केआईआईटी की लापरवाही से हुई छात्राओं की मौत, दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई की मांग
कटक स्थित कलिंग इंस्टीट्यूट आॅफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी में पढ़ने वाली दो नेपाली छात्राओं की आत्महत्याओं के पीछे विश्वविद्यालय की गैरकानूनी गतिविधियों और प्रशासन की गंभीर लापरवाही जिम्मेदार है। यह खुलासा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से गठित एक तथ्यान्वेषी समिति की रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, यदि विश्वविद्यालय ने समय रहते यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर उचित कार्रवाई की होती तो ये आत्महत्याएं रोकी जा सकती थीं। समिति ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्रवाई आपराधिक जवाबदेही के दायरे में आती है।
फरवरी 2024 में कीआईआईटी में पढ़ने वाली 20 वर्षीय नेपाली छात्रा प्रकृति लाम्साल ने आत्महत्या कर ली थी। इसके कुछ महीने बाद मई में एक और नेपाली छात्रा ने हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटककर जान दे दी। इन दोनों घटनाओं के बाद विश्वविद्यालय परिसर में नेपाली छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया और न्याय की मांग की।
जब हालात बिगड़ने लगे, तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने 500 से ज्यादा नेपाली छात्रों को जबरन हॉस्टल और विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकाल दिया।
यूजीसी की समिति की रिपोर्ट बताती है कि दोनों छात्राओं ने विश्वविद्यालय के आंतरिक शिकायत समिति से यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। लेकिन न तो उचित जांच हुई और न ही कानून सम्मत कार्रवाई। इसके बजाय विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपित छात्र को बचाते हुए एक “अवैध समझौता” कराने की कोशिश की।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पहली शिकायत के बाद ही आरोपी छात्र पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने जानबूझकर उसकी रक्षा की।
समिति ने यह भी कहा कि आईसीसी के सदस्यों और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों पर आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।
रिपोर्ट में विश्वविद्यालय के विस्तार पर रोक लगाने और दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि विश्वविद्यालय को सख्त दिशा-निर्देश दिए जाएं और उनकी पालन-परीक्षा एक बार फिर फिजिकल विजिट के जरिए की जाए।
इस तथ्य-जांच समिति की अध्यक्षता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति नागेश्वर राव ने की। इसके अलावा योजना एवं प्रशासन राष्ट्रीय संस्थान की कुलपति शशिकला वंजारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एचसीएस राठौर और यूजीसी की संयुक्त सचिव सुनीता सिवाच इसमें शामिल थीं।