मई में भी बरकरार रही भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार, निवेश और उत्पादन में हुई मजबूत वृद्धि
नई दिल्ली । वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मई 2025 में मजबूत बनी रही। भारतीय रिजर्व बैंक के मासिक बुलेटिन में यह दावा किया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह औद्योगिक और सेवा दोनों क्षेत्रों में स्वस्थ विकास की ओर इशारा करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि ई-वे बिल, जीएसटी राजस्व, टोल संग्रह और डिजिटल भुगतान जैसे प्रमुख संकेतकों में मजबूती दिखी। यह स्थिर आर्थिक गति को दशार्ती है। आंकड़ों के अनुसार मई में लगातार दूसरे महीने जीएसटी राजस्व 2 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया। इसमें मजबूत आयात-संबंधित जीएसटी संग्रह ने मदद की।
इसमें यह भी बताया गया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी 6.5 प्रतिशत बढ़ेगी, जिसमें चौथी तिमाही में 7.4 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर्ज की गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से स्थायी निवेश में 9.4% की वृद्धि और निर्माण क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन के कारण हुई।
रिपोर्ट के अनुसार मई में लगातार चौथे महीने मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही। यह आरबीआई के लक्ष्य से नीचे दर्ज की गई। फसल उत्पादन के रिकॉर्ड स्तर से इसे समर्थन मिला और खाद्य कीमतों को नियंत्रण रखने में मदद मिली। कुल मिलाकर घरेलू मूल्य स्थिति स्थिर बनी हुई है।
पीएमआई के आंकड़ों से यह भी पता चला कि भारत आर्थिक गतिविधि विस्तार में दुनिया में सबसे आगे है। सेवा पीएमआई 58.8 प्रतिशत पर रहा, जबकि विनिर्माण पीएमआई 57.6 प्रतिशत पर रहा। ब्याज दरों में कटौती से सभी क्षेत्रों में ऋण प्रवाह में सुधार हुआ है। इसके अलावा, ग्रामीण मांग बढ़ रही है, जो देश की आर्थिक सुधार में व्यापक भागीदारी का संकेत देती है। साथ ही, भारत विदेशी निवेश के लिए भी एक प्रमुख गंतव्य बना हुआ है। 2020 से 2024 के बीच डिजिटल अर्थव्यवस्था क्षेत्रों में 114 अरब डॉलर के ग्रीनफील्ड निवेश के साथ, एफडीआई प्रवाह में देश वैश्विक स्तर पर 16वें स्थान पर है। यह वैश्विक दक्षिण देशों में सबसे अधिक है।
हालांकि सकारात्मक परिदृश्य के बावजूद भी रिजर्व बैंक ने भविष्य को लेकर आगाह किया है। व्यापार प्रतिबंध और भू-राजनीतिक तनाव भारत की मध्यम अवधि की संभावनाओं पर असर डाल सकते हैं।