खाने में नमक नहीं खाते थे महात्मा गांधी, डॉक्टरों ने दी थी चेतावनी; जानिए ऐसा करने से क्या हो…

Mahatma Gandhi no Salt Diet: खाने में नमक का स्वाद हर व्यंजन को खास बनाता है. लेकिन महात्मा गांधी ने अपने जीवन में नमक का सेवन लगभग पूरी तरह से छोड़ दिया था. यह आदत सिर्फ उनके स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि उनके आहार-साधना और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक था.
गांधीजी ने क्यों छोड़ा था नमक
1939 में महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी गंभीर रूप से बीमार हो गई थीं. उस वक्त गांधीजी ने एक प्रतिज्ञा ली थी कि, अगर कस्तूरबा स्वस्थ हो जाएंगी, तो वे अपने आहार से नमक पूरी तरह हटा देंगे. यह कदम उनके आत्म-नियंत्रण और बलिदान की भावना का प्रतीक बन गया था. ध्यान देने वाली बात यह है कि गांधीजी ने 1930 में भी नमक को लेकर सत्याग्रह किया था, लेकिन यह उनका व्यक्तिगत आहार संबंधी निर्णय था.
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डॉक्टरों की चेतावनी और स्वास्थ्य संबंधी जोखिम
डॉ. विपुल इंदौरा बताते हैं कि नमक, यानी सोडियम, हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक है. यह शरीर में पानी का संतुलन बनाए रखने और मांसपेशियों के लिए जरूरी है. लंबे समय तक नमक न लेने से शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
- ब्लड प्रेशर में गिरावट – बहुत कम नमक लेने से ब्लड प्रेशर असामान्य रूप से कम हो सकता है
- कमजोरी और थकान – शरीर में ऊर्जा की कमी और लगातार थकान महसूस हो सकती है
- इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन – सोडियम की कमी से दिल की धड़कन और अन्य शारीरिक क्रियाएँ प्रभावित हो सकती हैं
- सिरदर्द और चक्कर – अक्सर नमक न लेने वाले लोगों को यह समस्या हो सकती है
महात्मा गांधी का नमक त्याग केवल स्वास्थ्य के लिहाज से ही नहीं, बल्कि उनके नैतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण का भी प्रतीक था. उनका जीवन हमेशा सत्य, सरलता और संयम का उदाहरण रहा. गांधीजी ने शरीर को नियंत्रण में रखने के लिए ऐसे आहार नियम अपनाए, जो उनके जीवन के लिए बेहतर था.
आज के वैज्ञानिक और पोषण विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि, शरीर को संतुलित मात्रा में सोडियम की आवश्यकता होती है. अत्यधिक नमक या बिल्कुल भी नमक न लेने से दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. गांधीजी के आदर्शों से प्रेरणा लेना सही है, लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान रखना और संतुलन बनाए रखना आवश्यक है.
महात्मा गांधी का नमक त्याग उनका फैसला था. लेकिन डॉक्टरों की चेतावनी यह याद दिलाती है कि, स्वास्थ्य के बिना जीवन दर्शन का पालन करना भी मुश्किल है. संयम जरूरी है, लेकिन स्वास्थ्य सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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