ग्रामीण मांग बनी उपभोग वृद्धि की रीढ़, एफएमसीजी से आटो तक सेक्टरों में दिखेगा असर
नई दिल्ली । ग्रामीण मांग में सुधार प्रमुख उपभोक्ता क्षेत्रों जैसे एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, आॅटोमोबाइल, मोबाइल फोन, आवास और परिधान की रिकवरी में अहम भूमिका निभा सकता है। पीएल कैपिट की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोग से जुड़े इन क्षेत्रों को ग्रामीण इलाकों से धीरे-धीरे उभरती मांग से समर्थन मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, बीते कुछ तिमाहियों में ग्रामीण मांग ने शहरी मांग से बेहतर प्रदर्शन किया है, और अब यह रफ्तार और तेज हो सकती है। इसकी प्रमुख वजहें हैं स्थिर उपभोक्ता भावनाएं, आय में वृद्धि और अनुकूल मानसून के चलते कृषि उत्पादन में सुधार है।
इसमें कहा गया कि बेहतर कृषि उत्पादन और ग्रामीण विकास पर बढ़ते सरकारी खर्च के कारण ग्रामीण परिवार अधिक लचीलापन दिखा रहे हैं। ग्रामीण उपभोक्ता भावना सूचकांक (सीएसआई) जनवरी 2024 में 96.5 से मई 2025 तक 100 तक लगातार सुधर रहा है। इसी दौरान भविष्य की अपेक्षा सूचकांक (एफईआई) भी 124.3 से बढ़कर 125.9 हो गया है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते आशावाद को दशार्ता है।
इसमें कहा गया कि अच्छे मानसून और कम महंगाई से ग्रामीण मांग को बनाए रखने और बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस सकारात्मक प्रवृत्ति में योगदान देने वाला एक प्रमुख कारक खरीफ बुवाई में सुधार है। यह 2025 की पहली तिमाही में वर्ष-दर-वर्ष 11.1 प्रतिशत अधिक है। सामान्य मानसून, पर्याप्त मिट्टी की नमी और जलाशयों के मजबूत स्तर के साथ स्वस्थ रबी मौसम की उम्मीद से प्रमुख फसल उत्पादक राज्यों में ग्रामीण आय में भी वृद्धि होने की संभावना है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ने से रोजमर्रा की वस्तुओं और महंगी वस्तुओं की खपत में सीधे तौर पर वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके अलावा, हाल ही में कर कटौती का उपभोग पर प्रभाव अगस्त से अधिक दिखाई देने की संभावना है। यह समय रक्षाबंधन, गणेश चतुर्थी और ओणम जैसे प्रमुख त्योहारों के साथ मेल खाता है, जिससे मांग और अधिक तेज हो सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सभी सकारात्मक कारकों के साथ, ग्रामीण मांग भारत की समग्र उपभोग रिकवरी में अहम भूमिका निभाएगी।