पहली तिमाही के दौरान आईटी क्षेत्र से मिले-जुले प्रदर्शन की उम्मीद; मध्यम श्रेणी की कंपनियां रहेंगी आगे

नई दिल्ली । भारतीय सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में मिलाजुला प्रदर्शन देगा। इसमें टियर-1 कंपनियों की राजस्व वृद्धि धीमी रहने की संभावना है। वहीं, मिड टियर कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयरा है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक अनिश्चितता, अमेरिकी टैरिफ और व्यापक मैक्रोइकॉनोमिक चुनौतियों के कारण विवेकाधीन खर्च में कमी के बावजूद, मांग में गिरावट अपेक्षा से कम रही है। इससे कंपनियों को वित्त वर्ष 2026 के मार्गदर्शन को बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया कि आईटी कंपनियों के पास अभी भी नए प्रोजेक्ट्स आने की उम्मीद बनी हुई है। खासकर उन क्षेत्रों में जैसे खर्च कम करने के उपाय, बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना और एआई से जुड़े काम।
रिपोर्ट के अनुसार जनरेटिव एआई एक महत्वपूर्ण विकास चालक बना हुआ है। कंपनियाँ अब इसे केवल परीक्षण के तौर पर नहीं, बल्कि बड़े स्तर पर अपनाने लगी हैं। इस बदलाव को एक्सेंचर की जनरेटिव एआई से जुड़ी मजबूत डील्स का भी समर्थन मिल रहा है। जनरेटिव एआई अब तेजी से बढ़ने वाला एक बड़ा कारण बन गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आईटी सेक्टर को एक बड़ा विदेशी मुद्रा लाभ (क्रॉस-करेंसी टेलविंड) मिलेगा, जो 50 से 300 आधार अंक के बीच हो सकता है। इससे पहली तिमाही में डॉलर के लिहाज से राजस्व बढ़ने में मदद मिलेगी। हालांकि, स्थिर मुद्रा के संदर्भ में टियर- 1 कंपनियों की राजस्व वृद्धि तिमाही-दर-तिमाही 2.8% से लेकर 1.5% तक और साल-दर-साल आधार पर 3.4% से 4.5% तक रहने की उम्मीद है। इसके मुकाबले, मिड-टियर आईटी कंपनियों के नतीजे बेहतर रहने की संभावना है। इसमें तिमाही दर तिमाही 3.7% से 3.4% के बीच वृद्धि हो सकती है।
एचडीएफसी ने कहा कि चूंकि यह क्षेत्र आर्थिक चुनौतियों और बदलती ग्राहक प्राथमिकताओं से जूझ रहा है, इसलिए वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही के नतीजे यह समझने में मदद करेंगे कि भारत की आईटी कंपनियाँ कितनी मजबूत और टिकाऊ हैं।