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अमेरिकी डेयरी आयात से छोटे किसानों की आजीविका पर आएगा संकट

नई दिल्ली । भारतीय डेयरी क्षेत्र को अमेरिकी आयात के लिए खोलने से देश के डेयरी किसानों को हर साल 1.03 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। स्टेट बैंक आॅफ इंडिया की एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार इस कदम का सबसे बड़ा असर छोटे डेयरी किसानों की आजीविका पर पड़ेगा क्योंकि अमेरिकी डेयरी क्षेत्र को भारी सब्सिडी का समर्थन प्राप्त है।
एसबीआई ने कहा कि अगर डेयरी क्षेत्र को खोल दिया जाता है, तो भारत में दूध की कीमत कम से कम 15 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसमें कहा गया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में कृषि और डेयरी प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं।
इसमें कहा गया है कि अगर डेयरी क्षेत्र को अमेरिकी प्रतिस्पर्धा के लिए खोल दिया गया तो भारतीय किसानों की आजीविका को खतरा हो सकता है। इससे भारत का दूध आयात लगभग 2.5 करोड़ टन सालाना बढ़ सकता है। भारत में डेयरी क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में लगभग 2.5 से 3 प्रतिशत का योगदान देता है, जो लगभग 7.5 से 9 लाख करोड़ रुपये है। यह लगभग 8 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार भी प्रदान करता है। इसका मतलब जीवीए में योगदान किए गए प्रत्येक 1 लाख रुपये पर एक नौकरी मिलती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दूध की कीमतों में में गिरावट से न केवल किसानों की आय कम होगी, बल्कि अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र का समग्र योगदान भी कमजोर होगा। चारा, ईंधन, परिवहन और अवैतनिक पारिवारिक श्रम जैसे इनपुट की लागत को शामिल करने के बाद,अनुमानित जीवीए हानि लगभग 0.51 लाख करोड़ रुपये होगी।
हालाँकि, रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि अगर भारत और अमेरिका अन्य क्षेत्रों में व्यापार संबंधों को मजबूत करते हैं तो इससे संभावित लाभ हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, भारत वर्तमान में अमेरिका को जैविक खाद्य और मसालों जैसे उच्च मूल्य वाले कृषि उत्पादों का 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम मूल्य का निर्यात करता है, लेकिन अमेरिकी मांग के आधार पर इसे 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक बढ़ाने की संभावना है। अगर सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) प्रतिबंध हटा दिए जाएं तो आम, लीची, केले और भिंडी जैसे फलों और सब्जियों का निर्यात बढ़ सकता है।
इसके अलावा, गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने से आयुष उत्पादों और जेनेरिक दवाओं के निर्यात में 1-2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हो सकती है। अन्य लाभों में आसान वीजा नियम, आउटसोर्सिंग के अवसरों में वृद्धि, कोल्ड स्टोरेज और सटीक खेती में अमेरिकी निवेश, तथा चारा, मशीनरी और पशु चिकित्सा उत्पादों जैसे कृषि इनपुट की कम लागत शामिल हो सकती है।

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