भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच राजनाथ का चीन दौरा, एससीओ बैठक में लद्दाख से लेकर आतंकवाद तक पर होगा फोकस

नई दिल्ली । भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन में होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में आतंकवाद पर बड़ा मुद्दा उठाने वाले हैं। भारत लंबे समय से पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंचों पर आक्रामक रुख अपना रहा है। अब चीन के किंगदाओ शहर में 26 जून से शुरू हो रहे दो दिवसीय एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भी भारत इसी कड़ी में आतंकवाद के खिलाफ क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की वकालत करेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक में साफ संदेश देंगे कि आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ पूरे क्षेत्र को एकजुट होकर लगातार और ठोस प्रयास करने होंगे। ये बैठक ऐसे वक्त पर हो रही है, जब करीब डेढ़ महीने पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी सीमा में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। भारत इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती मानता है।
यह चीन की यात्रा भारत के किसी वरिष्ठ मंत्री की उस देश में पहली आधिकारिक यात्रा है, जब से मई 2020 में लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव शुरू हुआ था। इस तनाव के दौरान गलवान घाटी में जून 2020 में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों में गहरी खटास ला दी थी। ऐसे में राजनाथ सिंह की यह यात्रा दोनों देशों के बीच संवाद की संभावनाओं पर भी नजर बनाए रखने के लिहाज से अहम मानी जा रही है।
सिर्फ राजनाथ सिंह ही नहीं, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इसी समय चीन में एससीओ के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की बैठक में हिस्सा ले रहे हैं। इससे यह साफ है कि भारत एससीओ जैसे मंच का इस्तेमाल न सिर्फ आतंकवाद, बल्कि सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए भी कर रहा है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, राजनाथ सिंह एससीओ के सिद्धांतों और उद्देश्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराएंगे। साथ ही, वह क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिए भारत की दूरदर्शी सोच भी साझा करेंगे। इसके अलावा क्षेत्रीय व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा।
सम्मेलन के दौरान राजनाथ सिंह की चीन, रूस समेत अन्य सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी प्रस्तावित हैं। इन मुलाकातों में सुरक्षा, रक्षा सहयोग और सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है। यह बैठक भारत-चीन संबंधों में जमी बर्फ को पिघलाने की एक और कोशिश के तौर पर भी देखी जा रही है।
भारत एससीओ को बहुपक्षीय मंच के रूप में बेहद अहम मानता है। यह संगठन सदस्य देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने और समानता जैसे सिद्धांतों पर आधारित है। भारत मानता है कि क्षेत्र में आतंकवाद, आर्थिक अस्थिरता और राजनीतिक तनाव को दूर करने में एससीओ की भूमिका निर्णायक हो सकती है। चीन इस समय एससीओ का अध्यक्ष है और बैठक भी उसी की मेजबानी में हो रही है। ऐसे में भारत इस मंच पर अपनी बात मजबूती से रखकर वैश्विक राजनीति में अपनी स्थिति और नीतियों को फिर से स्पष्ट करेगा।