स्वास्थ्य

नींद नहीं आती है तो बजाना शुरू कर दें शंख, महज इतने दिन में दिखने लगेगा असर

नींद न आने की समस्या आजकल बहुत आम हो गई है. इसका असर न केवल हमारी सेहत पर बल्कि हमारे दैनिक जीवन पर भी पड़ता है. हाल ही में ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित हृदय देखभाल केंद्र और रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक ऐसा शोध किया है, जो नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है. इस शोध के अनुसार, शंख बजाना नींद न आने की बीमारी में काफी असरदार साबित हुआ है और महज 6 महीनों के भीतर इस विधि से सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.

शंख बजाने की प्रक्रिया और लाभ

शंख बजाना एक पुरानी पारंपरिक तकनीक है, जिसे अब वैज्ञानिक तौर पर भी प्रमाणित किया गया है. शोध के अनुसार, शंख बजाने से गले और तालु की मांसपेशियां मजबूत होती हैं. यह प्रक्रिया शरीर में रक्त प्रवाह को बेहतर करती है और दिमाग को शांति प्रदान करती है. साथ ही, शंख बजाने से नाक में जमा वायु का संचलन सुधरता है, जिससे सांस लेने में आसानी होती है और ऑक्सीजन का स्तर बेहतर होता है. इस प्रकार, यह तरीका नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने में मददगार होता है.

शोध में मिले आश्चर्यजनक परिणाम

रिसर्च के दौरान शोधकर्ताओं ने नींद न आने की समस्या से ग्रस्त मरीजों को रोजाना कम से कम 5 दिन तक 15 मिनट तक शंख बजाने का अभ्यास कराया. 6 महीनों की नियमित प्रक्रिया के बाद मरीजों के नींद के पैटर्न में सुधार देखा गया. शोध में यह भी पाया गया कि इस विधि को अपनाने वाले 34% मरीजों को गहरी और अच्छी नींद मिली, जबकि सामान्यतः नींद न आने की समस्या वाले मरीजों की संख्या इससे ज्यादा होती है.

वैज्ञानिकों का क्या कहना है?

डॉ. बक्शी, जो इस शोध के मुख्य वैज्ञानिक हैं, कहते हैं कि शंख बजाने से शरीर में तनाव कम होता है और दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इससे मानसिक शांति मिलती है और नींद की समस्या दूर होती है. शंख बजाने की प्रक्रिया में गले की मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जो कि सांस लेने के मार्ग को खोलने में सहायक होता है. इससे श्वास संबंधी परेशानियों से राहत मिलती है और नींद बेहतर होती है.

किसे और कैसे करना चाहिए शंख बजाना?

नींद की समस्या से पीड़ित लोग, विशेषकर जो स्नोरिंग (खर्राटे) और सांस की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, वे इस तकनीक का लाभ उठा सकते हैं. शुरुआत में इस अभ्यास को एक विशेषज्ञ की निगरानी में करना चाहिए ताकि सही तकनीक सीखी जा सके. धीरे-धीरे इसे रोजमर्रा की दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है. शंख बजाने का अभ्यास ना केवल नींद की समस्या में राहत देता है बल्कि यह मानसिक तनाव को भी कम करता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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