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Pitru Paksha 2025: चंद्र ग्रहण का अद्भुत संयोग, श्राद्ध से मिलेगा पितरों का आशीर्वाद! जानें सही…

पितृ पक्ष 2025 और चंद्र ग्रहण का विशेष योग: इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 से शुरू होगा, जो पूर्णिमा तिथि है, और 21 सितंबर 2025 को सर्व पितृ अमावस्या पर समाप्त होगा.

इस अवधि में पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा, जो भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, अमेरिका और अंटार्कटिका में दिखाई देगा. भारत में यह ग्रहण संपूर्ण रूप से दिखाई देगा, जिससे इसका धार्मिक प्रभाव और बढ़ जाएगा.

पितरों का महत्व: हमारे पूर्वज यानी पितर भी देवी-देवताओं की तरह जीवन में सुख, शांति और मंगल कार्यों में योगदान देते हैं. मान्यता है कि वे पितृलोक में रहते हैं, लेकिन पितृ पक्ष के 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं. इन दिनों में श्रद्धा और विधि से तर्पण, अर्पण और दान करने की परंपरा है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले और वे तृप्त होकर आशीर्वाद दें.

श्राद्ध और तर्पण का सही समय
देवताओं की पूजा जहां सुबह या शाम को होती है, वहीं पितरों के लिए दोपहर का समय श्रेष्ठ है. सुबह स्नान और नित्यकर्म के बाद, दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच तर्पण और अर्पण करना सबसे उचित माना गया है. इस समय किया गया कर्म पितरों तक जल्दी पहुंचता है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.

पितृ दोष से जुड़ी मान्यता
जो लोग पितरों का सम्मान नहीं करते या पितृ पक्ष में उन्हें याद नहीं करते, उनकी कुंडली में पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है. इसके कारण जीवन में रुकावटें, आर्थिक समस्याएं, वैवाहिक तनाव और स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां हो सकती हैं. इसीलिए पितृ पक्ष के 15 दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं.

पितरों के लिए क्या करें?

  • तिल, कुशा और जल से तर्पण करें.
  • ब्राह्मण को भोजन करवाएं और दान दें.
  • अनाथ, गरीब और जरूरतमंदों की मदद करें.
  • घर में अनावश्यक विवाद से बचें और शांत वातावरण रखें.

पितृ पक्ष 2025: सभी श्राद्ध तिथियां

  • 7 सितंबर – पूर्णिमा श्राद्ध
  • 8 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध
  • 9 सितंबर – द्वितीया श्राद्ध
  • 10 सितंबर – तृतीया व चतुर्थी श्राद्ध
  • 11 सितंबर – पंचमी श्राद्ध
  • 12 सितंबर – षष्ठी श्राद्ध
  • 13 सितंबर – सप्तमी श्राद्ध
  • 14 सितंबर – अष्टमी श्राद्ध
  • 15 सितंबर – नवमी श्राद्ध
  • 16 सितंबर – दशमी श्राद्ध
  • 17 सितंबर – एकादशी श्राद्ध
  • 18 सितंबर – द्वादशी श्राद्ध
  • 19 सितंबर – त्रयोदशी श्राद्ध
  • 20 सितंबर – चतुर्दशी श्राद्ध
  • 21 सितंबर – सर्व पितृ अमावस्या
  • 22 सितंबर – मातामह (नाना) श्राद्ध

पितृ पक्ष में क्या न करें?

  • घर में मांसाहार, मदिरा या नशे का सेवन न करें.
  • पेड़ या पालतू जानवरों को बिना वजह नुकसान न पहुंचाएं.
  • पितृ पक्ष में किसी का अपमान या अनावश्यक गुस्सा न करें.

पितृ आशीर्वाद के लाभ

  • पितृ पक्ष में श्रद्धा और प्रेम से किया गया तर्पण व दान:
  • परिवार में सुख-शांति लाता है.
  • आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है.
  • संतान के जीवन में तरक्की का मार्ग खोलता है.
  • रोग और संकट से रक्षा करता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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