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NDA की संसदीय दल की बैठक को संबोधित करेंगे पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर कर…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को भाजपा नीत NDA की संसदीय दल की बैठक को संबोधित करेंगे. सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों की इस तरह की बैठक लंबे अंतराल के बाद हो रही है. राजग की यह बैठक सात अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होने से कुछ दिन पहले हो रही है. राजग को अपने उम्मीदवार की घोषणा 21 अगस्त तक करनी होगी, जिसका निर्वाचन निर्वाचक मंडल में गठबंधन के बहुमत के कारण निश्चित माना जा रहा है.

संसदीय सत्र की पृष्ठभूमि और विपक्ष का विरोध
बैठक ऐसे सत्र के बीच में हो रही है, जिसमें अब तक लगभग कार्यवाही अवरुद्ध रही है और केवल पहलगाम हमले तथा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर दो दिवसीय विशेष चर्चा हो पाई है. विपक्षी दल बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ लगातार दोनों सदनों में प्रदर्शन कर रहे हैं.

राजनीतिक संदर्भ और प्रधानमंत्री की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी बैठक में कई समसामयिक मुद्दों पर बोल सकते हैं. इस बैठक में संसदीय दल प्रधानमंत्री को पहलगाम आतंकवादी हमले पर सरकार की सैन्य प्रतिक्रिया के लिए सम्मानित भी कर सकता है. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं, और इसकी वर्तमान संख्या 782 है. यदि विपक्ष भी किसी उम्मीदवार का नाम घोषित करता है, जो एक स्पष्ट संभावना है, तो चुनाव 9 सितंबर को होना तय है.

सांसदों की भागीदारी और सहयोगी दलों की उपस्थिति
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम में भाजपा पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन सहयोगी दलों के सहयोग से वह आसानी से सरकार बनाने में सफल रही. तब से पार्टी सांसदों की होने वाली इस तरह की बैठक में सहयोगी दलों के सदस्यों को भी शामिल किया जाने लगा. प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले दो जुलाई को ऐसी बैठक को संबोधित किया था. हालांकि, पिछले कुछ सत्रों में ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है.

प्रधानमंत्री की बैठकों का उद्देश्य और संवाद
पिछले लोकसभा चुनावों से पहले, वह भाजपा संसदीय दल की साप्ताहिक बैठकों को संबोधित करते थे, जिसमें अब पार्टी के सहयोगी दलों जैसे तेदेपा, जद (यू) और लोजपा (रामविलास) के सदस्यों को भी आमंत्रित किया जाता है. इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी अकसर राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करते हैं तथा कभी-कभी संसद में सरकार के एजेंडे पर भी बात करते हैं. वह अकसर सांसदों को सार्वजनिक रूप से, खासकर उनके निर्वाचन क्षेत्रों में उठाए जाने वाले मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर देते हैं.

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