अमेरिकी टैरिफ से 2026 में घट सकता है भारत का निर्यात, क्रिसिल की रिपोर्ट में दावा

नई दिल्ली । वित्त वर्ष 2026 में भारत के वस्तु निर्यात को अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। रेटिंग फर्म क्रिसिल की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि टैरिफ बढ़ोतरी अगस्त से लागू होने की उम्मीद है। भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते और एक महत्वपूर्ण निगरानी समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।
विश्व व्यापार संगठन के अनुसार, 2025 में वस्तु व्यापार की मात्रा में 0.2 प्रतिशत की गिरावट होने की संभावना है। जबकि 2024 में इसमें 2.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया है कि वैश्विक विकास दर 2025 में 3.3 प्रतिशत से घटकर 2.9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
भारत के सबसे बड़े निर्यात गंतव्य अमेरिका में वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत से घटकर 1.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। परिणामस्वरूप इस वित्तीय वर्ष में भारत के वस्तु व्यापार पर दबाव पड़ने की उम्मीद है। हालांकि, वित्त वर्ष 2026 में चालू खाता घाटा (सीएडी) सकल घरेलू उत्पाद के 1.3 प्रतिशत के सुरक्षित दायरे में रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवा व्यापार में अधिशेष और मजबूत रूप से आने वाले प्रेषण (रेमिटेंस) चालू खाता घाटे (उअऊ) को कुछ हद तक संतुलित करने में मदद करेंगे। अगर किसी राष्ट्र का आयात उसके निर्यात से अधिक है, तो वह देश का चालू खाता घाटा कहलाता है।