ट्रंप टैरिफ से निर्यातकों को बचाने में जुटी सरकार, उठाया बड़ा कदम

नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाने की घोषणा से भारत के निर्यातक क्षेत्रों में हड़कंप मच हुआ है। वहीं सोमवार को ट्रंप ने फिर कहा कि वो भारत पर ज्यादा टैक्स लगाएंगे। ऐसे में सात अगस्त से लागू होने वाले इस टैरिफ के असर को कम करने के लिए भारत सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। वाणिज्य मंत्रालय ने विभिन्न सेक्टरों के निर्यातकों से बातचीत कर उनके सामने आने वाली समस्याएं जानी हैं। सबसे ज्यादा असर कपड़ा, केमिकल, चमड़ा और समुद्री उत्पादों पर पड़ने की आशंका है।
निर्यातक संगठनों ने सरकार से आर्थिक सहायता, सस्ता कर्ज, ब्याज पर सब्सिडी जैसी योजनाओं के विस्तार की मांग की है। साथ ही, अमेरिका के लिए सीधे शिपिंग लाइन की सुविधा भी चाही गई है ताकि माल तेजी से और कम लागत में पहुंच सके। निर्यातकों ने यह भी कहा है कि उच्च ब्याज दरों की वजह से भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकता है। उन्होंने ब्याज सब्सिडी योजना को फिर से लागू करने की अपील की है, जिसे दिसंबर 2024 में बंद कर दिया गया था।
एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि सरकार कपड़ा और रसायन जैसे क्षेत्रों के निर्यातकों को ट्रम्प टैरिफ के प्रभाव से बचाने के लिए कुछ सहायता उपायों पर काम कर रही है। अधिकारी ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय ने उच्च टैरिफ के कारण आने वाली समस्याओं को समझने के लिए इस्पात, खाद्य प्रसंस्करण, इंजीनियरिंग, समुद्री और कृषि सहित कई निर्यात क्षेत्रों के साथ बैठकें की हैं।
खाद्य, समुद्री और कपड़ा सहित विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों ने 25 प्रतिशत ट्रम्प टैरिफ से निपटने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता और किफायती ऋण की मांग की है। निर्यातक सरकार से ब्याज सब्सिडी और फङ्मऊळएढ योजना (निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट), फङ्मरउळछ (राज्य और केंद्रीय करों और लेवी में छूट), बकाया राशि का समय पर भुगतान और अमेरिका के लिए सीधी शिपिंग लाइन जैसे वित्तीय प्रोत्साहन देने का अनुरोध कर रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इन मांगों पर विचार कर रहा है और निर्यातकों का समर्थन करने के लिए राज्यों के साथ भी बातचीत करेगा। अमेरिका के उच्च कर से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में कपड़ा/वस्त्र, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, रसायन, तथा विद्युत और यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं। एक निर्यातक ने कहा कि कुछ कपड़ा उत्पाद, रसायन और झींगा जैसे क्षेत्र अधिक प्रतिकूल स्थिति में हैं क्योंकि भारत के प्रतिस्पर्धी देशों, जिनमें बांग्लादेश (20 प्रतिशत), वियतनाम (20 प्रतिशत) और थाईलैंड (19 प्रतिशत) शामिल हैं, पर शुल्क कम हैं।
एक अन्य निर्यातक ने कहा कि अमेरिका भारतीय झींगा के लिए एक प्रमुख निर्यात गंतव्य है। निर्यातक ने आगे कहा, “अब निर्यातकों को यूके, चीन और जापान जैसे नए बाजारों की तलाश करनी चाहिए।” अनिश्चितताओं के बावजूद, स्मार्टफोन सहित इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात अमेरिका में अच्छी वृद्धि दर्ज कर रहा है।सरकार जहां सबसे कमजोर उत्पादों पर टैरिफ के प्रभाव को कम करने की योजना बना रही है, वहीं द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत जारी है, जिसका लक्ष्य अक्टूबर-नवंबर तक पहले दौर की बातचीत पूरी करना है, जिससे टैरिफ को सामान्य स्तर पर लाने में मदद मिल सकती है।
छठे दौर की वार्ता के लिए, अमेरिकी टीम इस महीने के अंत में भारत का दौरा कर रही है। पांच दिवसीय वार्ता 25 अगस्त से शुरू होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा घोषित शुल्क 7 अगस्त के बाद भेजे जाने वाले शिपमेंट पर लागू होंगे। 7 अगस्त की समय सीमा से पहले बंदरगाहों से निकलने वाले और 5 अक्टूबर से पहले अमेरिकी गोदामों में पहुँचने वाले कार्गो पर 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ लगाया जाएगा।
पीयूष गोयल की बैठकों का दौर जारी
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ 4 जुलाई को हुई बैठक में, चमड़ा निर्यातकों ने वैश्विक बाजार में बने रहने के लिए 5 प्रतिशत ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप और ब्याज सहायता की माँग की। एक निर्यातक ने बताया कि अमेरिका में प्रति जूता श्रम लागत लगभग 25 अमेरिकी डॉलर है, जबकि भारत 15-20 अमेरिकी डॉलर में एक जोड़ी जूता और स्पोर्ट्स शूज बहुत कम लागत (5-10 अमेरिकी डॉलर) पर उपलब्ध करा सकता है।