बांके बिहारी कॉरिडोर का मामला फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट:स्थानीय निवासियों ने दाखिल की याचिका, एडवोकेट एपी सिंह कोर्ट में रखेंगे पक्ष

मथुरा । बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर अब स्थानीय निवासी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। सौ से ज्यादा स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ए पी सिंह के जरिए एक याचिका दाखिल की है।
याचिका में कहा गया है कि बांके बिहारी की परंपरा और विरासत को कुंज गलियों के जरिए ही स्थानीय निवासियों ने नष्ट होने से बचा लिया है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील ए पी सिंह सोमवार को वृंदावन पहुंचे। जहां उनका बांके बिहारी कॉरिडोर के परिसर में आने वाले स्थानीय निवासियों ने माला पटका पहनाकर स्वागत किया।
एडवोकेट ए पी सिंह बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण की दी गई अनुमति के खिलाफ स्थानीय निवासियों की तरफ से दाखिल की गई याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।
सोमवार को दाखिल की गई याचिका के संबंध में जानकारी देने के लिए पहुंचे एडवोकेट ए पी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुपालन में जो कार्यवाही की जा रही है।
उससे वृंदावन की प्राचीन कुंज गलियों को ध्वस्त कर वहां कई पीढ़ियों से रह रहे ब्रजवासियों को जबरन बेघर किया जा रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एडवोकेट अ ढ सिंह ने कहा कि इस निर्माण कार्य के क्रियान्वयन में संविधान के आर्टिकल 25 और 26 के तहत नागरिकों को प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और धार्मिक संस्थाओं के स्वशासन के अधिकारों का खुलेआम स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया जा रहा है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समय समय पर प्रतिपादित एसेंशियल रिलीजियस प्रेक्टिसेज डॉक्ट्रिन के अनुसार यदि कोई परंपरा किसी धर्म की अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा है तो उसे छेड़ना संविधान विरोधी गंभीर कृत्य माना जाएगा।
एडवोकेट ए पी सिंह ने बताया कि यमुना किनारे कालिदह से केशीघाट तक एक हजार एकड़ जमीन मौजूद है। वहां सुविधाओं को विकसित करें। इससे यमुना में ड्रेनेज भी नहीं जाएगा और विरासत रूपी गलियां भी नहीं नष्ट होंगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार भूमाफियाओं के कहने पर धार्मिकीकरण कम वैश्वीकरण ज्यादा करना चाहती है। उन्होंने कहा भूमाफिया मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाकर वहां पर्यटकों को लाएंगे और ऊपर की मंजिल से बांके बिहारी दिखाएंगे। यह सब नहीं होना चाहिए।
याचिकाकर्ता राकेश अग्रवाल ने कहा कि मुगल काल में भी मंदिर की गरिमा को इन्हीं गलियों के माध्यम से बचाया गया। पंडित सोहनलाल मिश्र ने कहा कि यह वही कुंज गलियां हैं जो श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की साक्षी रहीं।
नारायणी सेना के उपाध्यक्ष रामानुज मनीष भारद्वाज और रुक्मणि रमन गोस्वामी ने कहा कि यह कुंज गलियां ईंट पत्थर की नहीं बल्कि बृजधाम की आध्यात्मिक आत्मा है।