अपनी सादगी के लिए हमेशा याद किए जाएंगे रामदास सोरेन, शिक्षा मंत्री के निधन पर झारखंड में एक दिन का शोक

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का 62 साल की उम्र में निधन हो गया. शुक्रवार (15 अगस्त) को दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने आखिरी सांस ली. रामदास सोरेन बीते 2 अगस्त को दिल्ली के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुए थे. झारखंड सरकार ने शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन पर शनिवार को एक दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की. झारखंड में सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी आधिकारिक समारोह आयोजित नहीं किया जाएगा.
अब रामदास सोरेन का शव शनिवार (16 अगस्त) को रांची लाया गया है. रामदास सोरेन के निजी सचिव अजय सिन्हा ने कहा कि शिक्षा मंत्री का पार्थिव शरीर सुबह रांची के बिसरा मुंडा हवाई अड्डे पर लाया गया. रांची में उनका शव विधानसभा परिसर में रखा जाएगा जहां मंत्री, विधायक और राजनीतिक नेता उन्हें श्रद्धांजलि देंगे.
इसके बाद पार्थिव शरीर को उनके विधानसभा क्षेत्र घाटशिला ले जाया जाएगा, जहां यह मऊ भंडार मैदान और जेएमएम शिविर कार्यालय में रखा जाएगा. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता को दो अगस्त को आवास के बाथरूम में गिरने के बाद जमशेदपुर से राष्ट्रीय राजधानी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन के निधन पर शोक व्यक्त किया. हेमंत सोरेन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “रामदास दा (भाई) को हमें इस तरह छोड़कर नहीं जाना चाहिए था. दादा को अंतिम प्रणाम.”
सादगी के लिए याद किए जाएंगे रामदास सोरेन
रामदास सोरेन को उनकी सादगी, जमीनी स्तर से जुड़ाव और सार्वजनिक सेवा के प्रति अटूट समर्पण के लिए हमेशा याद रखा जाएगा. रामदास सोरेन का जन्म 1 जनवरी, 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोराबंदा गांव में हुआ था. वे एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार से थे.
प्रधान से मंत्रिमण्डल तक का सफर
रामदास सोरेन ने अपनी राजनीतिक यात्रा घोरबंदा पंचायत के ग्राम प्रधान के रूप में शुरू की थी. फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक बन गए. वे साल 1990 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के जमशेदपुर पूर्व के अध्यक्ष बने.
इसके बाद वे घाटशिला चले गए और 2005 के विधानसभा चुनाव में वहां से चुनाव लड़ने की तैयारी करने लगे, लेकिन यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई, जो झामुमो की गठबंधन सहयोगी थी. फिर, उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. तीन बेटों और एक बेटी के पिता, सोरेन ने 2009 का विधानसभा चुनाव घाटशिला से लड़ा और पहली बार झारखंड विधानसभा के सदस्य बने.
चंपाई सोरेन के जाने के बाद मंत्रिमंडल में शामिल हुए रामदास सोरेन
वह 2014 में बीजेपी के लक्ष्मण टुडू से सीट हार गए थे, लेकिन उन्होंने 2019 में जोरदार वापसी करते हुए सीट पर फिर से कब्जा कर लिया. रामदास सोरेन ने 2024 में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बीजेपी के बाबूलाल सोरेन को हराकर तीसरी बार सीट जीती.
चंपाई सोरेन के मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें 30 अगस्त को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. हेमंत सोरेन सरकार में उन्हें स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग का मंत्री बनाया गया था.
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