मार्च तक होगा एचएएल और जीई का समझौता, तकनीक हस्तांतरण पर चर्चा
नई दिल्ली। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) मार्च तक अमेरिकी रक्षा कंपनी जीई एयरोस्पेस के साथ एक समझौता करेगा, ताकि भारत के अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए जेट इंजन का संयुक्त उत्पादन किया जा सके। एचएएल के अध्यक्ष डीके सुनील ने मंगलवार को यह बात कही।
इस परियोजना में भारत में एफ-414 इंजन का संयुक्त उत्पादन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2023 में वॉशिंगटन डीसी के दौरे के दौरान इसकी घोषणा की गई थी। हालांकि, इस परियोजना में कुछ देरी हुई, क्योंकि उन्नत तकनीकों को साझा करने को लेकर लंबी वार्ला चली। एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुनील ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि इंजन की तकनीक के हस्तांतरण को लेकर जीई एयरोस्पेस के साथ महत्वपूर्ण वार्ता पूरी हो गई है और अब दोनों पक्ष परियोजना के व्यावसायिक पहलुओं पर फोकस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, हम अब तकनीक हस्तांतरण के सिद्धांतों पर चर्चा कर रहे हैं। करीब 80 फीसदी तकनीक का हस्तांतरण होगा। यह बातचीत लगभग समाप्त हो चुकी है। उन्होंने आगे कहा, अब हम व्यावसायिक मामलों में प्रवेश करेंगे। इसलिए इस वित्तीय वर्ष में हम इस समझौते को पूरा कर लेंगे।
यह संयुक्त उत्पादन परियोजना इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह इंजन कई देशों के लड़ाकू विमानों को शक्ति देता है, जिनमें अमेरिका, स्वीडन और आॅस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसके साथ ही यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका की घरेलू सैन्य तकनीकों पर कड़ी निगरानी की नीति है।
सुनील ने कहा कि जीई के इंजन तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) मार्क 2 और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के शुरूआती प्रोटोटाइप में इस्तेमाल होंगे। उन्होंने कहा, हम जीई एयरोस्पेस के साथ नियमित चर्चा कर रहे हैं। तकनीक हस्तांतरण के तहत एफ-414 परियोजना भारत के महत्वाकांक्षी तेजस कार्यक्रम और एएमसीए परियोजना के लिए बहुत जरूरी है।
एचएएल तेजस मार्क 2 बना रहा है, जिसमें ज्यादा ताकत वाला इंजन होगा। यह विमान ज्यादा भारी सामान उठा सकेगा। इसमें बेहतर लड़ाई करने वाली इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली और नए आधुनिक उपकरण होंगे। यह विमान बहुत मजबूत होगा।
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) करीब 180 तेजस मार्क 1ए विमान खरीद रही है, जिसकी कीमत लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपये है। एक इंजन वाला एमके-1ए, वायु सेना के मिग-21 लड़ाकू विमानों की जगह लेगा। भारत एएमसीए परियोजना पर भी काम कर रहा है, जिसमें एक मध्यम वजन का गहराई तक घुसपैठ करने वाला लड़ाकू विमान बनाया जाएगा, जिसमें उन्नत स्टेल्थ तकनीक होगी, जिससे उसकी हवाई ताकत बढ़ेगी।
एएमसीए और तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) दोनों को भारतीय वायु सेना की मुख्य ताकत बनाने की योजना है। सुनील ने यह भी बताया कि एचएएल ने भारतीय वायु सेना को प्रचंड हेलिकॉप्टर की आपूर्ति करने के लिए भी एक बड़े अनुबंध को हासिल किया है। मार्च में रक्षा मंत्रालय ने एचएएल से 156 लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर ‘प्रचंड’ की खरीद को अंतिम रूप दिया, जिसकी कीमत 62,700 करोड़ रुपये है, ताकि सेना की लड़ाकू क्षमता बढ़ाई जा सके।
एचएएल के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि प्रचंड की डिलीवरी 2028 से शुरू होगी। लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी डिजाइन और विकसित किया गया लड़ाकू हेलिकॉप्टर है, जो 4500 मीटर से ऊपर की ऊंचाई पर काम कर सकता है। सुनील ने कहा, यह भारत के सैन्य इतिहास का सबसे बड़ा करार है।