तीसरी भाषा वाले फॉमूर्ले को मनसे ने बताया हिंदी थोपने की कोशिश

नई दिल्ली । महाराष्ट्र में भी हिंदी भाषा को लेकर विवाद शुरू हो गया है। मनसे नेता प्रकाश महाजन ने मंगलवार को कहा कि मराठी भाषा की रक्षा के लिए सबको एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार के त्रिभाषा फामूर्ले के तहत हिंदी की अनिवार्यता के खिलाफ लड़ें तो परिणाम अलग होंगे।
दरअसल महाराष्ट्र में पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने एक संशोधित आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि कक्षा 1 से 5 तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को त्रिभाषा फामूर्ले के तहत छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा। हालांकि सरकार ने कहा है कि हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा, लेकिन हिंदी के अलावा किसी अन्य भारतीय भाषा को पढ़ने के लिए स्कूल में प्रत्येक कक्षा में कम से कम 20 छात्रों की सहमति जरूरी होगी।
महाजन ने कहा कि अगर खुद को मराठी भाषा के रक्षक समझने वाले नेता एक भी गलती करते हैं, तो इतिहास उसे दर्ज करेगा। अगर शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे साथ आते हैं और हिंदी की अनिवार्यता का विरोध करें, तो नतीजे अलग होंगे। हम आपस में लड़ते रहते हैं और यही हमारे विरोधी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मराठी मानूस थोड़ी वेदना में है। जो लोग मराठी भाषा के लिए कुछ करना चाहते हैं, वे इस लड़ाई को बेबस होकर देख रहे हैं। जब संकट दरवाजे पर हो और हम आपस में ही बैर पालें, तो भाषा और मराठी लोगों की रक्षा कौन करेगा?
उद्धव गुट की शिवसेना के साथ संभावित गठबंधन पर उन्होंने कहा कि वरिष्ठ मनसे नेता बाला नांदगांवकर ने उद्धव ठाकरे के निवास मातोश्री का दौरा किया, लेकिन दूसरी ओर से कोई भी राज ठाकरे से मिलने नहीं आया। उन्होंने कहा कि किसी को गतिरोध को तोड़ना चाहिए और गठबंधन के बारे में बातचीत को आगे बढ़ाना चाहिए। महाजन ने सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल दलों की आलोचना की और उन पर सत्ता में आने के लिए किसी भी स्तर तक गिरने का आरोप लगाया।