जगन्नाथ यात्रा में कितने रथ होते हैं, कौन करता है इनका निर्माण?

जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरूआत साल 2025 में 27 जुलाई से हो रही है। यह यात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होती है और गुंड़ीचा मंदिर तक जाती है। भगवान जगन्नाथ साल में एक बार अपनी मौसी गुंडिचा से मिलने भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के साथ जाते हैं। इसी परंपरा को रथ यात्रा के द्वारा निभाया जाता है। हर साल आषाढ़ माह की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होती है जोकि इस साल 27 जून से है। जगन्नाथ रथ यात्रा केवल कुछ दिनों की यात्रा नहीं बल्कि कई महीनों तक इसकी तैयारी चलती है। रथ यात्रा की तैयारी में कई तरह के कारीगर भी हिस्सा लेते हैं। ऐसे में आज हम आपको जानकारी देंगे कि जगन्नाथ रथ यात्रा में कितने रथ होते हैं और इनका निर्माण किस के द्वारा किया जाता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा में होते हैं 3 रथ
बलभद्र का तालध्वज रथ
सुभद्रा का दर्पदलन रथ
भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ
किसके द्वारा होता है रथों का निर्माण?
जगन्नाथ रथ यात्रा के रथों का निर्माण एक-दो नहीं बल्कि पूरे सात समुदाय के लोगों के द्वारा किया जाता है। रथ बनाने की प्रक्रिया अक्षय तृतीया से शुरू हो जाती है।
विश्वकर्मा समुदाय- इन्हें महाराणा भी कहा जाता है। इस समुदाय के लोग तीनों रथों के आकार और ढांचे पर ध्यान देते हैं। इनके द्वारा ही रथ की ऊंचाई भी तय की जाती है।
माली समुदाय- यह समुदाय तीनों रथों की सजावट के लिए फूल, माला आदि का निर्माण करता है।
दर्जी समुदाय- तीनों रथों के कपड़ों का निर्माण इसी समुदाय के द्वारा किया जाता है। ये भगवान के वस्त्रों के साथ ही रथ के अन्य स्थानों पर लगे कपड़ों का भी निर्माण करते हैं।
बढ़ई समुदाय- लकड़ी का सारा काम बढ़ई समुदाय के लोगों के द्वारा किया जाता है। रथों के अलग-अलग हिस्सों को भी यही लोग जोड़ते हैं।
चित्रकार समुदाय- ये लोग रथों को रंग बिरंगे चित्रों और सजावट की सामग्री लगाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
लोहार समुदाय- इस समुदाय के लोगों के द्वारा रथों पर लगने वाले लोहे के हिस्सों का निर्माण किया जाता है।
कुम्हार समुदाय- कुम्हार लोग तीनों रथों के पहियों का निर्माण करते हैं।
इन सात समुदाय के लोगों के अलावा अन्य लोग भी रथ यात्रा को सफल बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन आकर्षक रथ का निर्माण करने में मुख्य भूमिका इनकी हो रहती है।