Su-57 में लगाई जिरकॉन मिसाइल, रूस ने दिखाई तबाही की झलक, क्या भारत खरीदेगा ये फाइटर जेट?

रूस ने अपने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट Su-57 से हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण कर दुनिया को अपने सैन्य कौशल का एक नया ट्रेलर दिखाया है. रूसी एयरोस्पेस फोर्सेज के चीफ ऑफ द मेन स्टाफ और फर्स्ट डिप्टी कमांडर इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल अलेक्जेंडर मकसिमत्सेव ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि Su-57 लड़ाकू विमान अब हाइपरसोनिक हथियारों से लैस हो चुका है और रूस की एयरोस्पेस फोर्सेज को हर साल एडवांस और आधुनिक हथियार प्रणालियां मिल रही हैं.
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि सरकार के आदेश के अनुसार अब Su-57 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों की डिलीवरी और तेज़ी से हो रही है. रूस बीते कुछ वर्षों से अपने जेट विमानों में हाइपरसोनिक मिसाइलें लगाने के संकेत देता रहा है. फरवरी 2023 में रूस की TASS समाचार एजेंसी ने बताया था कि Su-57 के लिए एक छोटी लेकिन घातक “एयर-टू-ग्राउंड हाइपरसोनिक मिसाइल” का प्रोटोटाइप तैयार किया गया और उसका परीक्षण किया गया.
क्या है जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल?
जिरकॉन रूस की सबसे आधुनिक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. इसे सबसे पहले वर्ष 2023 में रूसी नौसेना में शामिल किया गया था. यह मिसाइल पनडुब्बियों में भी तैनात की जा चुकी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी स्पीड और ताकत है. जिरकॉन की स्पीड Mach 9 है, यानी यह आवाज की रफ्तार से नौ गुना तेज चलती है-करीब 11,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से.
इसकी स्ट्राइक रेंज 1000 किलोमीटर तक है, जिससे यह दुश्मन के ठिकानों को दूर से ही निशाना बना सकती है. इसकी स्पीड और मारक क्षमता इतनी घातक है कि यह किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को धोखा दे सकती है. इतना ही नहीं, इसकी कायनेटिक एनर्जी यानी टक्कर की ताकत इतनी ज्यादा होती है कि यह बड़े से बड़े युद्धपोत या एयरक्राफ्ट कैरियर को भी पूरी तरह तबाह कर सकती है.
पश्चिमी देशों से तुलना में जिरकॉन कितनी आगे?
जिरकॉन की क्षमताएं पश्चिमी देशों की मिसाइलों से कहीं अधिक हैं. अमेरिका की सबसे तेज हाइपरसोनिक मिसाइल SM-6 है, जिसकी स्पीड सिर्फ Mach 3.5 है और रेंज 450 किलोमीटर तक सीमित है. वहीं चीन दावा करता है कि उसके पास YJ-21 नाम की मिसाइल है, जो जिरकॉन के बराबर यानी Mach 9 की स्पीड और 1000 किलोमीटर की रेंज रखती है, लेकिन यूरोप के किसी देश के पास अभी ऐसी कोई मिसाइल नहीं है जो जिरकॉन की बराबरी कर सके. इस लिहाज से रूस इस तकनीक में दुनिया से कहीं आगे निकल चुका है.
Su-57 और जिरकॉन की जोड़ी: रडार को भी धोखा
Su-57 एक अत्याधुनिक स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस लड़ाकू विमान है. इसे रडार से पकड़ना बेहद मुश्किल होता है. अब इस विमान में जिरकॉन मिसाइल को इंटरनल वेपन बे यानी विमान के अंदर छिपाकर इंटीग्रेट कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि दुश्मन की नज़र इस मिसाइल पर तब तक नहीं पड़ सकती जब तक यह फायर न हो जाए.
Su-57 को इस तरह तैयार किया गया है कि यह बहुत तेज़ गति से लंबी दूरी तक घातक हमले कर सकता है. रूस पहले ही इसके लिए एयर-टू-एयर R-77M मिसाइल बना चुका है, जिसकी रेंज 400 किलोमीटर से भी ज्यादा है. इसके अलावा अक्टूबर 2023 में रूस की सरकारी मीडिया ने एक नई लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल के टेस्ट का दावा किया था, जो Kh-101/102 पर आधारित है और जिसकी रेंज करीब 3500 किलोमीटर है.
भारत के लिए बड़ा सवाल: क्या खरीदेगा Su-57?
भारत ने हाल ही में अमेरिका के F-35 फाइटर जेट को खरीदने से इनकार कर दिया है. ऐसे में अब रक्षा विशेषज्ञों की नजर इस पर है कि क्या भारत अब रूस के Su-57 को खरीदने की दिशा में आगे बढ़ेगा? Su-57 न सिर्फ स्टेल्थ तकनीक से लैस है, बल्कि अब इसमें हाइपरसोनिक हथियार भी जोड़े जा चुके हैं. यदि भारत इस फाइटर जेट को खरीदता है, तो यह भारतीय वायुसेना की ताकत को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है. भारत और रूस के बीच पहले से मजबूत रक्षा संबंध हैं और Su-57 जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट के शामिल होने से भारत की रणनीतिक क्षमता कई गुना बढ़ सकती है.
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