भारत को नहीं भा रहा गौतम गंभीर का अंदाज? पिछले नौ टेस्ट में से सिर्फ एक मैच जीत पाई टीम इंडिया

नई दिल्ली । भारतीय टीम के टेस्ट में हार का सिलसिला जारी है। न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज गंवाने के बाद टीम इंडिया को इंग्लैंड दौरे पर पहले मुकाबले में भी शिकस्त मिली। हालांकि, अभी सीरीज की शुरूआत ही है और भारतीय टीम में वापसी का दमखम है, लेकिन लाल गेंद के प्रारूप में लगातार मिल रही हार से फैंस निराश हैं। गौतम गंभीर के मुख्य कोच बनने के बाद भारतीय टीम टेस्ट में सिर्फ बांग्लादेश से अपने घर में 2-0 से सीरीज जीत पाई है। वहीं, न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम इंडिया को घरेलू मैदान पर 3-0 क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा था। फिर आस्ट्रेलिया दौरे पर भारतीय टीम 3-1 से सीरीज हार गई थी।
अब इंग्लैंड में भी पांच मैचों की सीरीज में मेहमान टीम 1-0 से पीछे है। भारतीय टीम ने भले ही चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की हो, लेकिन लाल गेंद को क्रिकेट का असली प्रारूप माना जाता है और खुद गंभीर भी टेस्ट के महत्व के बारे में कई बार बात कर चुके हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है। फैंस का तो यहां तक कहना है कि सबसे लंबे प्रारूप में गंभीर की कोचिंग टीम इंडिया को नहीं जंच रही है। पिछले साल बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद भारत ने नौ टेस्ट खेले और इसमें सिर्फ एक मैच जीत पाई है।
भारतीय टीम ने पिछले साल जून में टी20 विश्व कप जीता था। फैंस को पिछले जून में जश्न मनाने का मौका मिला था। टी20 विश्व कप 2024 में टीम इंडिया की जीत के बाद राहुल द्रविड़ के कार्यकाल का अंत हुआ था और गौतम गंभीर ने मुख्य कोच के रूप में कदम रखा था। ऐसा माना जा रहा था कि वह अपने साथ एक नया दृष्टिकोण लाएंगे और भारतीय टीम और ज्यादा आक्रामक होकर खेलेगी। आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ उनकी सफलता के बाद गंभीर की नियुक्ति ने फैंस के मन में उम्मीदें जगाई थीं। हालांकि, जुलाई में गंभीर के पद संभालने से लेकर अब तक टेस्ट में भारत की अप्रत्याशित हार की कल्पना किसी ने नहीं की थी। सफेद गेंद के प्रारूप में भी चैंपियंस ट्रॉफी को छोड़ दिया जाए तो टीम इंडिया का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा।
गंभीर की देखरेख में टीम इंडिया ने दो टी20 सीरीज, तीन वनडे सीरीज और चार टेस्ट सीरीज खेली है, जिसमें परिणाम मिले जुले रहे हैं। गंभीर ने टी20 सीरीज में अपने 100 प्रतिशत जीत के रिकॉर्ड को बनाए रखा है, लेकिन उनकी कोचिंग में टीम इंडिया को इस साल जनवरी में पहली वनडे सीरीज में जीत मिली। इस साल जनवरी में इंग्लैंड के भारत दौरे पर भारत ने टी20 सीरीज 4-1 से और वनडे सीरीज 3-0 से अपने नाम की थी। फिर चैंपियंस ट्रॉफी में भी गंभीर की देखरेख में भारत जीतने में कामयाब रहा। वहीं, टेस्ट में अपने से कमजोर टीम से सीरीज जीतने के बाद बराबरी की टीम से तीन बार टक्कर में टीम इंडिया को मुंह की खानी पड़ी। भारत को अपने घर में न्यूजीलैंड से 0-3 से टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा और फिर आॅस्ट्रेलिया से उसके घर में हार मिली।
गंभीर की देखरेख में भारत ने पिछली आठ सीरीज में पांच जीते हैं, जबकि चार में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। भारत और इंग्लैंड के बीच यह टेस्ट सीरीज उनकी देखरेख में तीनों प्रारूप मिलाकर नौवीं सीरीज है। तीनों प्रारूप में कुल 30 मैच में से टीम इंडिया ने 18 मैच जीते और 10 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एक मैच टाई और एक टेस्ट ड्रॉ रहा है। इन 30 मैचों में 11 टेस्ट, 11 वनडे और आठ टी20 मैच शामिल हैं। 11 टेस्ट में से भारत ने तीन जीते और सात में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, जबकि एक टेस्ट ड्रॉ रहा।
इतना ही नहीं, गंभीर को टीम इंडिया में बड़े बदलाव के लिए लाया गया था और ऐसा ही हुआ भी। रोहित शर्मा और विराट कोहली ने आॅस्ट्रेलिया दौरे के बाद अचानक टेस्ट को अलविदा कह दिया, जबकि ऐसा कहा जा रहा था कि दोनों इंग्लैंड दौरे के लिए तैयारी कर रहे थे। आॅस्ट्रेलिया दौरे के बाद भारतीय टीम में अनबन को लेकर कई मीडिया रिपोर्ट्स आई थीं। कोचिंग टीम के कई शीर्ष अधिकारियों पर गाज भी गिरी, लेकिन अब तक सुधार नहीं दिखा है।
विराट कोहली और रोहित शर्मा की कप्तानी में दो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचने के बाद भारत अब बदलाव के दौर में है, लेकिन गंभीर के लिए यह आसान नहीं रहने वाला है। हालांकि, बीसीसीआई स्प्लिट कोचिंग यानी अलग गेंद के प्रारूप के लिए अलग-अलग कोच नहीं रखता है, लेकिन अगर टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे पर हारती है तो सवाल जरूर पूछे जाएंगे और बीसीसीआई टेस्ट में अलग कोच रखने पर भी विचार कर सकता है।