कुणाल का चेहरा देखने को तड़पे मां-बाप और बहनें:पोस्टमॉर्टम के बाद शव घर पहुंचा

आगरा। मेरी हिम्मत तोड़ दी। मेरी कमर थी वो। नहीं बचा पाया मैं। यह दर्द उस बाप का है, जिसके बेटे ने उसका सहारा बनने का सोचा था। अपने पिता की बीमारी में व्यापार और घर की जिम्मेदारी संभाली थी। अंतिम समय में मां, बाप, बहनें और छोटा भाई उसकी शक्ल तक नहीं देख पाए। पोस्टमॉर्टम के बाद जिस स्थिति में डेड बॉडी घर पहुंची थी, उसी स्थिति में उसे पुलिस अंतिम संस्कार के लिए ले गए। कुणाल की एक झलक के लिए परिवार ही नहीं पूरा मोहल्ला पहुंचा था।
मंगलवार शाम लगभग 6:40 बजे कुणाल का शव घर पहुंचा। चूंकि पोस्टमॉर्टम हाथरस में हुआ था, इसलिए वहां से शव को पूरा बंद करके भेजा गया था। यहां जब शव पहुंचा तो घरवालों के साथ ही पूरा मोहल्ला एकजुट हो गया। लेकिन पुलिस ने किसी को भी लाश का चेहरा नहीं देखने दिया। बहनें चिल्लाती रहीं, बाप बेहोश हो गया। मां का हाल बेहाल था। लेकिन पुलिस ने तुरंत शव को अंतिम संस्कार के लिए भेजा। इस बीच यह स्थिति हो गई थी कि शव के साथ पुलिस एक मेटाडोर में थी और कुणाल के पिता काफी पीछे रह गए थे।
कुणाल चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। दो बहन और एक छोटा भाई है। करीब छह महीने से उसके पिता की तबीयत खराब चल रही थी। कुणाल की भी गर्मी की छुटटी चल रही थी। तो इन दिनों हलवाई की दुकान कुणाल ही संभाल रहा था। इस साल कुणाल ने 11वीं की थी।
बहनें चिल्ला रही थीं कि हमारे भाई को हाथ मत लगाओ। बहनें भी बेहोश हो रही थीं। रिश्तेदार और पड़ोसी सभी को संभाल रहे थे। पूरा मोहल्ला शव के पीछे चला। लोग अपने घरों की छतों पर खड़े होकर देख रहे थे। बहनें अपने भाई के शव को हाथ लगाकर उठा रही थीं कि भाई उठ जा।
हरीपर्वत क्षेत्र के सुल्तानगंज पुलिया निवासी देवेंद्र प्रजापति ने 28 जून को गुमशुदगी दर्ज कराई। बताया कि उनका बेटा कुणाल प्रजापति 27 जून को स्कूटी लेकर निकला था। वो लाल रंग की टीशर्ट पहने था। उसने कहा था कि थोड़ी देर में वापस आ जाएगा। फिर लौटकर नहीं आया।
कुणाल की बहन तृप्ति ने बताया- 27 जून को भाई घर से अकेला ही स्कूटी से गया था। देर शाम तक वापस नहीं आया। हम उसे बार-बार कॉल कर रहे थे। लेकिन फोन नहीं उठ रहा था। देर रात मम्मी ने फोन किया तो भाई से कुणाल से बात हुई। भाई ने कहा कि वो अपने दोस्त शिवम यादव के साथ आया है। पता नहीं वो कहां ले जा रहा। उसने हंसते हुए कहा था कि पता नहीं ये मुझे मार न डाले। फिर कहता है कि ये मेरा अच्छा दोस्त है। मैं दो घंटे में आ जाऊंगा। इसके बाद उसका फोन बंद हो जाता है।
जब कुणाल अगले दिन तक वापस नहीं आया तो उसके दोस्त शिवम यादव से बात की। शिवम ने कोई भी जानकारी होने से मना कर दिया। वो लगातार गुमराह करता रहा। कुणाल की बहन ने बताया कि हमारी मिठाई की दुकान है। शिवम उनकी दुकान पर दूध देने वाले पप्पू यादव का बेटा है। ऐसे में कृणाल की शिवम से अच्छी दोस्ती थी। उसने ही कृणाल को फोन कर बुलाया। उन्होंने शिवम और उसके पिता पप्पू पर हत्या का आरोप लगाया है।