Budh Shani Vakri 2025: बुध-शनि वक्री से भारत में राजनीतिक भूचाल! महंगाई, अस्थिरता और बड़े…

Budh Shani Vakri 2025: 18 जुलाई 2025 से गोचर में बुध और शनि के वक्री का संयोग बना हुआ है, बुध वक्री होकर कर्क राशि में प्रवेश कर चुका हैं, वहीं शनि पूर्व में ही मीन राशि में वक्री हो चुका है.
यह समय 10 अगस्त 2025 तक भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्था, आमजन जीवन, विदेश नीति तथा जलवायु पर व्यापक प्रभाव डालने वाला सिद्ध होगा.
इस काल की गोचर स्थिति संक्षेप में
- बुध – वक्री होकर कर्क राशि में
- शनि – मीन में वक्री
- सूर्य – कर्क में
- चंद्र – मेष में
- राहु – कुंभ में
- केतु – सिंह में
- शुक्र – वृषभ में
- बृहस्पति – मिथुन में
- मंगल – सिंह में
प्रमुख मेदिनी ज्योतिष श्लोक व सूत्र
बृहत्संहिता वराहमिहिर (यदि शनि वक्री सुतसप्तमस्थो भूत्वा चंद्रदृष्टियुक्तो भवति तदा राष्ट्रे क्षुधा, व्याधि, गुप्तद्रोहश्च जायते)
- शनि का वक्री होकर चंद्र या सूर्य दृष्टि में आना, जनता में रोग, विद्रोह और भूख का कारण बनता है.
नारद संहिता (बुधः वक्री यदि चन्द्रराशौ वा सूर्यसमिपे वा तिष्ठति, तदा राजदण्ड दोषाः व्याप्नोति राष्ट्रं च)
- वक्री बुध जब चंद्र या सूर्य की राशियों में स्थित हो, तो शासकीय स्तर पर गड़बड़ियाँ होती हैं.
राजनीति, जन-जीवन व विश्व संबंधों पर प्रभाव
इस गोचर काल में भारत की राजनीति विशेष रूप से अस्थिरता से ग्रस्त रहेगी. शनि का वक्री होना यह दर्शाता है कि पूर्ववर्ती निर्णयों पर पुनर्विचार होगा, विशेषकर आर्थिक और विदेश नीति से जुड़े मामलों में. बुध का वक्री होना सरकारी संचार तंत्र, मीडिया और प्रशासनिक गलतफहमियों को जन्म देगा.
इस समय सोशल मीडिया, कोर्ट केस, और विपक्षी दलों द्वारा सरकार पर दबाव का वातावरण निर्मित रहेगा.
इस काल में महंगाई और मानसून असंतुलन की बनेगी समस्या
जनसामान्य की दृष्टि से यह काल महंगाई, मानसून असंतुलन, और रोजगार संकट के संकेत देता है. सोना, तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने की आशंका रहेगी. इसी अवधि में कुछ विशेष न्यायिक फैसले और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाइयां चर्चित हो सकती हैं.
विदेशों से संबंधों में भी असंतुलन दिखाई देगा, विशेषकर अमेरिका, चीन और पड़ोसी देशों से.
राजनीती
- केंद्र सरकार पर जनविरोध और विपक्षी दबाव बढ़ेगा
- कुछ मंत्रियों का इस्तीफा या पदच्युत होने की संभावना
- नीति आयोग/योजना में महत्वपूर्ण फेरबदल
आर्थिक स्थिति
- खाद्य वस्तुओं में मूल्य वृद्धि
- सोना 27 जुलाई तक ऊंचाई पर, फिर गिरावट
- शेयर बाजार में अस्थिरता, विशेषकर IT और बैंकिंग सेक्टर में
आम जन जीवन
- बाढ़/अत्यधिक वर्षा से जनहानि
- सरकारी सेवाओं में असमर्थता, शिक्षा और संचार में अव्यवस्था
- बिजली, पानी और ट्रांसपोर्ट जैसे मुद्दों में अस्थिरता
भारत की कुंडली पर प्रभाव
- केंद्र में बैठे नेतृत्व पर न्यायिक या संवैधानिक दबाव
- वक्री शनि दशम भाव में → प्रशासनिक अड़चनें
- बुध वक्री तृतीय भाव → संचार/प्रेस से टकराव
विदेश संबंध
- नेपाल, चीन, पाकिस्तान से संबंधों में कड़वाहट
- विदेशों से आए निवेश पर ब्रेक या नकारात्मक खबरें
- विश्व मंच पर भारत की छवि पर प्रश्नचिह्न
विशेष तिथियां और संभावित घटना
- 18 जुलाई: बुध वक्री आरंभ – नीतिगत भ्रम और घोषणाएँ रुकीं
- 21 जुलाई: चंद्र-राहु दृष्टि – प्राकृतिक आपदा की आशंका
- 25 जुलाई: मंगल-केतु युति – विरोध/हिंसा संभावित
- 30 जुलाई: गुरु-मंगल दृष्टि – धार्मिक मुद्दों पर राजनीति
- 3 अगस्त: कोर्ट के बड़े निर्णय या खुलासा
- 9-10 अगस्त: ग्रहों की स्थिति शांति की ओर – सुधार की शुरुआत
राशियों पर प्रभाव
- मेष: मान-सम्मान में कमी, परिवारिक असंतोष
- वृषभ: खर्च अधिक, मानसिक द्वंद्व
- मिथुन: स्वास्थ्य संबंधित सावधानी आवश्यक
- कर्क: निर्णय में भ्रम, दांपत्य जीवन में तनाव
- सिंह: प्रशासनिक बाधा, आत्मविरोध
- कन्या: गोपनीय शत्रु सक्रिय, स्वास्थ्य व्यय
- तुला: लाभ में बाधा, कार्यस्थल पर अस्थिरता
- वृश्चिक: संघर्ष के बाद सफलता
- धनु: वाद-विवाद, वरिष्ठों से मतभेद
- मकर: विदेश यात्रा में रुकावट
- कुम्भ: धन हानि, दिमागी अस्थिरता
- मीन: निर्णय ग़लत दिशा में, भावनात्मक तनाव
निष्कर्ष
यह समय मेदिनी दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है. विशेष रूप से सरकार, व्यापार और जनजीवन में जो भी निर्णय लिए गए हैं, उन पर पुनर्विचार, संशोधन और जांच की स्थिति निर्मित होगी. यह काल स्पष्ट रूप से “नीति परीक्षण काल” है, जहां विफलताएं उजागर होंगी और सतर्क लोगों को आगे का मार्ग प्रशस्त करने का अवसर मिलेगा.
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