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निशिकांत दुबे के बयान पर सीएम फडणवीस ने दी सफाई, बोले- वे आम मराठियों की बात नहीं कर रहे

मुंबई । महाराष्ट्र में जारी भाषा विवाद के बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान से राज्य का राजनीतिक पारा और चढ़ गया है। अब राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा सांसद के बयान पर सफाई दी और कहा कि निशिकांत दुबे आम मराठी मानुष के बारे में बात नहीं कर रहे थे। वे उन संगठनों के बारे में बात कर रहे थे, जो विवाद कर रहे हैं।
फडणवीस ने कहा कि ‘जो भी निशिकांत दुबे ने कहा है, वह आम मराठी लोगों के बारे में नहीं कहा है, बल्कि उन संगठनों के बारे में कहा है, जो विवाद को बढ़ा रहे हैं।’ हालांकि सीएम ने खुद को निशिकांत दुबे के बयान से अलग करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि निशिकांत दुबे का बयान सही नहीं था। सीएम ने कहा कि ‘भारत के विकास में महाराष्ट्र का बहुत बड़ा योगदान है। कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो वह पूरी तरह से गलत है।’
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का कहना है कि महाराष्ट्र में रहने वाले लोगों को मराठी बोलना आना चाहिए। इसे लेकर मनसे के कार्यकतार्ओं ने बीते दिनों में कई हिंदी भाषी लोगों के साथ मारपीट की है। इस पर काफी विवाद हो रहा है। हाल ही में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकतार्ओं को सलाह दी कि वे अगर किसी को पीटते हैं तो उसकी वीडियो न बनाएं। इस पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ‘आप क्या कर रहे हैं, किसकी रोटी खा रहे हैं? आप लोग हमारे पैसे पर पल रहे हैं। आपके पास कौन से उद्योग हैं? हमारी सारी खदानें झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में हैं। आपके पास कौन सी खदाने हैं? सभी सेमीकंडक्टर रिफाइनरीज गुजरात में हैं।’
हिंदी बोलने वाले लोगों की पिटाई पर गुस्सा जाहिर करते हुए निशिकांत दुबे ने कहा कि ‘अगर आपमें हिंदी भाषी लोगों को पीटने की हिम्मत है तो उन्हें भी पीटकर दिखाएं, जो उर्दू, तमिल, तेलुगु आदि भाषाएं बोलते हैं। अगर आप इतने बड़े दादा हैं तो महाराष्ट्र से निकलकर यूपी, बिहार आइए, तुमको पटक-पटक के मारेंगे।’ भाजपा सांसद ने कहा कि मह सभी मराठी लोगों और महाराष्ट्र की तारीफ करते हैं, जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी। हम सभी स्वतंत्रता सेनानियों का भी सम्मान करते हैं। महाराष्ट्र ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया है। निशिकांत दुबे ने कहा कि ‘राज और उद्धव ठाकरे घटिया राजनीति कर रहे हैं, अगर उनमें हिम्मत है तो माहिम जाकर किसी हिंदी, उर्दू बोलने वाले को पीटकर दिखाएं।’

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