लोकसभा में हंगामे के बीच पास हुआ मर्चेंट शिपिंग बिल, विपक्ष बिहार SIR को लेकर कर रहा चर्चा की…

लोकसभा ने बुधवार (6 अगस्त, 2025) को मर्चेंट शिपिंग विधेयक, 2024 (Merchant Shipping Bill, 2024) को ध्वनि मत से पारित कर दिया. इस विधेयक के पारित होने के साथ ही देश में 1958 का पुराना मर्चेंट शिपिंग एक्ट (Merchant Shipping Act) अब इतिहास बन जाएगा. विधेयक को पारित करते समय सदन में विपक्षी सांसदों ने बिहार के मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision/SIR) मामले को लेकर जोरदार हंगामा किया. जिसके चलते इस बिल पर चर्चा नहीं हो सकी और बिल औपचारिक चर्चा के बिना ही हंगामे के बीच पारित हो गया.
नए मर्चेंट शिपिंग बिल में क्या हैं मुख्य प्रावधान
- बिल में जहाज की परिभाषा का विस्तार किया गया है. अब इसमें मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग यूनिट्स, सबमरिनल्स और नॉन-डिसप्लेसमेंट (Non‑Displacement) क्राफ्ट भी शामिल होंगे. शिप रीसायक्लिंग के लिए अस्थायी पंजीकरण की सुविधा दी गई है, जिससे अलंग जैसे समुद्री रीसायक्लिंग हब्स को फायदा होगा.
- नागरिकों, कंपनियों और OCI (Overseas Citizens of India) को जहाजों का मालिकाना हक रखने में आसानी होगी. केंद्र सरकार स्वामित्व के नए मानदंड तय करेगी.
- पर्यावरण संरक्षण को मजबूती दी गई है. अब हर जहाज के लिए प्रदूषण निवारण प्रमाणपत्र अनिवार्य होगा और अंतरराष्ट्रीय संधियों जैसे MARPOL और Wreck Removal Convention के अनुरूप प्रावधान किए गए हैं.
- DG Marine Administration को समुद्री शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों को मान्यता देने और निगरानी का अधिकार दिया गया है, जिससे भारतीय नाविक वैश्विक मानकों पर तैयार हो सकेंगे.
- पुराने कानून में मौजूद कुछ अपराधों को डिक्रिमिनलाइज किया गया है, जबकि नए अपराध जैसे बिना लाइसेंस रिक्रूटमेंट एजेंसी चलाना और समुद्र में प्रदूषण फैलाना शामिल किए गए हैं.
सरकार का मानना है कि इस बिल से भारतीय ध्वज वाले जहाजों की संख्या बढ़ेगी, समुद्री व्यापार को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण सुरक्षा के मानक मजबूत होंगे. इसके अलावा, शिप रीसायक्लिंग और समुद्री प्रशिक्षण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय निवेश और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.
संसद में SIR पर चर्चा मुमकिन नहीं- रिजिजू
जिस वक्त इस मर्चेंट शिपिंग बिल को लोकसभा में पेश किया गया था, उस दौरान विपक्षी दल बिहार के SIR विवाद पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी करते रहे. इसी हंगामे के बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने साफ किया कि SIR मुद्दा न्यायालय में विचाराधीन है और संसद में उस पर चर्चा संवैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं होगी. सरकार की तरफ से आए इस पक्ष के बाद अभी साफ हो गया है कि SIR के मुद्दे पर संसद में चर्चा की संभावना बहुत ही कम है और ऐसे में इस बात की आशंका और बढ़ गई है कि गतिरोध इसी तरह बना रहेगा.
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