‘भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 40 अरब डॉलर पार’, जानें अश्विनी वैष्णव हैदराबाद में और क्या बोले
नई दिल्ली । भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है। इसमें पिछले 11 वर्षों के दौरान आठ गुना वृद्धि हुई है। वहीं, घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में छह गुना वृद्धि हुई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को यह बात कही।
आईआईटी हैदराबाद के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए वैष्णव ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की तीव्र प्रगति पर भी जोर दिया, जिसके अगस्त या सितंबर 2027 तक चालू होने की उम्मीद है। भविष्य की ओर देखते हुए, वैष्णव ने कहा कि पहली मेड इन इंडिया सेमीकंडक्टर चिप, व्यावसायिक स्तर पर, इसी वर्ष बन जाएगी। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत आने वाले वर्षों में दुनिया के शीर्ष पांच सेमीकंडक्टर देशों में से एक बनने की राह पर है, और उन्होंने सेमीकंडक्टर के लिए आवश्यक पूंजीगत उपकरणों और सामग्रियों पर बढ़ते ध्यान पर भी चर्चा की।
केंद्रीय रेल, सूचना व प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, “महज 11 वर्षों में, हमने अपने इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को छह गुना बढ़ा दिया है। यह दोहरे अंकों की है जिससे कोई भी कॉपोर्रेट ईर्ष्या करेगा। हमने अपने निर्यात को आठ गुना बढ़ाया है, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 40 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात को पार कर लिया है, जो विकास की एक अभूतपूर्व गति है, जो हमारे जैसे बहुत कम देशों ने देखी है।”
उन्होंने इस वृद्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को दिया और कहा कि केवल साढ़े तीन वर्षों में, भारत एक संपूर्ण दूरसंचार स्टैक डिजाइन कर सका। आज, यह लगभग 90,000 दूरसंचार टावरों पर स्थापित है, जो दुनिया के कई देशों के नेटवर्क से भी ज्यादा है।
आईटी मंत्री ने कहा कि दूरसंचार पहल के हिस्से के रूप में, सरकार ने 100 5जी प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं, जहां छात्र 5जी उपकरणों का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें वास्तविक दुनिया के उपयोग के मामलों पर काम करने और व्यावहारिक समाधान विकसित करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने भारत की विकास गाथा और अगली पीढ़ी के लिए आधार के पांच उदाहरण दिए- इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन, एआई, सेमीकंडक्टर, दूरसंचार क्षेत्र और रेलवे।
उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए केंद्र ने लगभग 270 कॉलेजों और संस्थानों को कैडेंस, सिनोप्सिस और सीमेंस के नवीनतम ईडीए उपकरण दिए हैं और यदि स्टार्टअप को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 340 हो जाती है। वैष्णव ने कहा, “दुनिया में कहीं भी सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में इतना बड़ा प्रतिभा विकास कार्यक्रम नहीं चलाया गया है।” उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे के पास इस समय वंदे भारत का तीसरा संस्करण पहले से ही मौजूद है, जिसका निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में किया जा रहा है।