‘कोई रियायत नहीं दी जाएगी’, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की नाबालिग से दुष्कर्म के दोषियों की अपील
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के दोषियों की आजीवन कारावास की सजा को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दोषियों संजय पैकरा और पुष्पम यादव की अपील खारिज कर दी। पीठ ने दो दोषियों की अपील खारिज करते हुए कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। आपने वैन चालक के साथ मिलकर एक नाबालिग स्कूली छात्रा का अपहरण किया और उसके साथ दुष्कर्म किया। हमें इसमें किसी तरह की रियायत की जरूरत नहीं है। इसे खारिज किया जाता है।
पीठ इस दलील से सहमत नहीं हुई कि लड़की की सहमति थी और जब उसे एकांत कारावास में रखा गया था।उस दौरान उसने कोई शोर नहीं मचाया। पीठ ने कहा कि वह नाबालिग है। यह साबित हो चुका है और अब किसी और बात की जरूरत नहीं है।
हाईकोर्ट ने 5 अगस्त, 2024 को 2019 के अपहरण और दुष्कर्म मामले में पैकरा, यादव और तीसरे आरोपी संतोष कुमार गुप्ता, स्कूल वैन चालक को सातवीं कक्षा की छात्रा के अपहरण और दुष्कर्म के अपराध के लिए दोषी ठहराते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने पांच अक्तूबर 2021 को तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया था। कोर्ट ने आजीवन कारावास के अलावा उन पर एक हजार रुपये का जुमार्ना भी लगाया था।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को युवा वकील के रवैये पर नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी अदालती कला सीखना नहीं चाहती। न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब एक युवा वकील आदेश लिखे जाने के दौरान लापरवाही से वहां से चली गई। वकील ने अदालत को बताया कि स्थगन के लिए एक पत्र प्रसारित किया गया है। जैसे ही पीठ ने आदेश सुनाना शुरू किया वकील वहां से जाने लगीं। इस पर नाराज होकर पीठ ने कहा कि युवा पीढ़ी अदालती कला सीखना नहीं चाहती। मामलों को पढ़ना केवल 30 प्रतिशत है, बाकी 70 प्रतिशत अदालती कला है।