देखकर यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक और सैन्य रणनीतियाँ तेजी से बदल रही हैं। यह न केवल बांग्लादेश के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया के क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण समय है।