अमरनाथ की पवित्र गुफा में हुए बाबा बफार्नी के प्रथम दर्शन
अमरनाथ भगवान शिव के पूजनीय धार्मिक स्थलों में से एक है। हर वर्ष लाखों भक्त बाबा बफार्नी के दर्शन करने के लिए अमरनाथ पहुंचते हैं। यहां भगवान शिव का पवित्र शिवलिंग है, यह शिवलिंग बर्फ से बना है इसलिए इसे हिमलिंग भी कहा जाता है। अमरनाथ गुफा पहलगाम से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। साल 2025 में 11 जून को बाबा अमरनाथ के प्रथम दर्शन किए गए और साथ ही विधिपूर्वक पूजा की गई।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर हुई अमरनाथ में प्रथम पूजा
ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की गई। पूजा और अनुष्ठान का आयोजन अमरनाथ श्राइन बोर्ड के द्वारा किया गया था। इस दौरान अमरनाथ में श्राइन बोर्ड के बड़े अधिकारियों ने भी पवित्र अनुष्ठान में हिस्सा लिया। अगस्त के दूसरे सप्ताह तक बाबा अमरनाथ में भक्तों का तांता लगेगा। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन से सुबह और शाम के समय अमरनाथ की पवित्र गुफा में भगवान शिव की पूजा की जाएगी।
कब से शुरू होगी यात्रा
अमरनाथ यात्रा के संबंध में श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर प्रथम पूजा के बाद यात्रा से संबंधित प्रक्रिया तेजी से शुरू हो जाएगी। यात्रा की शुरूआत 3 जुलाई से होगी और 38 दिनों तक यह यात्रा चलेगी। 9 अगस्त को अमरनाथ यात्रा का समापन हो जाएगा। पिछले साल लगभग 5 लाख लोगों ने बाबा बफार्नी के दर्शन किए थे। सूत्रों की मानें तो इस वर्ष भी लगभग इतने ही श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा के दर्शन करने पहुंच सकते हैं।
बाबा अमरनाथ से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
अमरनाथ में स्थित बाबा बफार्नी की पवित्र गुफा को लेकर मान्यता है कि यहां शिवजी ने माता पार्वती को अमर होने का रहस्य बताया था। इसलिए इस पवित्र स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा। यहां दो कबूतरों ने भी अमर कथा सुनी थी और कहा जाता है कि वो भी अमर हो गए थे। पुराणों में वर्णित है कि अमरनाथ में बाबा बफार्नी के दर्शन करने से काशी में शिवजी के दर्शन से दस गुना और प्रयाग में भोलेबाबा के दर्शन से सौ गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। वहीं हिंदू मान्यताओं के अनुसार बाबा बफार्नी के दर्शन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।