भारत पर 50% टैरिफ से ग्रोथ को पहुंचेगी चोट, छलांग लगाती इकोनॉमी की बस इतनी रह जाएगी रफ्तार,…

US Tariffs Impact On GDPl: अमेरिकी टैरिफ भारत की इकोनॉमी के सामने सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़ा हो गया है. इसकी वजह से न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित होगा बल्कि निर्यात से लेकर हर सेक्टर पर इसका असर महसूस होने की आहट सुनाई देने लगी है. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने शुक्रवार आगाह करते हुए कहा कि अगर अमेरिका 27 अगस्त से भारतीय निर्यात पर कुल 50 प्रतिशत आयात शुल्क लागू कर देता है, तो वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6 प्रतिशत रह जाएगी. यह अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए 6.3 प्रतिशत वृद्धि दर के मौजूदा पूर्वानुमान से 0.3 प्रतिशत अंक कम है.
हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भारत की मजबूत घरेलू मांग और सेवाओं के क्षेत्र की मजबूती अमेरिकी शुल्क के दबाव को कुछ हद तक कम करने में सफल रहेगी. इसके साथ ही मूडीज ने कहा कि उच्च अमेरिकी शुल्क पर भारत की प्रतिक्रिया से ही यह तय होगा कि इसका भारत की आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति और बाह्य स्थिति (external position) पर क्या असर पड़ेगा.
डबल टैरिफ से ग्रोथ को झटका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त को भारतीय आयात पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क की घोषणा की थी. इसके साथ ही 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर लगने वाला कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगा.
मूडीज ने कहा कि भारतीय आयात पर लगाया गया 50 प्रतिशत शुल्क, एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अन्य देशों पर लागू 15-20 प्रतिशत शुल्क की तुलना में कहीं अधिक है. लंबे समय में इसका असर भारत के विनिर्माण क्षेत्र, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे मूल्यवर्धित क्षेत्रों की विकास योजनाओं पर पड़ सकता है.
सस्ते तेल से मुद्रा स्फिति नियंत्रण में मदद
एजेंसी ने यह भी कहा कि भारत के पास बाहरी अस्थिरता से निपटने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और सरकार संभवतः धीरे-धीरे राजकोषीय और ऋण नियंत्रण पर अपना ध्यान बनाए रखेगी.
मूडीज ने बताया कि वर्ष 2022 के बाद से भारत ने रूस से सस्ते कच्चे तेल का आयात किया है, जिससे उसे मुद्रास्फीति और चालू खाते के घाटे पर दबाव कम करने में मदद मिली है. वर्ष 2024 में भारत का रूस से तेल आयात बढ़कर 56.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि 2021 में यह केवल 2.8 अरब डॉलर था.