हार्दिक की सात साल से टेस्ट टीम में क्यों नहीं हो रही वापसी? बैटिंग-बॉलिंग दोनों में शानदार आंकड़े
लंदन । भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज जारी है। लॉर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट में हार के बाद भारतीय टीम सीरीज में 1-2 से पीछे चल रही है। 23 जुलाई से मैनचेस्टर में चौथा मैच की शुरूआत होगी। सीरीज फिलहाल रोमांचक मोड़ पर है और लॉर्ड्स में मैदान में हुए हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद यह और दिलचस्प हो गई है। दोनों टीमों की ओर से काफी स्लेजिंग हुई और मैनचेस्टर में भारत के पास इसका मुंहतोड़ जवाब देने का सही मौका है। लॉर्ड्स में भले ही भारतीय टीम की गेंदबाजी अच्छी रही हो, लेकिन विदेशी मैदान पर एक अच्छे पेस बॉलिंग आॅलराउंडर की खोज अब तक जारी है।
लीड्स में पहले टेस्ट में टीम मैनेजमेंट ने शार्दुल ठाकुर को मौका दिया था, जबकि दूसरे और तीसरे टेस्ट में नीतीश रेड्डी खेले। उन्होंने लॉर्ड्स में अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन उनकी बल्लेबाजी फ्लॉप रही। ऐसे में सवाल उठता है कि सात साल से हार्दिक पांड्या की टेस्ट टीम में वापसी क्यों नहीं हो रही है? उन्होंने अभी तक किसी प्रारूप से संन्यास नहीं लिया है, तो क्या बीसीसीआई को उन्हें टेस्ट खेलने के लिए नहीं मनाना चाहिए? अगर वह खेलते हैं तो भारतीय टीम पहले से कहीं ज्यादा मजबूत दिखेगी। टेस्ट में उनकी बैटिंग और बॉलिंग, दोनों शानदार रही है। आंकड़े इसके गवाह हैं। वह विदेशी मैदान पर एक बेहतरीन तेज गेंदबाजी विकल्प साबित हो सकते हैं।
हार्दिक ने 2016 में टी20 मैच से अंतरराष्ट्रीय डेब्यू किया था। फिर उसी साल अक्तूबर में वनडे डेब्यू किया। इसके बाद 2017 में श्रीलंका के खिलाफ गॉल में उनका टेस्ट डेब्यू हुआ। हालांकि, एक साल बाद ही वह टेस्ट से गायब हो गए। हार्दिक ने पिछला टेस्ट मैच अगस्त 2018 में इंग्लैंड के खिलाफ रोज बाउल में खेला था। इसके बाद सात साल से वह वनडे और टी20 तो खेल रहे हैं, लेकिन टेस्ट से गायब हैं। साल 2018 में ही सितंबर में एशिया कप के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ मैच में उन्हें गंभीर चोट लगी थी और वह स्ट्रेचर से बाहर आए थे।
इससे उबरने में उन्हें काफी समय लग गया था, लेकिन वापसी के बाद से वह सबसे लंबे प्रारूप में नहीं खेल पाए। हार्दिक को समय-समय पर लगती चोट टेस्ट मे नहीं खेलने की मुख्य वजह हो सकती है, लेकिन जब देश को उनकी जरूरत हो और टीम में एक सीनियर सदस्य के नाते उन्हें खेलने के लिए मनाना चाहिए। नीतीश ने टेस्ट डेब्यू के बाद से अब तक सात टेस्ट की 12 पारियों में 72 ओवर गेंदबाजी की है, यानी औसतन छह ओवर। हार्दिक भी इतनी गेंदबाजी कर सकते हैं और उनकी स्पीड और स्विंग विदेशी जमीन पर घातक भी साबित हो सकती है।
हार्दिक ने अब तक 11 टेस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया है और उसमें 31.29 की औसत से 532 रन बनाए हैं। इसमें चार अर्धशतक और एक शतक शामिल है। श्रीलंका के खिलाफ गॉल में 108 रन, उनकी टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ पारी रही है। टेस्ट डेब्यू पर ही अपनी पहली पारी में हार्दिक ने अर्धशतक जमाया था। इतना ही नहीं 2018 में वह भारतीय टीम के साथ इंग्लैंड का दौरा भी कर चुके हैं। तब उन्होंने चार टेस्ट की आठ पारियों में 23.43 की औसत से 164 रन बनाए थे। सबसे शानदार उनकी गेंदबाजी रही थी।
उस सीरीज में उन्होंने आठ पारियों में 64 ओवर गेंदबाजी की थी (औसतन एक पारी में आठ ओवर) और 10 विकेट झटके थे। इस दौरान उनका गेंदबाजी औसत 24.70 का और स्ट्राइक रेट 38.50 का रहा था। गेंदबाजी औसत का मतलब है प्रति विकेट कितने रन खर्च किए गए। वहीं, गेंदबाजी स्ट्राइक रेट का मतलब है प्रति विकेट कितनी गेंद फेंकी। हार्दिक का उस सीरीज में गेंदबाजी स्ट्राइक रेट मोईन अली के बाद सबसे शानदार रहा था। हार्दिक ने अब तक 11 टेस्ट में 17 विकेट झटके हैं। 28 रन देकर पांच विकेट उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी रही है। उनका गेंदबाजी औसत 31.05 का और स्ट्राइक रेट 55.1 का रहा है।