रिद्धिमा ने अंगुलियों के सहारे लिखी सफलता की कहानी, IIT तक का सफर बना मिसाल

कानपुर की गलियों से निकलकर आईआईटी जैसे बड़े सपने को पूरा करना वैसे ही मुश्किल है, लेकिन अगर जिंदगी में बीमारी जैसी चुनौती भी हो, तो यह सफर और कठिन हो जाता है. फिर भी, कानपुर की रिद्धिमा पॉल ने यह कर दिखाया. जन्म से स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रही रिद्धिमा ने कभी हार नहीं मानी और अपने सपनों को जीने का हौसला रखा.
रिद्धिमा का शरीर कमजोर है, चल-फिर नहीं सकतीं, व्हीलचेयर पर रहती हैं, लेकिन उनका दिमाग और हौसला किसी से कम नहीं. इस साल वह आईआईटी कानपुर में दाखिला लेकर कंप्यूटर साइंस में अपना करियर बनाने जा रही हैं. 2025-26 तक उनकी पढ़ाई पूरी होगी और वो एक बेहतरीन सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का सपना देख रही हैं.
बचपन से ही दिखा था जज़्बा
रिद्धिमा बताती हैं कि उनका बचपन बाकी बच्चों से अलग था. स्कूल में खेलने-कूदने का मौका नहीं मिला, लेकिन पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं. परिवार ने भी कभी उनके हौसले को टूटने नहीं दिया. बीमारी के बावजूद उन्होंने क्लास 12 में शानदार अंक लाकर सभी को चौंका दिया.
हर दिन एक नई चुनौती
रिद्धिमा कहती हैं कि “मेरे लिए हर दिन एक नई चुनौती लेकर आता है. यह सिर्फ शारीरिक परेशानी की बात नहीं, बल्कि मानसिक मजबूती की भी परीक्षा होती है. कई बार हालात ऐसे होते हैं कि आगे बढ़ना मुश्किल लगता है, लेकिन जब मन में सपना हो और परिवार का साथ हो, तो कुछ भी नामुमकिन नहीं रहता.”
आईआईटी का सपना कैसे पूरा हुआ?
रिद्धिमा का सपना था कि वह देश के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में पढ़ें. उन्होंने जेईई (JEE) की तैयारी घर पर बैठकर ऑनलाइन क्लासेस के जरिए की. कभी-कभी बिजली या इंटरनेट की दिक्कत आती, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. हर दिन घंटों पढ़ाई की और रिजल्ट आने पर उनका नाम आईआईटी कानपुर में चुन लिया गया.
विदेश में इलाज की उम्मीद
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज भारत में पूरी तरह उपलब्ध नहीं है. इस बीमारी में मांसपेशियां धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं. रिद्धिमा का कहना है कि उनका सपना सिर्फ पढ़ाई पूरी करना ही नहीं, बल्कि इलाज करवाकर एक सामान्य जिंदगी जीना भी है. इसके लिए उन्हें विदेश जाना पड़ेगा, जहां इलाज का खर्च बहुत ज्यादा है. बॉलीवुड एक्ट्रेस बेटी मेघना ने भी रिद्धिमा की मदद करने का वादा किया है. सोशल मीडिया पर उनकी कहानी वायरल होने के बाद कई लोग आगे आए हैं, ताकि वह इलाज के लिए जरूरी रकम जुटा सकें.
आईआईटी पहुंचकर क्या करना चाहती हैं रिद्धिमा?
रिद्धिमा चाहती हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वह ऐसे सॉफ्टवेयर और ऐप्स बनाएं जो शारीरिक रूप से कमजोर लोगों की मदद कर सकें. वह कहती हैं मैं चाहती हूं कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ मुनाफा कमाने के लिए नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने के लिए हो.
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