मेरे पिता शहीद हैं, मैं उनकी बेटी हूं, लेकिन आपके शहीद की बेटी नहीं: गुरमेहर
नई दिल्ली. “पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है”, यह वीडियो जारी करने वाली गुरमेहर कौर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने एक ब्लॉग लिखा है। जिसका नाम ‘आई एम’ है। उन्होंने मंगलवार को ट्विटर पर ब्लॉग का लिंक शेयर कर इसकी जानकारी दी। लिखा, आपने मेरे बारे में पढ़ा है, लेखों के अनुसार अपनी राय बनाई है। अब मैं अपने बारे में अपने शब्दों में बता रही हूं। ब्लॉग पर गुरमेहर ने एक जगह लिखा है, “मेरे पिता शहीद हैं। मैं उनकी बेटी हूं। लेकिन मैं आपके ‘शहीद की बेटी’ नहीं हूं।”
पढ़िए गुरमेहर का पूरा ब्लॉग..
– “मैं कौन हूं? यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब मैं कुछ हफ्ते पहले तक हंसमुख अंदाज में बिना किसी हिचकिचाहट के दे सकती थी, पर अब ऐसा नहीं कर सकती।”
– “क्या मैं वो हूं जो ट्रोल्स सोचते हैं? क्या मैं वैसी हूं, जैसा मीडिया में बताया जाता है? क्या मैं वो हूं जो लोग सोचते हैं? नहीं, मैं इनमें से कोई नहीं हो सकती।”
– “जिस लड़की को आपने टीवी पर फ्लैश होते देखा होगा, निश्चित तौर पर वह मुझ-सी दिखती है। विचारों की उत्तेजना जो उसके चेहरे पर चमकती है, निश्चित तौर पर उनमें मेरी झलक है। वह उग्र है, मैं सहमत हूं, पर मैं ब्रेकिंग न्यूज की सुर्खियों वाली नहीं हूं।”
– “शहीद की बेटी..। मैं अपने पिता की बेटी हूं। मैं पापा की गुलगुल हूं। मैं उनकी गुड़िया हूं। मैं दो साल की वह कलाकार हूं, जो शब्द तो नहीं समझती, पर उन तीलियों की आकृतियां समझती है, जो उसके पिता उसके लिए बनाया करते थे।”
– “क्या मैं वो हूं जो ट्रोल्स सोचते हैं? क्या मैं वैसी हूं, जैसा मीडिया में बताया जाता है? क्या मैं वो हूं जो लोग सोचते हैं? नहीं, मैं इनमें से कोई नहीं हो सकती।”
– “जिस लड़की को आपने टीवी पर फ्लैश होते देखा होगा, निश्चित तौर पर वह मुझ-सी दिखती है। विचारों की उत्तेजना जो उसके चेहरे पर चमकती है, निश्चित तौर पर उनमें मेरी झलक है। वह उग्र है, मैं सहमत हूं, पर मैं ब्रेकिंग न्यूज की सुर्खियों वाली नहीं हूं।”
– “शहीद की बेटी..। मैं अपने पिता की बेटी हूं। मैं पापा की गुलगुल हूं। मैं उनकी गुड़िया हूं। मैं दो साल की वह कलाकार हूं, जो शब्द तो नहीं समझती, पर उन तीलियों की आकृतियां समझती है, जो उसके पिता उसके लिए बनाया करते थे।”
बहन के लिए पॉप कल्चर गाइड हूं
– गुरमेहर आगे लिखती हैं, “मैं अपनी मां का सिरदर्द हूं। राय रखने वाली, बेतहाशा और मूडी बच्ची, जिनमें मेरी मां की भी छाया है। मैं अपनी बहन के लिए पॉप कल्चर की गाइड हूं।”
– “मैं क्लास में पहली बेंच पर बैठने वाली वो लड़की हूं, जो अपने शिक्षकों से किसी भी बात पर बहस करने लगती है, क्योंकि इसी में तो साहित्य का मजा है।”
– “मुझे उम्मीद है कि मेरे दोस्त मुझे पसंद करते हैं। वे कहते हैं कि मेरा सेंस ऑफ ह्यूमर ड्राई है, पर यह कारगर भी है। किताबें और कविताएं मुझे राहत देती हैं।”
– “मैं क्लास में पहली बेंच पर बैठने वाली वो लड़की हूं, जो अपने शिक्षकों से किसी भी बात पर बहस करने लगती है, क्योंकि इसी में तो साहित्य का मजा है।”
– “मुझे उम्मीद है कि मेरे दोस्त मुझे पसंद करते हैं। वे कहते हैं कि मेरा सेंस ऑफ ह्यूमर ड्राई है, पर यह कारगर भी है। किताबें और कविताएं मुझे राहत देती हैं।”
युद्ध नहीं चाहती, क्योंकि इसकी कीमत का अंदाजा है
– गुरमेहर ने अपने ब्लॉग पर लिखा, “मैं आदर्शवादी हूं। एथलीट हूं। शांति की समर्थक हूं। मैं आपकी उम्मीद के मुताबिक, उग्र और युद्ध का विरोध करने वाली बेचारी नहीं हूं।”
– “मैं युद्ध इसलिए नहीं चाहती, क्योंकि मुझे इसकी कीमत का अंदाजा है। ये कीमत बहुत बड़ी है।”
– “मेरा भरोसा कीजिए, मैं बेहतर जानती हूं, क्योंकि मैंने हर दिन इसकी कीमत चुकाई है।”
– “मैं युद्ध इसलिए नहीं चाहती, क्योंकि मुझे इसकी कीमत का अंदाजा है। ये कीमत बहुत बड़ी है।”
– “मेरा भरोसा कीजिए, मैं बेहतर जानती हूं, क्योंकि मैंने हर दिन इसकी कीमत चुकाई है।”
पापा का कंधा पकड़ लेती थी, ताकि वो मुझे छोड़कर न चले जाएं
– गुरमेहर ने आगे लिखा है, “पापा मेरे साथ नहीं हैं। वह 18 सालों से मेरे साथ नहीं हैं। 6 अगस्त, 1999 के बाद मेरे शब्दकोश में कुछ नए शब्द जुड़ गए। मौत, पाकिस्तान और युद्ध।”
– “मेरे पिता एक शहीद हैं, पर मैं उन्हें इस तरह नहीं जानती। मैं उन्हें उस शख्स के तौर पर जानती हूं जो कार्गो की बड़ी जैकेट पहनता था, जिसकी जेबें मिठाइयों से भरी होती थीं।”
– “जिसका कंधा मैं जोर से पकड़ लेती थी, ताकि वो मुझे छोड़कर न चले जाएं। वो चले गए और फिर कभी वापस नहीं आए। मेरे पिता शहीद हैं। मैं उनकी बेटी हूं। लेकिन मैं आपके ‘शहीद की बेटी’ नहीं हूं।
– “मेरे पिता एक शहीद हैं, पर मैं उन्हें इस तरह नहीं जानती। मैं उन्हें उस शख्स के तौर पर जानती हूं जो कार्गो की बड़ी जैकेट पहनता था, जिसकी जेबें मिठाइयों से भरी होती थीं।”
– “जिसका कंधा मैं जोर से पकड़ लेती थी, ताकि वो मुझे छोड़कर न चले जाएं। वो चले गए और फिर कभी वापस नहीं आए। मेरे पिता शहीद हैं। मैं उनकी बेटी हूं। लेकिन मैं आपके ‘शहीद की बेटी’ नहीं हूं।
DU में कॉन्ट्रोवर्सी कब और कैसे शुरू हुई? इसमें गुरमेहर की एंट्री कैसे हुई?
– दिल्ली के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार होने वाला था। इसमें जेएनयू के स्टूडेंट लीडर उमर खालिद और शहला राशिद को इनवाइट किया गया था। ABVP ने इसका जमकर विरोध किया, क्योंकि खालिद पर जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी करने का आरोप है।
– इसके बाद AISA और ABVP के सपोर्टर्स के बीच भारी हिंसा हुई। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को सेमिनार कैंसल करना पड़ा।
– इस कॉन्ट्रोवर्सी में गुरमेहर की एंट्री तब हुई, जब उन्होंने 22 फरवरी को अपना फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर बदला और ‘सेव डीयू कैम्पेन’ शुरू किया।
– वे एक तख्ती पकड़ी हुई नजर आईं। #StudentsAgainstABVP हैशटैग के साथ लिखा- “मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूं। ABVP से नहीं डरती। मैं अकेली नहीं हूं। भारत का हर स्टूडेंट मेरे साथ है।”
– दिल्ली के रामजस कॉलेज में एक सेमिनार होने वाला था। इसमें जेएनयू के स्टूडेंट लीडर उमर खालिद और शहला राशिद को इनवाइट किया गया था। ABVP ने इसका जमकर विरोध किया, क्योंकि खालिद पर जेएनयू में देशविरोधी नारेबाजी करने का आरोप है।
– इसके बाद AISA और ABVP के सपोर्टर्स के बीच भारी हिंसा हुई। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को सेमिनार कैंसल करना पड़ा।
– इस कॉन्ट्रोवर्सी में गुरमेहर की एंट्री तब हुई, जब उन्होंने 22 फरवरी को अपना फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर बदला और ‘सेव डीयू कैम्पेन’ शुरू किया।
– वे एक तख्ती पकड़ी हुई नजर आईं। #StudentsAgainstABVP हैशटैग के साथ लिखा- “मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूं। ABVP से नहीं डरती। मैं अकेली नहीं हूं। भारत का हर स्टूडेंट मेरे साथ है।”
कौन हैं गुरमेहर?
– गुरमेहर लेडी श्रीराम कॉलेज में इंग्लिश लिटरेचर की स्टूडेंट हैं। वे मूल रूप से लुधियाना की रहने वाली हैं।
– पिता कैप्टन मंदीप सिंह कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के कैम्प पर 1999 में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। उस वक्त गुरमेहर महज 2 साल की थीं।
– गुरमेहर लेडी श्रीराम कॉलेज में इंग्लिश लिटरेचर की स्टूडेंट हैं। वे मूल रूप से लुधियाना की रहने वाली हैं।
– पिता कैप्टन मंदीप सिंह कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स के कैम्प पर 1999 में आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। उस वक्त गुरमेहर महज 2 साल की थीं।
कैसे आई विवादों में?
– दरअसल, पिछले साल 28 अप्रैल को गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर चार मिनट का वीडियो अपलोड किया था।
– इसमें उन्होंने एक-एक कर 36 पोस्टर दिखाए थे। लेकिन पोस्टर नंबर 13 वायरल हो गया।
– इसमें उन्होंने लिखा था कि पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है।
– जब गुरमेहर ने एबीवीपी के खिलाफ कैम्पेन शुरू किया तो ट्रोलर्स ने उनके इसी पोस्टर नंबर 13 को वायरल कर दिया।
– बाद में गुरमेहर ने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें एबीवीपी की ओर से रेप की धमकियां मिल रही
– दरअसल, पिछले साल 28 अप्रैल को गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर चार मिनट का वीडियो अपलोड किया था।
– इसमें उन्होंने एक-एक कर 36 पोस्टर दिखाए थे। लेकिन पोस्टर नंबर 13 वायरल हो गया।
– इसमें उन्होंने लिखा था कि पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा है।
– जब गुरमेहर ने एबीवीपी के खिलाफ कैम्पेन शुरू किया तो ट्रोलर्स ने उनके इसी पोस्टर नंबर 13 को वायरल कर दिया।
– बाद में गुरमेहर ने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें एबीवीपी की ओर से रेप की धमकियां मिल रही