पाकिस्तान ने फिर अलापा कश्मीर का राग, कहा- ‘अमेरिका या किसी भी दूसरे देश की मध्यस्थता…’

कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान ने एक बार फिर बिना सिर पैर वाली बात की है. पाकिस्तान ने शुक्रवार को बयान दिया कि कश्मीर मसले के समाधान के लिए वह अमेरिका समेत किसी भी देश की मदद लेने के लिए तैयार है. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि पाकिस्तान न केवल अमेरिका से, बल्कि किसी भी ऐसे देश से मदद का स्वागत करेगा जो कश्मीर विवाद को हल करने और स्थिति को स्थिर करने में मदद कर सके. उन्होंने कहा कि यह विवाद दक्षिण एशिया में शांति और सुरक्षा के मुद्दों के केंद्र में है.
भारत का रुख स्पष्ट: तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार
भारत लगातार यह कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत में किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं चाहता. 1972 के शिमला समझौते में भी दोनों देशों के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया गया था. भारत ने यह भी साफ किया है कि वह पाकिस्तान के साथ केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी और आतंकवाद के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा.
मई के संघर्ष के बाद कोई संपर्क नहीं
मई में दोनों देशों के बीच हुए चार दिवसीय संघर्ष के बाद से किसी भी तरह का आपसी संपर्क नहीं हुआ है. खान ने कहा कि पाकिस्तान इस मुद्दे के समाधान के लिए अमेरिका की रुचि का स्वागत करता है, लेकिन भारत को अपना मन बनाना होगा. फिलहाल, दोनों पक्षों के बीच नियमित राजनयिक संपर्क के अलावा कोई बातचीत नहीं हो रही है.
आतंकवाद, अफवाहों और आरोपों पर प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में आतंकवाद पर बोलते हुए खान ने कहा कि अफगानिस्तान से फैल रहे आतंकवाद के मुद्दे को कई बार उठाया गया है. उन्होंने खनिज निकालने के लिए अमेरिका के साथ किसी गुप्त समझौते की खबरों को खारिज किया और यूक्रेन संघर्ष में पाकिस्तानी नागरिकों की संलिप्तता के आरोपों को “बेबुनियाद” बताया. खान ने कहा कि यूक्रेन के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान से औपचारिक संपर्क नहीं किया है.